Edited By Afjal Khan, Updated: 18 Jul, 2024 07:45 PM
पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों में किसानों की फसलों को सिंचाई हेतु नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी की तर्ज पर डब्ल्यूआरसीपी लाने के संबंध में ओसियां विधायक भैराराम चौधरी (सियोल) ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है । उन्होंने...
जयपुर, 18 जुलाई 2024 । पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों में किसानों की फसलों को सिंचाई हेतु नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी की तर्ज पर डब्ल्यूआरसीपी लाने के संबंध में ओसियां विधायक भैराराम चौधरी (सियोल) ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है । उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार जताते हुए लिखा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के तत्पश्चात बहुत ही कम समय में पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी लाने पर आभार व्यक्त करते हैं । इसी क्रम में पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों क्रमशः जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, नागौर इत्यादि में गिरते भूजल स्तर के कारण सिंचाई के लिए एकमात्र नहरी पानी ही विकल्प बचा है। मारवाड़ की उपजाऊ जमीन उत्पादन की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है, बता दें कि इस क्षेत्र की कृषि सिंचाई भूजल व बारिश पर आधारित है। लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण सिंचाई हेतु पानी की अनुपलब्धता के कारण इस क्षेत्र का उत्पादन रकबा बुआई क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है, जिससे कृषि उपज की पैदावार भी कम हो रही है। मांग के अनुरूप आवक तथा उत्पादन घटने से उपज की आपूर्ति भी प्रभावित होती है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। नहरी क्षेत्र की तुलना में बारिश व भूजल आधारित खेती में फसल उत्पादन हेतु कृषि लागत भी ज्यादा आती है। वहीं रेगिस्तानी क्षेत्र के किसानों की वार्षिक कृषि आय में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। मारवाड़ के लोगों के लिए कृषि कार्य ही आजीविका का एकमात्र प्रमुख साधन है। मारवाड़ का डबल क्रॉप क्षेत्र सभी प्रकार की फसलों खरीफ, रबी व जायद इत्यादि की बुवाई द्वारा संपूर्ण वर्ष भर फसल विविधता को बनाए रखता है। परंतु एकदम से भूजल के सूखने से अधिकांश क्षेत्र में बारिश आधारित बारानी फसलों की बुवाई की जाने लगी है, जबकि इस क्षेत्र में बारिश का वार्षिक औसत भी बहुत कम रहता है। मारवाड़ के लोगों को रोजगार के लिए मजबूर होकर देश के अन्य क्षेत्रों में पलायन करना पड़ रहा है, जो हम सभी के लिए बेहद ही चिन्ताजनक है।
दरअसल मारवाड़ के किसानों के सामाजिक व आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने और आजीविका चलाने के लिए स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से किसानों की फसलों को सिंचाई हेतु नहरी पानी उपलब्ध करवाया जाना जनहित में अत्यंत आवश्यक है। राजस्थान प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब स्थित सतलुज, रावी एवं व्यास नदियों का पानी हरी के बैराज़ में आकर मिलता है, इसके बाद ही पंजाब, राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के क्षेत्रो मे सिंचाई के काम में लिया जाता है। अत्यधिक बारिश के दिनों में इन नदियों के पानी को पाकिस्तान की तरफ डायवर्ट भी किया जाता है, अत्यधिक वर्षा के दौरान घग्घर नदी का पानी भी पाकिस्तान क्षेत्र की तरफ डायवर्ट किया जाता है। अत्यधिक वर्षा की स्थिति में उक्त पानी को पाकिस्तान जाने से रोककर पश्चिमी राजस्थान की तरफ डायवर्ट भी किया जा सकता है।
ऐसे में मारवाड़वासियों के उन्नयन तथा किसानों को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने के लिए डब्ल्यूआरसीपी का ऐतिहासिक कदम रेगिस्तान क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा। ऐसे में विधायक सियोल ने सीएम भजनलाल शर्मा से प्रदेश के पश्चिमी राजस्थान में किसानों के फसलों की सिंचाई के लिए नहरी पानी लाने के लिए डीपीआर बनाने के निर्देश जारी करने को लेकर गुहार लगाई है ।