Edited By Raunak Pareek, Updated: 24 Jul, 2025 04:46 PM

जैसलमेर के बासनपीर गांव में छतरियों के विवाद के बीच राधेश्याम कल्ला के महंत प्रतापपुरी पर दिए गए बयान से संत समाज में रोष। बाद में गजरूप सागर मठ जाकर मांगी माफी, महंत बाल भारती ने दिखाई उदारता।
बासनपीर गांव में छतरियों के जीर्णोद्धार को लेकर उपजा विवाद लगातार नया मोड़ लेता जा रहा है। जहां एक ओर धार्मिक धरोहर के पुनर्निर्माण पर राजनीति गरमाई, वहीं दूसरी ओर एक विवादित बयान ने पूरे संत समाज को आक्रोशित कर दिया। 10 जुलाई को छतरियों के निर्माण के दौरान पत्थरबाजी हुई थी, जिसके बाद भारी पुलिस बल की निगरानी में निर्माण कार्य संपन्न हुआ। फिर पूर्व सांसद और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने सर्वधर्म सभा का ऐलान किया, जिसके जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भी मौके पर पहुंचे। मामला गंभीर होता देख प्रशासन ने तुरंत धारा 163 लागू कर दी, जिसके चलते सभा को बाड़मेर-जैसलमेर बॉर्डर पर शिफ्ट करना पड़ा।
सभा के दौरान कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक के पुत्र राधेश्याम कल्ला ने गुस्से में आकर पोकरण विधायक व तारातरा मठाधीश महंत प्रतापपुरी को थप्पड़ मारने जैसा आपत्तिजनक बयान दे दिया। यह बयान जैसे ही सामने आया, संत समाज सहित हिन्दू संगठनों में भारी रोष फैल गया। देशभर में विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपे गए।
हालात बिगड़ते देख, राधेश्याम कल्ला ने गजरूप सागर मठ पहुंचकर महंत बाल भारती महाराज के चरणों में माफी मांगी और उनके माध्यम से महंत प्रतापपुरी से भी क्षमा याचना की। महंत बाल भारती ने इस पर कहा, "संतों का हृदय विशाल होता है।" उन्होंने प्रतापपुरी द्वारा क्षमा देने की बात साझा करते हुए सभी से अपील की कि किसी भी संत के प्रति अशोभनीय टिप्पणी से बचें। इस घटनाक्रम ने जैसलमेर की राजनीति और संत समाज में गहरी हलचल पैदा कर दी, लेकिन अंततः संवाद और क्षमा के माध्यम से स्थिति को संतुलन मिला।