Edited By Chandra Prakash, Updated: 25 Aug, 2024 09:26 PM
हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक है, गुजरात का श्री द्वारकाधीश मंदिर । जहां जन्माष्टमी पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है । गुजरात के द्वारिकाधीश मंदिर की तरह ही द्वारकाधीश मंदिर झालरापाटन में भी बहुत कुछ समानताएं हैं, जिसके चलते इस...
झालावाड़, 25 अगस्त 2024(ओमप्रकाश शर्मा) । हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक है, गुजरात का श्री द्वारकाधीश मंदिर । जहां जन्माष्टमी पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है । गुजरात के द्वारिकाधीश मंदिर की तरह ही द्वारकाधीश मंदिर झालरापाटन में भी बहुत कुछ समानताएं हैं, जिसके चलते इस मंदिर में भक्त को गहरी आस्था से जोड़ती हैं।
उसी अनुसार राजस्थान के झालावाड़ जिलें के मंदिरों की नगरी झालरापाटन कर्नल जेम्स टॉड में यहां के मंदिरों की घंटियों की ध्वनि को सुनकर झालरापाटन को 'सिटी ऑफ बेल्स' का नाम दिया था । इस शहर में सैकड़ों की तादाद में मंदिर है । इनमें भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध मंदिर द्वारिकाधीश का है । जिसे 'हाड़ौती का नाथद्वारा' भी कहा जाता है ।
आइए आपको बताते हैं, जन्माष्टमी पर कैसा होता है द्वारकाधीश मंदिर का नजारा...इस मंदिर का निर्माण होने के बाद महाराजा जालिम सिंह ने 1804 में राजघराने के इष्टदेव प्रभु श्रीनवनीत प्रिया जी की प्रतिमा को विराजित किया था। मंदिर बनने के 10 साल बाद यहां 25 मार्च 1806 को भगवान द्वारिकाधीश की प्रतिमा की स्थापना की गई। द्वारकाधीश मंदिर में पूरे साल राजस्थान मध्यप्रदेश समेत कई प्रदेशों से श्रद्धालु श्रीकृष्ण के दर्शन करने आते हैं । जन्माष्टमी के अवसर पर द्वारकाधीश मंदिर का नजारा बेहद मनोरम दिखाई देता है । इस मौके पर पूरे द्वारका को सजाया जाता है । जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने संपूर्ण विश्व से भक्तजन गुजरात के द्वारका पहुंचते हैं । अगर आप भी इस जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर होना चाहते हैं, तो जरुर आएं झालरापाटन के द्वारकाधीश मंदिर....।
भव्य होता है जन्माष्टमी का आयोजन
श्री द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है । इसके लिए पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा। जन्माष्टमी का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस है, चालुक्य शैली वास्तुकला में बने द्वारकाधीश मंदिर में प्रभु श्रीकृष्ण की काले संगमरमर से बनी मूर्ति स्थापित है ।
इस दिन होती है विशेष पूजा
जन्माष्टमी के दिन श्री द्वारकाधीश मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है । भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का शुभारंभ सुबह मंगल आरती के साथ होती है । सुबह 7 बजे 101 किलो दूध,दही,घी,शक्कर,शहद से भगवान द्वारिकाधीश के साथ अष्ट सखा एवं अर्जुन की प्रतिमा का अभिषेक किया जाएगा । जिसके दर्शन सुबह 8 बजे तक खुले रहेंगे। शाम को 7:30 से दर्शन खुलेंगे जो लगातार रात 11:30 बजे तक पर्दे में कराए जाएंगे। इसके बाद भगवान द्वारिकाधीश के जन्मोत्सव दर्शन ठीक 12 बजे होंगे। कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर रात 12 बजे भगवान कृष्ण को बंदूके दाग कर सलामी दी जाएगी। यह परंपरा यहां रियासत काल से चली आ रही हैं। रात 8:30 बजे से 12:30 बजे तक मंदिर प्रांगण में भजन कीर्तन चलता हैं । मंगलवार को सुबह 8 बजे मंदिर में भगवान के पलना दर्शन होंगे और 10 बजे से 11:30 तक नंदोत्सव मनाया जाएगा।
द्वारिकाधीश मंदिर गुजरात से मिलती समानताएं :-
राजस्थान के झालरापाटन में भी है द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात के द्वारिकाधीश की प्रतिमा से लेकर बहुत कुछ है समान दोनों द्वारिकाधीश की यह हैं प्रमुख समानताएं
- गुजरात में द्वारिकाधीश मंदिर अरब सागर के पास गोमती नदी के तट पर है, झालरापाटन में द्वारिकाधीश गोमती सागर तालाब के तट पर स्थित है।
- गुजरात में मंदिर का आधा भाग सागर के अंदर स्थित है, तो झालरापाटन में भी द्वारिकाधीश का आधा मंदिर गोमती सागर तलाब के पानी में है।
- गुजरात के द्वारिकाधीश व झालरापाटन के द्वारिकाधीश मंदिर में विराजित प्रतिमा एक जैसी और एक ही आकार की है।
- दोनों ही स्थानों पर द्वारिकाधीश की प्रतिमा शंख, गदा व पदम के साथ विराजमान है।
- गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में निर्धारित समय के अनुसार ही झालरापाटन के द्वारिकाधीश मंदिर में भी सुबह मंगला आरती, शृंगार आरती व राजभोग आरती होती है, जबकि शाम को उत्थापन दर्शन के बाद संध्या आरती व शयन आरती होती है।
- दीपावली के बाद व एकादशी से पहले दोनों जगह एक ही दिन अन्नकूट होता है।