अतिवृष्टि प्रभावित किसानों ने मसीतांवाली हैड पर किया चक्काजाम, पिछले नौ दिन से बेमियादी धरने पर डटे किसान

Edited By Chandra Prakash, Updated: 03 Oct, 2024 08:29 PM

heavy rain affected farmers blocked the masitanwali head

अतिवृष्टि प्रभावित दर्जनभर गांवों के किसानों ने गुरुवार को पूर्व घोषणानुसार अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले मसीतांवाली हैड पर चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम से सडक़ मार्ग के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस दौरान पुलिस का भारी जाप्ता मौके पर...

 

नुमानगढ़, 3 अक्टूबर 2024 । अतिवृष्टि प्रभावित दर्जनभर गांवों के किसानों ने गुरुवार को पूर्व घोषणानुसार अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले मसीतांवाली हैड पर चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम से सडक़ मार्ग के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस दौरान पुलिस का भारी जाप्ता मौके पर तैनात रहा। कुछ किसान ट्रैक्टरों के पीछे हल जोडक़र जाम स्थल पर पहुंचे। इस बात को लेकर किसानों की पुलिस अधिकारियों के साथ तनातनी भी हुई। 

 

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करीब एक दर्जन गांव के किसानों की फसलें पूर्ण रूप से नष्ट- जगजीत सिंह
धरनास्थल पर हुई सभा में किसान नेता जगजीत सिंह जग्गी ने बताया कि दो अगस्त को हुई लगातार भारी बारिश से क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव के किसानों की फसलें पूर्ण रूप से नष्ट हो गईं। 25 अगस्त से किसान मसीतांवाली हैड पर बेमियादी धरने पर बैठा है। किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद लिखित समझौता हुआ था कि अतिवृष्टि से प्रभावित तमाम गांवों-चकों में 10 दिनों में पाइपें, ट्रांसफार्मर सहित तमाम संसाधन उपलब्ध करवा कर पानी निकासी कर दी जाएगी। बर्बाद फसलों, क्षतिग्रस्त मकानों का तुरंत सर्वे करवाया जाएगा। किसानों-मजदूरों को शैड दिए जाएंगे। मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम व 500 रुपए मजदूरी के लिए सरकार को लिखा जाएगा लेकिन प्रशासन और सरकार ने दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। इसके विरोध में दर्जनभर गांवों के किसानों व मजदूरों ने मसीतांवाली हैड चौराहे को जाम करने का निर्णय लिया। 

 

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किसानों-मजदूरों के मकानों में अतिवृष्टि के बाद आई दरारें- जगजीत सिंह 
उन्होंने कहा कि आज तक प्रशासन ने खराब फसलों का पूर्ण रूप से आकलन भी नहीं किया है। इलाके में जिन किसानों-मजदूरों के मकानों में अतिवृष्टि के बाद दरारें आई हैं, पटवारी उन मकान का सर्वे भी नहीं कर रहे। जिन किसानों-मजदूरों के मकान आबादी क्षेत्र से बाहर हैं। नर्सरी या अन्य स्थानों पर हैं उनकी रिपोर्ट में भी आनाकानी की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समझौता वार्ता में सहमति बनी थी कि ग्राम पंचायत स्तर पर कैंप लगाए जाएंगे। विगत दिवस कैंपों में 200 रुपए प्रत्येक पीडि़त किसान-मजदूर से लिए गए हैं। अतिवृष्टि से प्रभावित गांवों चकों में पानी निकासी के तमाम संसाधन उपलब्ध करवाने को लेकर प्रशासन और सरकार गंभीर नहीं है। किसान-मजदूर 2 माह से लगातार आंदोलनरत हैं। अब आर-पार का संघर्ष ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि जब तक मांग पूरी होती है तब तक चक्काजाम जारी रहेगा। पुलिस लाठियां बरसाए या गोली चलाए, किसान-मजदूर पीछे नहीं हटने वाला।

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