कृत्रिम गर्भाधान से देश में पहले गोडावण का ब्रीडिंग सेंटर में जन्म, सफल होने से अब बढ़ेगा गोडावण का कुनबा

Edited By Chandra Prakash, Updated: 24 Oct, 2024 02:45 PM

if it is successful the great indian bustard family will grow

देश में खत्म हो रही गोडावण की फौज बढ़ाने के लिए लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। जिसके चलते ही पहली बार आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पहले गोडावण का जन्म हुआ है। रामदेवरा व सुदासरी में ब्रीडिंग सेंटर लगाया गया है। जिसके बाद फील्ड से गोडावण के अंडे उठाकर...

जैसलमेर, 24 अक्टूबर 2024 । देश में खत्म हो रही गोडावण की फौज बढ़ाने के लिए लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। जिसके चलते ही पहली बार आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से पहले गोडावण का जन्म हुआ है। रामदेवरा व सुदासरी में ब्रीडिंग सेंटर लगाया गया है। जिसके बाद फील्ड से गोडावण के अंडे उठाकर उन्हें ब्रीडिंग सेंटर में फर्टिलाइज कर गोडावण को जन्म दिया गया। ब्रीडिंग सेंटर में ही जन्मे नर व मादा गोडावण के बीच मेटिंग करवाकर कुनबा बढ़ाने का प्रयास हुआ। यह सभी प्रयास सफल भी हुए। इसके बाद कुछ समय पहले ब्रीडिंग सेंटर के वैज्ञानिक अबू धाबी जाकर प्रशिक्षण भी लेकर आए। 

नर गोडावण के स्पर्म मादा गोडावण में इंजेक्ट कर किया था प्रयोग 
रामदेवरा के दो साल के गोडावण 'सुदा' के लिए लकड़ी की नकली मादा गोडावण बनाई गई। शर्मीले स्वभाव के चलते सुदा लकड़ी की नकली मादा गोडावण से 8 महीने में पूरी तरह से घुल मिल गया। स्पर्म को लेकर सुदासरी स्थित ब्रीडिंग सेंटर की मादा 'टोनी' में डाला गया। एक महीने में ही टोनी ने अंडा दे दिया। सुदासरी में ही अंडे को रखकर फर्टिलाइज किया गया। अब अंडे से नन्हा गोडावण बाहर आ गया है। 

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गोडावण में कृत्रिम गर्भाधान का यह पहला मामला
गोडावण में कृत्रिम गर्भाधान का यह पहला मामला है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने काफी प्रयास किए है। जैसलमेर में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सभी प्रयास सफल भी हुए है। अबू धाबी में होबारा बस्टर्ड की तर्ज पर ही कृत्रिम गर्भाधान करवाया गया है। डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों द्वारा गोडावण संरक्षण को लेकर काफी प्रयास किए जा रहे है। 20 सितंबर को मादा गोडावण टोनी को कृत्रिम गर्भाधान करवाया गया। ऐसे में लुप्त हो रही यह प्रजाति का अब संरक्षण हो जाएगा। 

सरकार द्वारा पूर्व में गोडावण के संरक्षण को लेकर कई प्रयास किए गए। लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद गोडावण का संरक्षण नहीं हो पाया। लेकिन अब रामदेवरा व सुदासरी ब्रीडिंग सेंटर में किए गए सभी प्रयास सफल हो गए है। जिसके बाद अब उम्मीद है कि गोडावण की प्रजाति विलुप्त नहीं होकर अब नई फौज तैयार हो रही है। टोनी ने गत 24 सितंबर को अंडा दिया। अंडे की देखभाल की गई। आखिरकार वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा ये निकला कि 16 अक्टूबर को अंडे से गोडावण का चूजा बाहर आया। इस चूजे की देखभाल की गई। करीब एक हफ्ते तक चूजे को आब्जर्वेशन में रखा गया और उसके सभी मेडिकल टेस्ट किए गए। अब नन्हा गोडावण पूरी तरह से स्वस्थ है। जिसके बाद अब जैसलमेर में गोडावण की संख्या 173 हो गई है। जिसमें 45 गोडावण ब्रीडिंग सेंटर व 128 गोडावण फील्ड में घूम रहे हैं।
 

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