हाईकोर्ट स्टे के बावजूद दिए जा रहे हैं पट्टे, पारिवारिक मामले में उलझी भूमि पर यूआईटी दे रहा है पट्टे

Edited By Chandra Prakash, Updated: 17 Aug, 2025 05:44 PM

leases are being given despite the high court stay

राजस्थान उच्च न्यायालय से स्टे के बावजूद नगर विकास न्यास पट्टे देने से गुरैज नही कर रही है। नगर विकास न्यास की यह कार्यशैली स्पष्ट इंगित करती है कि वर्तमान मे वो स्वंय के न्यायालय से भी उपर मान रहे है तथा मनमर्जी की कार्यशैली को अपनाये हुए अपने...

चित्तौड़गढ़, 17 अगस्त 2025। राजस्थान उच्च न्यायालय से स्टे के बावजूद नगर विकास न्यास पट्टे देने से गुरैज नही कर रही है। नगर विकास न्यास की यह कार्यशैली स्पष्ट इंगित करती है कि वर्तमान मे वो स्वंय के न्यायालय से भी उपर मान रहे है तथा मनमर्जी की कार्यशैली को अपनाये हुए अपने चेहतों को मलाई बांटने मे लगा हुआ है। 

प्रकरण के अनुसार राजस्व ग्राम चित्तौडगढ में स्थित कृषि भूमि खसरा सं. 307, 312, 313, 314, 315, 316, 317/1, 1436/2 कुलिया रकबा 8.10 हैक्टर के संबंध मे पारिवारिक विवाद के चलते एक प्रकरण राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मे पीटीषन नम्बर 5022/2011 के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। उक्त भूमि के मालिकों में से एक हीरा सिंह सोलंकी की उक्त भूमि पर एक बिल्डर द्वारा भूखण्ड काट कर पट्टे जारी कराये जा रहे है। जानकारी होने पर हीरासिंह सोलंकी के द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की शरण ली। सम्भागीय आयुक्त ने भी जिला कलेक्टर चितौडगढ को उक्त भूमि पर किसी भी तरह के पट्टे जारी नही किये जाने हेतु आदेश जारी किया हुआ है।

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की प्रधान पीठ द्वारा उक्त भूमि के संबंध में 28 अक्टूबर 2013 को स्थगन आदेश जारी किया। जिसमें स्पश्ट अंकल किया गया कि जब तक मूल पत्रावली का निस्तारण नही हो जाता तब तक आदेष दिया जाता है कि यदि विवादित भूमि का कोई और स्थानांतरण होता है, तो वह स्थगन याचिका संख्या 8774/11 और दूसरी स्थगन याचिका संख्या 8937/13 के निर्णय के अधीन होगा। मूल पत्रावली के निस्तारण होने तक उक्त प्रकरण की आगामी कार्यवाही को इसी स्टेज पर स्थगित रखा जाता हैं। 

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के स्थगन आदेश के बावजूद भी नगर विकास न्यास चित्तौडगढ के द्वारा उक्त भूमि मालिक की स्वेच्छा के बिना ही पट्टे जारी किये जा रहे है। जो राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की अवहेलना होकर अपराध की श्रेणी मे आता हैं। इसके बावजूद भी नगर विकास न्यास चित्तौडगढ के द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेश के बावजूद भी उक्त भूमि के भूखण्डो के संबंध मे भूमि मालिक हीरासिंह सोलंकी की इच्छा के बिना पट्टे जारी किया जाना यह स्पष्टतः इंगित करता है कि नगर विकास न्यास चितौडगढ द्वारा नाजायज लाभ प्राप्त किया गया है। जानकारी के अनुसार नगर विकास न्यास चितौडगढ के द्वारा करीब 26 पट्टे जारी कर दिये है। राजस्थान की सबसे बडे न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद नगर विकास न्यास की इस तरह की कार्य प्रणाली यह इंगित करती है कि उसके लिए किसी भी न्यायालय एवं किसी भी उच्चाधिकारीयों के कोई भी आदेश कोई मायने नही रखते है।

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