Edited By Raunak Pareek, Updated: 23 Jul, 2025 02:25 PM

बल्कि एक सीट पर अंतः सीट पर उपचुनाव होने हैं और ऐसे में नरेश मीणा के साथ में जो जनसैलाब उमड़ रहा है, जो भीड़ उमड़ रही है, जिस तरीके से रैलियां कर रहे हैं, जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उन तस्वीरों को देखकर लगता है कि यहां की सियासत अब पूरी तरीके से...
राजस्थान की राजनीति में इन दिनों नरेश मीणा फिर से सुर्खियों में हैं। जेल से रिहा होने के बाद उनके स्वागत में उमड़ी भीड़ ने साफ कर दिया कि उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई, बल्कि पहले से कहीं अधिक बढ़ी है। खासतौर पर अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की संभावनाओं के बीच नरेश मीणा का राजनीतिक कद और मजबूत होता दिख रहा है।
नरेश मीणा के समर्थकों ने जिस प्रकार से जनक्रांति यात्रा में उत्साह दिखाया, उससे यह संकेत मिल रहे हैं कि वे अंता से उपचुनाव लड़ सकते हैं। यह वही सीट है, जहां पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द हो चुकी है। मीणा समुदाय के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद जैन भाया की पकड़ मानी जाती है, लेकिन नरेश मीणा की एंट्री से मुकाबला रोचक हो गया है। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से राजनीतिक तनातनी रही है। जमीन विवादों और प्रशासनिक मुद्दों पर नरेश मीणा, भाया पर लगातार हमलावर रहे हैं।
ऐसे में यह चुनाव सिर्फ उपचुनाव नहीं बल्कि कांग्रेस के लिए साख का सवाल भी बन सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है। अगर प्रमोद जैन भाया यहां से हारते हैं तो यह पायलट की पकड़ पर भी सवाल खड़ा करेगा। नरेश मीणा के कांग्रेस से दूरी बनाकर निर्दलीय या किसी अन्य दल से चुनाव लड़ने की अटकलें भी तेज़ हो गई हैं। वे खुद कह चुके हैं कि अगर कहीं उपचुनाव होता है, तो वे "खूंटा गाड़ने" को तैयार हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि अंता उपचुनाव में नरेश मीणा वाकई मैदान में उतरते हैं या नहीं, लेकिन जो जनसैलाब उनके साथ चल रहा है, वह राजस्थान की राजनीति में बड़े बदलाव की आहट जरूर दे रहा है।