महात्मा गांधी अस्पताल में हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट, हार्ट फेलियर मरीज को मिला नया जीवन

Edited By Afjal Khan, Updated: 16 Dec, 2023 07:00 PM

heart transplant done in mahatma gandhi hospital

सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर में शुक्रवार को एक रोगी को हार्ट ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ब्रेन डेड हुए एक 37 वर्षीय रोगी सुशील कुमार के परिजनों द्वारा स्वैच्छिक तौर पर अंगदान किया गया है ।...

जयपुर । सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर में शुक्रवार को एक रोगी को हार्ट ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ब्रेन डेड हुए एक 37 वर्षीय रोगी  सुशील कुमार के परिजनों द्वारा स्वैच्छिक तौर पर अंगदान किया गया है । बता दें कि कोटा निवासी मोहम्मद जफर की 9 घंटे तक चली ऑपरेशन प्रक्रिया के बाद सफलतापूर्वक हार्ट लगा दिया गया। अस्पताल में हार्ट सर्जरी निदेशक तथा मुख्य हार्ट सर्जन डॉ. मुर्तजा अहमद चिश्ती के नेतृत्व में तीन दर्जन से अधिक डॉक्टर्स एवं तकनीशियनों के टीम ने ये सफलता हासिल की । 

डॉ. चिश्ती ने बताया कि वे पहले भी दो हार्ट ट्रांसप्लांट कर चुके हैं किन्तु यह केस कई मामलों में बहुत जटिल था। जयपुर में चल रहे वीआईपी मूवमेंट के चलते एयर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। इसी वजह से ग्रीन कॉरिडोर के जरिये सड़क मार्ग से जयपुर लेकर आना चुनौतीपूर्ण था। 4 घंटे रिकॉर्ड समय में जयपुर पहुंचे अंगदान से मिले हार्ट को यूडब्ल्यू सोल्यूशन में रखकर लाया गया। दूसरी समस्या यह थी कि रेसीपिएंट का छह माह पहले ही बाइपास ऑपरेशन भी हुआ था। हालांकि करीब 9 घंटे की ऑपरेशन प्रक्रिया के बाद रोगी को नया हार्ट लगा दिया गया है। इसे चिकित्सा विज्ञान का चमत्कार ही मानें कि शनिवार को सुबह उसका वेंटीलेटर भी हटा दिया गया है और मरीज अब अच्छे से बात भी कर रहा है।
 
उन्होंने बताया कि हार्ट फेलियर की स्थिति में रोगी के दिल का आकार बढ़ जाता है। इसके जरिये हर धड़कन के साथ करीब 85 मिलीलीटर रक्त को हार्ट से बाहर भेजा जाता है, किन्तु हार्ट फेलियर की स्थिति में पूरा रक्त बाहर नहीं जा पाता है। ऐसे में रोगी की सांस फूली रहती है। हार्ट ट्रांसप्लांट की सफलता दर भी बहुत अच्छी है। प्रदेश के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले सूरजभान 8 साल बीतने पर भी स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी जी रहा है। देश में बड़ी संख्या में ऐसे हजारों मरीज मौजूद हैं, जो उपचार खर्च वहन न करने की वजह से और उपयुक्त डोनर के नहीं मिलने से असमय काल का शिकार हो जाते हैं।

बता दें कि ये सफलता टीम वर्क के कारण ही मिल पाई है । हार्ट सर्जन्स डॉ. मुर्तजा अहमद चिश्ती, डॉ. आशीष शर्मा शर्मा, कार्डियक एनेस्थीसिया विषेषज्ञ डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. वरूण छाबडा, डॉ. आशीष जैन, फिजीशियन असिस्टेंट पवन गुप्ता, मोहन सिंह, राजवीर मिश्रा, ओटी इंचार्ज उमेश, नरोत्तम, कुसुम समेत तीन दर्जन चिकित्साकर्मियों ने उल्लेखनीय सहयोग दिया। मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. आर सी गुप्ता, सीओओ सुकान्ता दास, ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर शशांक ने नोटो तथा पुलिस के सहयोग से ग्रीन कोरिडोर और  ट्रांसप्लांट संबंधित कार्रवाई पूर्ण की ।
 

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