बांसवाड़ा में गोल्ड माइनिंग के लिए 8000 करोड़ का निवेश, करीब 6 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

Edited By Chandra Prakash, Updated: 17 Oct, 2024 02:16 PM

investment of 8000 crores for gold mining in banswara

बांसवाड़ा में आयोजित राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टर मीट में गोल्ड माइनिंग के लिए 8000 करोड़ रुपये का निवेश आया है, जिससे करीब 6 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इसके अलावा, जिले में अन्य औद्योगिक प्रस्ताव भी सामने आए हैं। समिट में शामिल जनजाति विकास...

 

बांसवाड़ा, 17 अक्टूबर 2024 । बांसवाड़ा में आयोजित राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टर मीट में गोल्ड माइनिंग के लिए 8000 करोड़ रुपये का निवेश आया है, जिससे करीब 6 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इसके अलावा, जिले में अन्य औद्योगिक प्रस्ताव भी सामने आए हैं। समिट में शामिल जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जिले में औद्योगिक विकास के साथ रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

बांसवाड़ा जिले में होटल और रिसोर्ट के लिए 65 करोड़ रुपए के 8 प्रस्ताव, 680 करोड़ रुपए की 3 मैंगनीज खदानों के अलावा 60 करोड़ रुपए के 17 मिनरल प्रोसेसिंग प्रस्ताव मिले हैं। इस तरह कुल मिलाकर 52 उद्योगपतियों से 8936.46 करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए गए हैं, जिनकी डेडलाइन 2025-26 निर्धारित की गई है।

सवाई माधोपुर और जैसलमेर में होटल-रिसोर्ट का विकास
सवाई माधोपुर में 34 निवेशकों ने होटल और रिसॉर्ट खोलने के लिए एमओयू साइन किए हैं, जबकि जैसलमेर में 78 में से 45 निवेशकों ने इसी प्रकार के प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है। इसके अलावा, रामगढ़ में सेरेंटिका रिन्यूएबल्स इंडिया लिमिटेड ने 20,000 करोड़ रुपए की लागत से एनर्जी पार्क डेवलप करने के लिए भी एमओयू साइन किया है।

माइंस का विकास
जिला कलेक्टर डॉ. इन्द्रजीत यादव ने बताया कि बांसवाड़ा में सबसे बड़ा निवेश गोल्ड माइंस के लिए 8000 करोड़ रुपए है, जबकि 3 मैंगनीज की खदानों के लिए 680 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। चारों माइंस की नीलामी हो चुकी है और सभी की निवेशक एक ही फर्म सैयद ओवेस अली है। इसके प्रतिनिधि ओमजी तरड़ ने बताया कि गोल्ड माइंस के लिए कोई विवाद नहीं है और पर्यावरण व वन विभाग से क्लीयरेंस मिलने पर काम शुरू किया जाएगा। यदि सभी चार माइंस शुरू होते हैं, तो जिले में लगभग 9300 लोगों को रोजगार मिलेगा।

दानपुर में नहीं लगेगा पावर प्लांट
लघु उद्योग भारती के सचिव दीनदयाल शर्मा ने बताया कि जिले में खनिज और पानी की प्रचुरता के बावजूद पिछले शासन में घोषित तीन औद्योगिक क्षेत्रों का विकास नहीं हो सका, क्योंकि सरकारी जमीन की कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि दानपुर क्षेत्र में थर्मल पावर प्लांट के लिए दी गई जमीन का औद्योगिक उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि प्लांट की स्थापना नहीं हो रही है। समिट में शामिल निवेशकों ने अपनी समस्याओं को भी बताया। समिट में जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र के महाप्रबंधक हितेश जोशी, केआर मेघवाल, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त गौरव बजाड़, अतिरिक्त जिला कलक्टर  अभिषेक गोयल आदि मौजूद थे।

बुनियादी ढांचे की कमी
निवेशकों ने जिले में नेशनल हाईवे, बिजली आपूर्ति, नया औद्योगिक क्षेत्र, हवाई सेवा, और अलग जीएसएस जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।  

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