Edited By Raunak Pareek, Updated: 30 Jul, 2025 04:44 PM

जयपुर में लघु उद्योग भारती के सभागार में साइबर अपराध पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें पुलिस अधिकारियों और साइबर एक्सपर्ट्स ने डिजिटल अरेस्ट, वॉइस चेंजर और AI जैसे नए साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय बताए।
तेजी से बदलती तकनीक जहां एक ओर हमारी जिंदगी को आसान बना रही है, वहीं दूसरी ओर यह साइबर अपराधियों के लिए भी एक हथियार बनती जा रही है। इसी गंभीर विषय पर जनजागरूकता फैलाने के लिए जयपुर में लघु उद्योग भारती के सभागार में एक विशेष साइबर क्राइम अवेयरनेस कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का नेतृत्व लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा और प्रदेश उपाध्यक्ष महावीर चोपड़ा ने किया। कार्यशाला में आमजन को यह समझाया गया कि किस तरह से साइबर अपराधी अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और वॉइस चेंजर टूल्स का उपयोग कर लोगों को ठग रहे हैं।
इस मौके पर पुलिस अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह सहित कई साइबर एक्सपर्ट्स मौजूद रहे। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट जैसे फर्जी कॉल्स, वॉइस मिमिक्री, फर्जी पुलिस अफसर बनकर डराने की कोशिश और सोशल मीडिया फ्रॉड जैसे नए तरीकों से बचाव के व्यावहारिक टिप्स साझा किए।
महावीर चोपड़ा ने बताया कि अब साइबर क्राइम का दायरा इतना बढ़ गया है कि बच्चों से लेकर बुजुर्ग, यहां तक कि अधिकारी भी इसके शिकार हो रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी, OTP या बैंक डिटेल्स कभी भी साझा न करें। इस कार्यशाला का मुख्य संदेश था – "सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।" तकनीक के इस युग में सतर्क रहना ही साइबर अपराध से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।