Edited By Chandra Prakash, Updated: 15 May, 2025 11:39 AM

जिले के दोवड़ गांव में वृद्धा की नृशंस हत्या और ज्वेलरी लूटने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने दोनों पर कुल 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला जिला एवं सत्र न्यायाधीश...
राजसमंद, 15 मई 2025 । जिले के दोवड़ गांव में वृद्धा की नृशंस हत्या और ज्वेलरी लूटने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने दोनों पर कुल 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने सुनाया।
अदालत ने दोवड़ निवासी केसर सिंह पुत्र उदय सिंह राजपूत और किशन सिंह पुत्र सोहन सिंह राजपूत को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास एवं 20 हजार रुपए के जुर्माने, धारा 394/34 के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए के जुर्माने और धारा 397/34 के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया।
लोक अभियोजक रामलाल जाट ने बताया कि 11 जून 2021 को दोवड़ गांव में 65 वर्षीय मोहन बाई पर अज्ञात बदमाशों ने लूट के इरादे से हमला किया। महिला के कान से टॉप्स, गले का मादलिया, सिर का बोर, नाक की नथ—जो सभी सोने के थे—लूट लिए गए। हमले के दौरान बदमाशों ने महिला का बायां पैर पिंडली के ऊपर से आधा काट दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
महिला के पुत्र उदयसिंह ने राजनगर थाने में रिपोर्ट दी कि घटना वाले दिन वह सुबह 7 बजे अपने परिवारजन के कार्यक्रम में गया था और मां को घर पर नेत्रहीन पिता की देखभाल के लिए छोड़ा था। दोपहर तक मां के घर नहीं लौटने पर कोई विशेष चिंता नहीं हुई, लेकिन करीब 3 बजे गांव की बसंती कुंवर ने सूचना दी कि उसकी मां पास के बीड़े लीमबाड़ा में पड़ी है। जब वह अपने बड़े भाई देवीसिंह और पुत्र विक्रम के साथ मौके पर पहुंचा, तो मां लहूलुहान हालत में मृत मिली।
प्रकरण की जांच थाना राजनगर के तत्कालीन थानाधिकारी प्रवीण टांक ने की। घटनास्थल से जब्त किए गए मोबाइल, चप्पल, मृतका की मुट्ठी में फंसे बाल, गले की टूटी माला, खून के नमूने, डीएनए रिपोर्ट, मोबाइल कॉल डिटेल्स, स्पॉट फोटोग्राफ्स, अभियुक्तों की शर्ट सहित अन्य साक्ष्य एकत्रित कर न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से 35 गवाह, 98 दस्तावेज एवं 12 भौतिक साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई। राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक रामलाल जाट ने पैरवी की।