Edited By Chandra Prakash, Updated: 05 Aug, 2025 02:34 PM

राजस्थान के जैसलमेर में ऐतिहासिक सोनार किले की सुरक्षा अब गंभीर खतरे में है। जहां आम नागरिक अपने घर में मरम्मत तक नहीं करवा सकते, वहीं रसूखदारों द्वारा किले के चारों ओर नियमों को ताक पर रखकर बहुमंजिला होटल्स और इमारतें बनाई जा रही हैं। पुरातत्व...
जैसलमेर, 5 अगस्त 2025 । राजस्थान के जैसलमेर में ऐतिहासिक सोनार किले की सुरक्षा अब गंभीर खतरे में है। जहां आम नागरिक अपने घर में मरम्मत तक नहीं करवा सकते, वहीं रसूखदारों द्वारा किले के चारों ओर नियमों को ताक पर रखकर बहुमंजिला होटल्स और इमारतें बनाई जा रही हैं। पुरातत्व विभाग और नगर परिषद की आंखों के सामने यह सब चल रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
क्या है पूरा मामला?
जैसलमेर किले के 300 मीटर दायरे में किसी भी नए निर्माण, मरम्मत या कनेक्शन (बिजली-पानी) के लिए पुरातत्व विभाग की अनुमति अनिवार्य है। आम लोगों को यह अनुमति नहीं मिलती, लेकिन कॉरपोरेट्स और रसूखदार लोग आलीशान होटल्स खड़ी कर रहे हैं। कई इमारतों की ऊंचाई 11 मीटर से ज्यादा है, जो नगर परिषद के नियमों के भी खिलाफ है। पुरातत्व विभाग और नगर परिषद की चुप्पी इस पूरे प्रकरण को संदिग्ध बना रही है।
निर्माण कैसे हो रहा है? जवाब है - मिलीभगत और भ्रष्टाचार!
सवाल अब यह नहीं रहा कि अवैध निर्माण हो रहा है या नहीं... सवाल यह है कि यह निर्माण “कैसे और किसके संरक्षण में” हो रहा है ?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह एक सुनियोजित माफियातंत्र और मिलीभगत का परिणाम है। विभाग केवल नोटिस थमाकर इतिश्री कर रहा है, लेकिन कोई निर्माण रुका नहीं है। “कुंभकर्णी नींद” नहीं, बल्कि “चुप सहमति” में डूबे अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी?
नगर परिषद आयुक्त लजपाल सिंह सोढा ने पंजाब केसरी से बातचीत में कहा: “हमें इन अवैध निर्माणों की जानकारी है। जिन इमारतों की ऊंचाई 11 मीटर से अधिक है, उन पर कार्रवाई की जाएगी। पुरातत्व विभाग से समन्वय किया जा रहा है।”
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी लिया संज्ञान
इस मामले की रिपोर्ट जोधपुर और दिल्ली तक पहुंच चुकी है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। कुछ निर्माणों को गिराने और निर्माण रोकने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, चुप्पी साधे अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
जैसलमेर: केवल शहर नहीं, पहचान है हमारी
यह मामला केवल एक अवैध निर्माण का नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक जिम्मेदारी और प्रशासनिक असफलता का आइना है। अगर अब भी आवाज़ नहीं उठाई गई, तो आने वाली पीढ़ियां जैसलमेर की इस सोने जैसी चमक को इतिहास में ढूंढती रह जाएंगी।