Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Aug, 2024 05:13 PM
मनरेगा मजदूरों को पूरी मजदूरी और पूरा काम देने सहित अन्य मांगों को लेकर मनरेगा मजदूरों ने गुरुवार को अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। इससे पहले धानमंडी में सभा हुई। सभा के बाद बड़ी तादाद में एकत्रित मनरेगा...
छह माह से नहीं मिली मजदूरी तो किया विरोध
मजदूरों का कलेक्ट्रेट के समक्ष किया प्रदर्शन
अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले प्रदर्शन
मनरेगा मजदूरों ने प्रदर्शन से पहले धानमंडी में की सभा
हनुमानगढ़,29 अगस्त 2024। मनरेगा मजदूरों को पूरी मजदूरी और पूरा काम देने सहित अन्य मांगों को लेकर मनरेगा मजदूरों ने गुरुवार को अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। इससे पहले धानमंडी में सभा हुई। सभा के बाद बड़ी तादाद में एकत्रित मनरेगा मजदूर नारेबाजी करते हुए रैली के रूप में जिला कलक्ट्रेट के समक्ष पहुंचे और प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को कलक्ट्रेट कार्यालय में घुसने से रोकने के लिए मौके पर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा।
वहीं प्रदर्शनकारियों ने कलक्ट्रेट के गेट के सामने लगाए गए बेरिकेड्स हटाने का प्रयास किया, लेकिन इसमें वे सफल नहीं हो पाए। कुछ देर तक मौके पर बेरिकेड्स हटाने को लेकर प्रदर्शनकारियों व पुलिस कर्मियों के बीच जोर-आजमाइश हुई। प्रदर्शन के बाद मनरेगा मजदूरों को पूरी मजदूरी और पूरा काम देने, कार्यस्थल पर पालना, पानी, छांव, दवाई इत्यादि का व्यवस्था करने, कस्सी, बठल उपलब्ध करवाने, मनरेगा मेटों व मजदूरों को समय पर वेतन का भुगतान करने, मेटों को स्थाई करने, अनुभव प्रमाण पत्र देने, मनरेगा मजदूरों को पूरी 266 रुपए का भुगतान करने, खाद्य सुरक्षा योजना से वंचित पात्र परिवारों को जोड़ने, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी जरूरतमंदों को दिलाने, भूमिहीनों को जमीन आवंटित करने, बिजली की दरें कम करने, स्मार्ट मीटर योजना लागू नहीं करने सहित अन्य मांगों संबंधी ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया।
मनरेगा मजदूरों का 6 महीने तो मेटों का एक साल से नहीं हुआ भुगतान- रघुवीर सिंह वर्मा
धानमंडी में हुई सभा में अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य रघुवीर सिंह वर्मा ने कहा कि मनरेगा मजदूरों का छह माह से जबकि मेटों का एक साल से भुगतान नहीं हुआ है। पूरी मजदूरी खाते में नहीं आ रही। रक्षाबंधन का त्योहार चला गया लेकिन खाते में रुपए नहीं आए। किसी जनप्रतिनिधि ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नजर नहीं आती। अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं।
मनरेगा मजदूर सावित्री ने बताया कि उन्हें तीन गांव छोडक़र 9 किलोमीटर दूर कार्यस्थल पर जाना पड़ता है। समय पर छुट्टी नहीं दी जाती। सुबह छह बजे बुलाया जाता है और दोपहर दो बजे छुट्टी दी जाती है। न ही मजदूरी का भुगतान हो रहा है। एक अन्य महिला मजदूर ने बताया कि गर्मी के सीजन में मनरेगा कार्य चलता रहा और अब जब मौसम में बदलाव आया तो कार्य बंद कर दिया। छह माह से मजदूरी नहीं मिली। मेटों का 13-13 माह का भुगतान अटका हुआ है। दैनिक जरूरतें पूरी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि शीघ्र मजदूरी का भुगतान करवाया जाए।