Edited By Chandra Prakash, Updated: 07 Aug, 2024 02:58 PM
राज्य की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और...
हनुमानगढ़,7 अगस्त 2024 (बालकृष्ण थरेजा) : राज्य की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और भ्रष्टाचार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
सरकार की योजनाओं का अधूरा क्रियान्वयन
सरकार द्वारा मुफ्त इलाज और दवाइयों की योजनाएं बनाकर भारी-भरकम बजट खर्च किया जा रहा है, लेकिन धरातल पर इनका लाभ गरीब मरीजों को नहीं मिल रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।
नौकरी यार की तनख्वाह सरकार की...
सरकारी चिकित्सक लाखों रुपयों का वेतन तो सरकारी खजाने से ले रहे हैं, मगर मरीजों का इलाज अपने निजी क्लिनिक पर करते हैं। काफी चिकित्सकों ने स्वयं के अस्पताल खोल रखे है। काफी चिकित्स्क अपने दोस्त चिकित्सकों के अस्पतालों को पूरा टाइम दे रहे हैं। इससे अस्पतालों में गरीब मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है और उन्हें निजी क्लिनिक में भारी भरकम फीस चुकानी पड़ रही है।
मुफ्त दवाइयों का दुरुपयोग
मुफ्त योजनाओं के तहत दी जाने वाली दवाइयों को गरीब मरीजों तक पहुंचाने के बजाय, अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर्स को मिलीभगत कर बेचा जा रहा है। इससे मरीजों को दवाइयों की किल्लत का सामना करना पड़ता है।
खून जांच और लूट का खेल..?
सरकारी अस्पतालों में सरकार ने गरीब मरीजों के लिय खून, थूक, पेशाब, एक्सरे आदि जांच की सुविधा बिलकुल मुफ्त कर रखी है। हो ये रहा हैं कि अस्पताल के बाहर स्थित लैब संचालक कभी नहीं चाहते कि मरीज सरकार की निशुल्क स्वास्थ्य जांच की सुविधा का फायदा ले। यदि ऐसा हुआ तो उनकी लैब पर कौन आएगा? इसलिए अस्पताल की लैब के एक्सरे मशीन सहित तमाम उपकरण हमेशा खराब ही बताए जाते हैं। इसी के चलते डॉक्टरों और अस्पताल के बाहर स्थित निजी लैब संचालकों की मिलीभगत से गरीब और अनजान मरीजों को ठगा जा रहा है। मरीजों से अनावश्यक जांच के नाम पर पैसे लूटे जा रहे हैं। अस्पताल के बाहर स्थित लैब सैंटर के संचालकों की पिछले दस साल की फाइनेंशियल स्टेटस की जांच की जाए तो स्थित रूप से हेरफेर करके तमाम लोग करोड़पतियों की श्रेणी में आ गए हैं। इसके अलावा बड़े शहर के बड़े सेंटर से सैंपल भेजकर जांच करवाने के नाम पर भी बड़ा गोरखधंधा चल रहा है।
रसूख वालों को प्राथमिकता
महंगी दवाइयां और इंजेक्शन केवल रसूख वाले लोगों को ही दिए जा रहे हैं। गरीब मरीजों को इन आवश्यक सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। अस्पताल के स्टाफ का रवैया भी लापरवाही से भरा हुआ है, जिससे गरीब मरीजों को और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
लपका गिरोह की सक्रियता और डॉक्टरों का दुरुपयोग
कुछ डॉक्टर सिर्फ औपचारिकता के लिए अस्पताल में ड्यूटी देने आते हैं और उन्होंने कुछ बेरोजगार युवाओं को अस्पताल परिसर में विचरण करने की अनुमति दे रखी है। ये युवा, जिन्हें "लपका गिरोह" कहा जाता है, मरीजों को देखते ही उन पर झपटते हैं और उन्हें सरकारी अस्पताल की बजाय डॉक्टर के घर जाकर इलाज कराने के लिए प्रेरित करते हैं। इस तरह, सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक खुद अपने आवास पर मरीजों का इलाज करते हैं ताकि उनसे अधिक पैसे वसूले जा सकें।
नामचीन चिकित्सकों की विजिट के नाम पर वारे न्यारे !
हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में चिकित्सा के नाम पर कमाई के लिय बड़ा बाजार है। चिकित्सा क्षेत्र में यह बात पुख्ता होते ही राजधानी दिल्ली-जयपुर सहित देश के बड़े बड़े डॉक्टर्स ने हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर का रुख कर लिया है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जिसमें बाहर से आकर डॉक्टर यहां कैंप न लगाते हो। कैंप का स्थान वहीं सरकारी अस्पताल के बाहर खून जांच की लैब। बड़े प्राइवेट अस्पतालों को यहां कमाई का बड़ा स्कोप नजर आ रहा है। निजी लैब संचालकों की मिलीभगत से बड़े अस्पताल निशुल्क जांच शिविर के नाम पर मरीजों को अपने अस्पताल में आने को बाध्य करते हैं। डरे -सहमें मरीज बेचारे लाखों रुपए लुटाने को मजबूर हो रहे हैं।
बहरहाल इस प्रकार, सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के साथ लूट खसूट और भ्रष्टाचार की घटनाएं चिंताजनक हैं। सरकार को इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि गरीब मरीजों को उचित और नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।