Edited By Chandra Prakash, Updated: 18 Mar, 2025 03:14 PM

शहर की प्रमुख खुदरा सब्जी मंडी में अराजकता चरम पर है। सड़कों पर बेतरतीब खड़े ठेले, अव्यवस्थित पार्किंग और अतिक्रमण के कारण यहां यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ठीक इसी मंडी में पुलिस थाना स्थित है जिसके गेट पर ही...
हनुमानगढ़, 18 मार्च (बालकृष्ण थरेजा ): शहर की प्रमुख खुदरा सब्जी मंडी में अराजकता चरम पर है। सड़कों पर बेतरतीब खड़े ठेले, अव्यवस्थित पार्किंग और अतिक्रमण के कारण यहां यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ठीक इसी मंडी में पुलिस थाना स्थित है जिसके गेट पर ही दर्जनों रेहड़िया लगी हुई हैं। शाम के समय तो स्थिति और भी विकट हो जाती है, जब सड़क पर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। ईश्वर न करे यदि किसी आपात स्थिति में पुलिस को तुरंत कहीं रवाना होना पड़े तो थाने के गेट से ही वाहन निकालने में भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।
समस्या का हल तैयार हुआ, लेकिन प्रशासन सोया रहा
उल्लेखनीय है कि वर्तमान विधायक गणेश बंसल जब नगर परिषद के सभापति थे, तब उन्होंने सब्जी मंडी को व्यवस्थित करने की एक ठोस योजना तैयार की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद वे विधायक निर्वाचित हो गए और यह योजना अधर में लटक गई। इसके बाद सभापति बने सुमित रिणवा ने इस समस्या को हल करने की कोशिश की। उन्होंने टाऊन थाना के सामने स्थित सरकारी नजूल संपत्ति में पुलिस क्वार्टर खाली कराकर वहां चारदीवारी के भीतर ठेलों और खोखों को शिफ्ट करने का प्रस्ताव बनाया। योजना के तहत 54 पात्र ठेला चालकों के लिए सर्वे कर 8x6 साइज के फर्श तैयार किए गए। योजना के तहत 64 दुकानों के लिए चार लाइनों में 16-16 के समूह में फर्श बनाए गए। लेकिन अब हालात ये हैं कि नगर परिषद में बोर्ड की जगह प्रशासक लागू है और लंबे समय से यह स्थान ठेला चालकों के लिए तैयार पड़ा है लेकिन कोई इसे व्यवस्थित करने की दिशा में कदम नहीं उठा रहा।
सड़क पर कब्जा, आए दिन झगड़े
सब्जी मंडी में अव्यवस्था और अतिक्रमण के कारण वाहन चालकों के बीच झगड़े आम हो गए हैं। नगर परिषद द्वारा यातायात को नियंत्रित करने के लिए क्यूसेक के आगे लगाए गए लोहे के ग्रिल को खोखा संचालकों ने तोड़ दिया और अब वे बीच सड़क पर आकर खड़े हो जाते हैं, जिससे यातायात पूरी तरह बाधित हो जाता है।
प्रशासन नेआंखें मूंदी
यह पूरा मामला पुलिस, नगर परिषद और प्रशासन की निष्क्रियता का प्रतीक बन चुका है। प्रशासन की ढिलाई के चलते अतिक्रमणकारी बेखौफ हैं, जबकि आमजन परेशान है।
अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस प्रशासन अपनी ही सुरक्षा और आपात सेवाओं के लिए खतरा बने इस अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई करेगा ? क्या नगर परिषद अतिशीघ्र कदम उठाते हुए निर्धारित हो चुके स्थान पर रेहड़ी चालकों को स्थानांतरित करेगी? अगर जल्द ही ठेला-खोखा संचालकों को नियोजित स्थान पर शिफ्ट नहीं किया गया तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। प्रशासन को अब कुंभकर्णी नींद से जागना होगा, वरना जनता का आक्रोश फूटना तय है।