Edited By Raunak Pareek, Updated: 01 Dec, 2024 03:17 PM
टोंक हिंसा के मुख्य किरदार नरेश मीणा प्रहलाद गुंजल के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में जब प्रहलाद गुंजल समरावता पहुंचे, तो नरेश मीणा के समर्थकों की बड़ी भीड़ उनके साथ नजर आई।
राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव के दौरान टोंक की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना और उसके बाद हुई उनकी गिरफ्तारी ने समरावता गांव में हिंसा को जन्म दिया। इस घटना के 17 दिन बाद, शनिवार को कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल समरावता पहुंचे।
गौरतलब है कि टोंक हिंसा के मुख्य किरदार नरेश मीणा प्रहलाद गुंजल के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में जब प्रहलाद गुंजल समरावता पहुंचे, तो नरेश मीणा के समर्थकों की बड़ी भीड़ उनके साथ नजर आई। ग्रामीणों से बातचीत के दौरान प्रहलाद गुंजल ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। उन्होंने सरकार और कांग्रेस पार्टी के नेताओं से बात करते हुए यह आश्वासन दिया कि आगामी दिनों में पंच-पटेलों की महापंचायत आयोजित की जाएगी। इसके माध्यम से समरावता के ग्रामीणों और हिंसा के मामलों में गिरफ्तार लोगों को न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी।
गांव में आगजनी और पुलिस की बर्बरता के निशान बचे
समरावता में ग्रामीणों से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गांव में हुई हिंसा, आगजनी और पुलिस की बर्बरता के जो निशान बचे हैं, वे भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं। जली हुई गाड़ियों के ढेर, महिलाओं के टूटे हुए हाथ-पैर, और आंसू गैस के गोलों के अवशेष साफ दिखाते हैं कि ऐसा क्रूर अत्याचार कभी फिरंगी राज के दौरान पुलिस किया करती थी। प्रहलाद गुंजल ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए इसे न्याय और मानवाधिकारों के खिलाफ करार दिया।
पुलिस ने घर में घुसकर की महिलाओं से मारपीट
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने समरावता में मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिस पुलिस पर लोकतंत्र में जनता की जान-माल और जीवन की रक्षा का दायित्व है, वही पुलिस हिंसा में शामिल रही। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने लोगों के घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों को जलाया, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, और घरों में घुसकर गाड़ियों, टीवी, सोफा जैसे सामान तोड़े। उन्होंने कहा कि महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को भी नहीं बख्शा गया। यह बर्बरता अंग्रेजों के शासनकाल की क्रूर यादें ताजा करती है।
प्रहलाद गुंजल ने पीड़ितों से मुलाकात के बाद अपनी व्यथा साझा करते हुए बताया कि एक महिला उनके सामने दहाड़ें मारकर रोने लगी। महिला ने कहा,
"मैं उस दिन घर में थी, मेरा बेटा घर पर सो रहा था। पुलिस ने घर के अंदर आकर मारपीट की, सामान तोड़ दिया और मेरे बेटे को उठाकर ले गई। मेरा बेटा आज भी जेल में है।"
गुंजल ने इस घटना को मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताते हुए दोषियों के खिलाफ न्याय की मांग की।
भजनलाल सरकार के मंत्रियों ने क्या किया – प्रहलाद
प्रहलाद गुंजल ने समरावता में पीड़ितों की व्यथा सुनते हुए कहा कि एक मां ने रोते हुए बताया,
"मेरे दो बेटे हैं, लेकिन उनकी शक्ल देखे हुए मुझे 15 दिन से भी ज्यादा हो गए हैं।"
उन्होंने कहा कि गांव की माताओं और बहनों की ये दर्दभरी कहानियां अंग्रेजों के शासनकाल में हुए जुल्मों की याद दिला रही हैं।
गुंजल ने कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और जवाहर सिंह बेढ़म पर सवाल उठाते हुए कहा,
"आप भी गांव में आए थे। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि समरावता के लोगों को न्याय दिलाने के लिए आपने अब तक क्या कदम उठाए हैं?"
उन्होंने समरावता के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए इसे सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी बताया।
‘स्थानीय लोगों ने छत से कूदकर बचाई जान’
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि समरावता में हालात इतने भयावह हो गए थे कि लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए घरों की छत से तालाब में कूदना पड़ा। ग्रामीणों को अपनी मांगों को लेकर मतदान का बहिष्कार करना पड़ा। उन्होंने सवाल उठाया,
"क्या अपनी मांगें रखना और मतदान का बहिष्कार करना इतना बड़ा अपराध है?" लोकतंत्र में मतदान करना या न करना, पूरी तरह मतदाता का अधिकार है।
गुंजल ने कहा कि बाद में सरकार ने भी ग्रामीणों की मांगों को उचित मानते हुए स्वीकार किया। अगर समय रहते उनकी मांगे मान ली जातीं, तो शायद यह दुखद घटना ही नहीं होती। उन्होंने आगे कहा,
"मैं जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष जी से बात करूंगा और उनसे मार्गदर्शन लूंगा कि न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। प्रदेश अध्यक्ष जी से मिले दिशा-निर्देशों के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।"