नरेश मीणा पर लगे आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध, जाट समाज ने दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम |

Edited By Rahul yadav, Updated: 16 Nov, 2024 01:05 PM

jat community gives 24 hour ultimatum to rajasthan government on naresh meena

टोंक जिले के देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा समरावता गांव में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ झड़ने के मामले में जाट समाज में आक्रोश है.

राजस्थान में नरेश मीणा थप्पड़ कांड: जाट समाज और सरकार के बीच तनाव बढ़ा

राजस्थान में नरेश मीणा थप्पड़ कांड इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला तब सामने आया जब टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने समरावता गांव में एसडीएम अमित कुमार चौधरी को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद समरावता गांव में हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई लोगों को नुकसान उठाना पड़ा। घटना के बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है। जहां एक तरफ नरेश मीणा के समर्थक उनके पक्ष में खड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ कई समुदाय, विशेष रूप से जाट समाज, ने उनका कड़ा विरोध किया है। जाट समाज ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए इसे लोकतंत्र और सदन की गरिमा पर आघात करार दिया है। समाज ने झुंझुनू में बैठक कर सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। बैठक में जाट समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को विधानसभा या लोकसभा में चुनने से सदन की गरिमा को ठेस पहुंचेगी और इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होगी।

जाट समाज ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि:

नरेश मीणा पर आजीवन चुनाव लड़ने का प्रतिबंध लगाया जाए।

एसडीएम पर हुए हमले के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घटना से जुड़े सभी पक्षों को न्याय दिलाया जाए।

24 घंटे का अल्टीमेटम और आंदोलन की चेतावनी

जाट समाज ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। समाज के अनुसार, यदि सरकार इस समयसीमा में दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती है, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। जाट समाज के विभिन्न संगठनों ने मिलकर सरकार को चेतावनी दी है कि वे इस मामले को हल्के में न लें।

नरेश मीणा पर कानूनी कार्रवाई

शुक्रवार (15 नवंबर) को नरेश मीणा को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें फिजिकली कोर्ट में लाने के बजाय वीडियो लिंक के माध्यम से पेश किया गया। कोर्ट ने नरेश मीणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इसके बाद भारी सुरक्षा के बीच उन्हें टोंक जिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

घटना का प्रभाव: राजनीति और समाज पर असर

इस घटना ने राजस्थान की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरी छाप छोड़ी है।

1.) राजनीतिक प्रभाव:

इस घटना से चुनावी माहौल गरम हो गया है।

विभिन्न दल और नेता इस घटना को लेकर अपनी-अपनी राजनीति साधने की कोशिश कर रहे हैं।

जाट समाज जैसे प्रभावशाली समुदाय का विरोध, राज्य सरकार और निर्दलीय उम्मीदवार दोनों के लिए एक चुनौती है।

2.) सामाजिक प्रभाव:

समरावता गांव में हिंसा के कारण स्थानीय लोगों को काफी नुकसान हुआ है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन और राजनेताओं के बीच विश्वास की कमी बढ़ी है।

जाट समाज जैसे संगठनों का एकजुट होकर विरोध करना, समुदाय की नाराजगी का संकेत है।

जाट समाज की मांगें और सरकार की जिम्मेदारी :

जाट समाज की मांगें न केवल इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

सरकार पर दबाव है कि:

1.) दोषियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए।

2.) प्रभावित लोगों को न्याय और मुआवजा मिले।

3.) हिंसा की स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए सामुदायिक सद्भाव बनाए रखा जाए।

 

क्या हो सकता है आगे का रास्ता?

 

1.) सरकार का कदम:

यदि सरकार जाट समाज की मांगों को नहीं मानती, तो विरोध प्रदर्शन और बढ़ सकते हैं।

प्रशासन को लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए सक्रियता दिखानी होगी।

2.) चुनावी प्रभाव:

यह मामला आगामी चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।

विपक्षी दल इसे सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ हथियार बना सकते हैं।

नरेश मीणा थप्पड़ कांड ने राजस्थान की राजनीति और समाज में उथल-पुथल मचा दी है। यह मामला न केवल एक व्यक्ति की हरकत का है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे एक घटना राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बड़ी बहस का मुद्दा बन सकती है। अब यह देखना अहम होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले को कैसे संभालते हैं और क्या जाट समाज की मांगों पर ठोस कदम उठाए जाते हैं।

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