मैनेजमेंट के गुरु विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश से सीखिए मैनेजमेंट के ये गुण

Edited By Chandra Prakash, Updated: 06 Sep, 2024 03:38 PM

learn these qualities of management from lord shri ganesha

श्रीगणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर कल यानी कि 7 सिंतबर को प्रदेशभर के मंदिरों में धूम रहेगी । प्रदेशभर में इस पावन पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा । भगवान गणेश जी के लड्डुओं और मोदक का भोग लगाया जाएगा । ये तो हो गई गणेश चतुर्थी को लेकर...

यपुर, 6 सितंबर 2024 । श्रीगणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर कल यानी कि 7 सिंतबर को प्रदेशभर के मंदिरों में धूम रहेगी । प्रदेशभर में इस पावन पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा । भगवान गणेश जी के लड्डुओं और मोदक का भोग लगाया जाएगा । ये तो हो गई गणेश चतुर्थी को लेकर बात, अब बात कर लेते हैं कि मैनेजमेंट के गुरु भगवान श्रीगणेश से मैनेजमेंट की । तो आज हम भगवान गणेश जी के उन गुणों की चर्चा करेंगे, जिसका हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण हैं, जिसको हमारे जीवन में उतारने पर हमारी जिंदगी सफलता की ओर अग्रसर होती हुई दिखाई देगी । लिहाजा आज की इस भागदौड़ की जिंदगी में तनाव होना बहुत आम बात हो चुकी है। ऐसे में आप भगवान गणेश से लाइफ मैनेजमेंट के कुछ ट्रिक्स सीख सकते हैं, जिनके द्वारा आप हमेशा खुश रहेंगे और किसी भी मुसीबत का सामना बहुत ही आसानी से कर लेंगे। तो आज भगवान श्रीगणेश के शरीर के सभी अंगों से जानेंगे मैनेजमेंट के गुण 

गणेश जी के शरीर के सभी अंगों से मिलेगी शिक्षा, तो आइए जान लेते हैं गणेश के मैनेजमेंट के गुण

गजशीश (बड़े विचार रखना)  
भगवान गणेश का सिर हाथी का है जो काफी बड़ा है । गणेश का बड़ा शीश बड़े विचारों को दर्शाता है । जो व्यक्ति सफलता की सीढ़ी को छू लेता है वो हमेशा बड़ी सोच रखने वाला होता है । लाइफ मैंनेजमेंट में भी 'थिंक बिग' का काफी असर होता हुआ दिखाई देता है । क्योंकि का बड़ी सिर शांत स्वभाव को दर्शाता है, जो हमेशा बड़ी ही चतुराई से हर समस्या का समाधान खोज लेता है । इसी कारण भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के नाम से जाना जाता है । जो हमेशा अपनी सकारात्मक सोच के साथ देवताओं में आगे बने रहते हैं 

सूपकर्ण (ध्यान से सुनना)
गणेश के बड़े कान विशालकाय सूपड़े जैसे होते हैं जो बड़े होने के साथ ही हर छोटी बड़ी बात सुनने के प्रतीक होते हैं । ऐसे ही मैनेजमेंट में भी अगर आप बातों को ध्यान से सुनेंगे तो ही हर उस बात का सही जवाब दे पाएंगे । मतलब ध्यान से सुनने के लिए आपकों अपने कानों को बड़ा और खुला रखना होगा । दो सूपकर्ण का मतलब है कि हवा की हल्की आवाज भी आए तो आपके कान हमेशा खड़े हो जाए अर्थात चौकन्ने हो जाए । ऐसे में आप आने वाली हर बाधा से निपट सकते हो । साथ ही कानों का मतलब ये भी है कि एक कान से अच्छी बात सुनता है तो दूसरे कान से कचरा बाहर कर देता है । मतलब अच्छी बातों को ग्रहण करना और खराब बातों को निकाल देना । 

छोटी आंखे( बाज की तरह पैनी नजर) 
विघ्नहर्ता भगवान गणेश की छोटी-छोटी आंखे सुक्ष्मदर्शिता का प्रतीक है । भगवान गणेश जी की छोटी आंखे बाज की तरह हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहती है । मैनेजमेंट के सिद्धांत में हमेशा ये गुण बड़ा ही सार्थक सिद्ध होता है । अपने उद्देश्य के लिए हमेशा नजर बनाए रखना सफलता की ओर अग्रसर करती है । छोटी आंखों से मतलब पैनी नजर से है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके पहलुओं को अपनी पैनी नजर से जांच लेना चाहिए । अपने संस्थान के उन छोटे-छोटे कार्यों और कर्मचारियों पर नजर रखनी चाहिए जो आपकी कार्ययोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । 

छोटा मुंह(कम बोलने का प्रतीक)
सकारात्मकता से भरा विनायक का छोटा मुंह ये सिखाता है कि कोई भी बात सोच समझकर बोलना चाहिए, जितना हो सके कम बोलना चाहिए । जितनी जरूरत हो उतना ही बोले अन्यथा कई बार ज्यादा बोलने पर उपहास का कारण भी बन जाते हैं । इसलिए इंसान को व्यर्थ नहीं बोलना चाहिए । अगर आप संस्थान में भी सकात्मक नजरिए के साथ कम बोलेंगे तो भगवान गणेश जी की भांति लोकप्रिय रहोगे । और प्रबंधन में भी खासी भूमिका बनी रहेगी । 

सूंड/बड़ी नाक (हालात भांपना)
यहां सूंघने का मतलब खाने की चीजों को सूंघना नहीं बल्कि हर जगह पर सजगता बरतने से हैं, हर बुरी चीजों को पहचानने से हैं । ऐसे में आपकी सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर है कि आपकी ग्रहण करने और पहचानने की क्षमता कितनी तीव्र है । विनायक की बड़ी नाक दूर से सूंघने में काफी तीव्र है । मतलब आने वाले किसी भी हालात को भांपना ही मैनेजमेंट का सबसे बड़ी गुण है । 

एकदंत( लक्ष्य)
एक दांत होने के कारण गणपति एकदंत कहलाते हैं । नाक की सीध में एकदंत लक्ष्य का प्रतीक बताया जाता है । अर्थात मैनेजमेंट में सफलता हासिल करने के लिए अपने लक्ष्य की तरफ नजर बनाए रखनी चाहिए । जिस समय जो काम कर रहे हो उसी पर अपना ध्यान रखना चाहिए । एक ही चीज पर अपना फोकस रखे । 

लंबोदर/बड़ा पेट(हर तरह की बाते पचाना) 
भगवान गणेश जी का बड़ा पेट इस बात का प्रतीक है कि वो हर बात को पचा लेते हैं । अर्थात मैनेजर या प्रबंधक का भी ऐसा ही गुण होना चाहिए जो संस्थान में हो रही हर बातों को अपने अंदर समा सके । कहा जाता है कि लंबोदर के बड़े उदर में पूरा ब्रह्मांड समाया रहता है । इसका मतलब ये है कि हर छोटी बड़ी बातों को हजम करना । एक सफल महा प्रबंधक को अपनी सफलता और असफलता पूरी तरह से हजम करना आना चाहिए । कई लोग जरा सी सफलता पर शोर मचाने लगते हैं । सफल व्यक्ति वहीं होता है जो हर बड़ी से बड़ी सफलता को भी पचा जाए ।    

रक्तबदन/लाल रंग (सकारात्मक ऊर्जा) 
विघ्नहर्ता विनायक रक्त वर्णी है, अर्थात रक्त का रंग लाल होता है जो ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है । मतलब संस्थान में व्यक्ति को हमेशा ऊर्जावान(एक्टिव) रहना चाहिए । सफलता पाने के लिए हमेशा सक्रिय रहे, सकारात्मक नजरिया बनाए रखे।

चार हाथ (हर तरह का प्रयास करना)
भगवान गणेश जी के चारों हाथ चारों दिशाओं का प्रतीक है, वे सृजनकर्ता का अवतार है । अर्थात अपनी सफलता के लिए हर संभव प्रयास करना, मतलब व्यक्ति को श्याम, दाम, दंड और भेद वाली नीति अपनाते हुए अपनी सफलता के लिए चारों तरफ प्रयास करना चाहिए । भगवान गणेश जी के हाथ एक तरफ आशीर्वाद तो दूसरी तरफ मोदक रखे हैं ये इस बात की ओर इशारा है कि प्रबंधन में सामने वाले व्यक्ति से अपना व्यवहार सही रखना चाहिए ।    
  
चद्रशीश(शांत रहना)
विनायक के भाल पर चंद्रमा आरूढ़ रहता है जो शांति का प्रतीक माना जाता है । व्यक्ति को सफलता मिलने के बाद शांत बने रहना चाहिए । मतलब किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए । हर परिस्थिति में अपने आप को शांत बनाकर आगे की योजना बनाते रहे । क्योंकि शांत रहना आपको अपने प्रबंधन में ख्याती दिलवा सकता है ।  

मूषक वाहन(चंचलता और अहंकार)
गणेश जी का मूषक चंचलता और अहंका का प्रतीक माना जाता है। अर्थात व्यक्ति को अपनी चंचलता और अहंकार को अपने पैरों तले दबाकर रखें । साथ ही यह भी कहा जाता है कि छोटे से छोटे जीव से भी स्नेह रखना चाहिए । अगर ये गुण प्रबंधन की दृष्टि से देखें तो संस्थान में छोटे से छोटे कर्मचारी को भी साथ लेकर चलना चाहिए और व्यवहारिक होना चाहिए ।  

जमीन पर पैर(हवा में न उड़े)
गणेश जी के पैर संतुलन के प्रतीक माने जाते हैं । वहीं गणेश जी का एक पैर जमीन से छूता रहता है, इसका तात्पर्य है कि सदा जमीन से जुड़े रहो अर्थात हवा में मत उड़ो । एक मैनेजर को हवाई योजनाएं न बनाकर धरातल वाली योजनाओं को अंजाम देना चाहिए । ताकि उन योजनाओं का लाभ सभी को मिल सके । 

ये थे बुद्धि के देवता श्रीगणेश के मैनेजमेंट से जुड़े हुए कुछ फंडे । जिसकी मदद से आप अपने ऑफिस, अपने बिजनस, राजनीति में उपयोग कर बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं । 
 

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