Edited By Raunak Pareek, Updated: 15 Nov, 2024 09:08 PM
राजस्थान के देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। कानून-व्यवस्था के डर से उन्हें कोर्ट में वर्चुअली पेश किया गया, जिससे सियासी माहौल और गरमा गया है।
देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने की घटना ने पूरे राजस्थान में सियासी और प्रशासनिक हलचल मचा दी है। इस विवाद ने न केवल चुनावी माहौल को गरमा दिया, बल्कि हिंसा और तनाव का भी माहौल बना दिया। इस घटना के बाद नरेश मीणा को गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर शुक्रवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
नरेश मीणा की कोर्ट में वर्चुअल पेशी -
नरेश मीणा को पहले टोंक जिले के निवाई में अदालत में शारीरिक रूप से पेश किया जाना था। लेकिन उनके समर्थकों की जयपुर-कोटा हाईवे पर एकत्र होने और विरोध प्रदर्शन करने की धमकी के बाद पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें वर्चुअल पेशी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया।
पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस कदम को आवश्यक समझा गया। अदालत ने सुनवाई के बाद नरेश मीणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
वीडियो सामने आने के बाद बिगड़ा माहौल -
हालाकी यह कांड केवल थप्पड़ मारने तक सीमित नहीं रहा। बुधवार से ही उनके समर्थकों ने जगह-जगह प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। जयपुर-कोटा हाईवे पर धरना देकर यातायात बाधित किया गया। हिंसा के दौरान एक मीडियाकर्मी और कैमरामैन पर हमला हुआ और उनके कैमरे जला दिए गए। घटना के वायरल वीडियो ने इस मामले को और उग्र बना दिया। सामने आए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नरेश मीणा ने सैकड़ों समर्थकों के सामने एसडीएम को थप्पड़ मारा था। जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैला, जिससे इस विवाद ने तूल पकड़ा।
नरेश मीणा पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज -
नरेश मीणा पर चार अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें सार्वजनिक कार्य में बाधा डालना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। उनके खिलाफ पहले से भी कई विवादित मामले दर्ज हैं। पुलिस का कहना है कि उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाई भी जा सकती है।
राजस्थान की राजनीति में कांड का असर -
यह घटना केवल एक चुनावी विवाद नहीं, बल्कि राजस्थान की जातिगत और सियासी खींचतान को भी उजागर करती है। एसडीएम अमित चौधरी जाट समुदाय से हैं, जबकि नरेश मीणा का संबंध मीणा समुदाय से है। इस घटना ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है।इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस ने संयम बरतने का दावा किया है। हालांकि, विपक्ष ने सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। निर्दलीय प्रत्याशी के इस कृत्य ने राज्य सरकार और प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
कोर्ट में नरेश मीणा के वकिल का तर्क -
नरेश मीणा के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह मामला एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। वहीं, उनके समर्थक इसे एक सांकेतिक विरोध बता रहे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन और सत्तारूढ़ दल इसे कानून-व्यवस्था के खिलाफ एक गंभीर अपराध मान रहे हैं।