813वें उर्स के मौके पर ट्रांसजेंडर कम्युनिटी ने अजमेर शरीफ में चादर की पेश, मांगी ये दुआ

Edited By Rahul yadav, Updated: 10 Jan, 2025 02:40 PM

on the occasion of 813th urs transgender presented a chadar in ajmer sharif

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स का आयोजन अजमेर शरीफ दरगाह में पूरे उत्साह और रूहानी माहौल के साथ मनाया जा रहा है। इस बार के उर्स के दौरान एक खास और प्रेरणादायक पहल देखने को मिली जब किन्नर समाज ने ख्वाजा साहब की दरगाह पर अपनी...

अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स का रूहानी जश्न, किन्नर समाज ने पेश की अनोखी श्रद्धा

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स का आयोजन अजमेर शरीफ दरगाह में पूरे उत्साह और रूहानी माहौल के साथ मनाया जा रहा है। इस पवित्र अवसर पर दरगाह में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा है। देश के कोने-कोने के साथ-साथ पड़ोसी देशों से भी हजारों लोग इस महान सूफी संत की दरगाह पर अपनी श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचे हैं। हर ओर भक्ति और समर्पण का माहौल है, और दरगाह में गूंजती हुई सूफी कव्वालियां इस आयोजन को और भी आध्यात्मिक बना रही हैं।

किन्नर समाज ने पेश की चादर, पेश किया समर्पण का अनूठा उदाहरण

इस बार के उर्स के दौरान एक खास और प्रेरणादायक पहल देखने को मिली जब किन्नर समाज ने ख्वाजा साहब की दरगाह पर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए चादर पेश की। इस घटना ने सभी का ध्यान खींचा और दिखाया कि ख्वाजा साहब की शिक्षाएं हर वर्ग, हर समुदाय, और हर व्यक्ति के लिए समान रूप से प्रासंगिक हैं।

किन्नर समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती सबके लिए करुणा, प्रेम और समानता का प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि ख्वाजा साहब ने अपने पूरे जीवन में किसी भी भेदभाव को स्थान नहीं दिया और हमेशा समाज के हर तबके को सम्मान दिया। इसी भावना के साथ किन्नर समाज ने चादर चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की और समाज में समर्पण और भाईचारे का संदेश दिया।

चादर पेश करने की रस्म और उसकी गहराई

अजमेर शरीफ दरगाह में चादर पेश करने की रस्म बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह रस्म श्रद्धा, समर्पण और आत्मिक प्रेम का प्रतीक है। इस दौरान श्रद्धालु चादर पर फूल और दुआएं समर्पित करते हैं और ख्वाजा साहब से अपने जीवन में बरकत और दुआएं मांगते हैं।

किन्नर समाज के इस योगदान ने उर्स के इस पावन मौके को और भी खास बना दिया है। उन्होंने बताया कि यह ख्वाजा साहब के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, और समाज को यह दिखाने का एक माध्यम है कि हर वर्ग को समान रूप से प्रेम और सम्मान मिलना चाहिए।

देशभर से आईं चादरें और श्रद्धालुओं का हुजूम

उर्स के दौरान ख्वाजा साहब की दरगाह पर देशभर से चादरें लाई जा रही हैं। इनमें व्यक्तिगत श्रद्धालु, परिवार, संस्थाएं, और विभिन्न समुदाय शामिल हैं। हर चादर प्रेम और एकता का प्रतीक है, जो ख्वाजा साहब के प्रति श्रद्धालु की आस्था को दर्शाती है।

इस वर्ष की खास बात यह है कि उर्स के दौरान ख्वाजा साहब की शिक्षाओं और संदेशों को और भी गहराई से समझने और अपनाने का प्रयास किया जा रहा है। उनकी शिक्षाएं, जिनमें प्रेम, दया, समानता और भाईचारे का संदेश है, आज भी समाज को एकजुट करने का माध्यम हैं।

ख्वाजा साहब के संदेश: एकता और प्रेम की मिसाल

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को "गरीब नवाज" के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने जीवन में हर जरूरतमंद और दुखी व्यक्ति के लिए सहारा बने। उनके उपदेशों में समानता और मानवता को प्राथमिकता दी गई है। उनके उर्स पर हर धर्म, जाति और समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं, जो यह दर्शाता है कि उनके संदेश कालातीत हैं और समाज को जोड़ने का काम करते हैं।

भाईचारे का संदेश

813वें उर्स के इस पवित्र आयोजन ने एक बार फिर दिखाया कि अजमेर शरीफ दरगाह केवल एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा केंद्र है जो प्रेम, एकता, और आपसी भाईचारे का संदेश देता है। किन्नर समाज द्वारा चादर पेश करने की यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ख्वाजा साहब की शिक्षाएं और उनके प्रति श्रद्धा सभी सीमाओं से परे हैं।

इस उर्स ने न केवल धर्म और आस्था के बल पर समाज को एक साथ जोड़ा, बल्कि यह भी दिखाया कि ख्वाजा साहब का संदेश समय और स्थान से परे, हर व्यक्ति के लिए समान रूप से प्रासंगिक है।

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