Edited By Chandra Prakash, Updated: 01 Feb, 2025 03:45 PM
राजनीति में सफलता के रास्ते पर दो चीजें अहम भूमिका निभाती हैं,मेहनत और तकदीर। बहुत से लोग सार्वजनिक जीवन में अपनी मेहनत से कई वर्षों तक संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन फिर भी कुछ खास हासिल नहीं कर पाते, जबकि कुछ लोग कम प्रयासों में ही बड़ी सफलता हासिल...
हनुमानगढ़, 1 फरवरी2025 : राजनीति में सफलता के रास्ते पर दो चीजें अहम भूमिका निभाती हैं,मेहनत और तकदीर। बहुत से लोग सार्वजनिक जीवन में अपनी मेहनत से कई वर्षों तक संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन फिर भी कुछ खास हासिल नहीं कर पाते, जबकि कुछ लोग कम प्रयासों में ही बड़ी सफलता हासिल कर लेते हैं। हनुमानगढ़ के विधायक गणेश बंसल को अगर राजनीति में तकदीर का धनी कहा जाए, तो यह गलत नहीं होगा। उन्होंने बिना किसी राजनीतिक दल के समर्थन के हनुमानगढ़ जैसे महत्वपूर्ण जिला मुख्यालय से विधानसभा का चुनाव जीता। यह एक ऐसा उदाहरण है, जो दिखाता है कि राजनीति में सिर्फ पार्टी या बड़े समर्थन का ही महत्व नहीं होता बल्कि कभी-कभी खुद की मेहनत और सही समय पर सही निर्णय भी सफलता की कुंजी बन सकते हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत
हनुमानगढ़, जो भौगोलिक दृष्टि से एक सुसंगत सीट मानी जाती है, से निर्दलीय चुनाव जीतने की कल्पना भी कठिन थी। यह क्षेत्र हमेशा से ही पार्टी आधारित राजनीति के प्रभाव में रहा है, और यहां से निर्दलीय जीत प्राप्त करना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। लेकिन गणेश बंसल ने यह करके दिखा दिया। उनकी जीत केवल एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं थी बल्कि यह इस बात का प्रतीक बन गई कि राजनीति में स्थिरता और सत्ता की धारा के खिलाफ भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
ओबीसी पर बयान और उसकी राजनीति
हाल ही में विधायक गणेश बंसल ने ओबीसी वर्ग के बीच मूल ओबीसी का हक छीनने का आरोप लगाते हुए एक बयान दिया। इस बयान ने राजस्थान और हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया। जाट समाज का राज्य और देश की राजनीति में लंबे समय से दबदबा रहा है और उनके खिलाफ किसी राजनीतिक नेता द्वारा बयान देने का साहस बहुत कम ही देखने को मिला है। गणेश बंसल ने इस बयान के जरिए न केवल अपने समर्थकों की निष्ठा को मजबूत किया बल्कि ओबीसी वर्ग की कई जातियों को अपने पक्ष में भी कर लिया। यह बयान तेजी से वायरल हुआ और प्रदेश भर में राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया। इससे विधायक बंसल की पहचान सिर्फ अपने क्षेत्र तक सीमित नहीं रही बल्कि अब वे राज्य स्तर पर भी चर्चित हो गए हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि अगर कोई नेता राजनीति में रिस्क लेने की क्षमता रखता है तो उसकी आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई देती है और उसका प्रभाव भी व्यापक होता है।
विरोध और समर्थन
इस बयान के बाद जहां ओबीसी वर्ग के कुछ हिस्सों ने गणेश बंसल की आलोचना की, वहीं कई अन्य वर्गों ने इसे सही ठहराया और इसे समाज में व्याप्त असमानताओं के खिलाफ एक ठोस कदम माना। राजनीतिक रूप से इस तरह की बयानबाजी का एक और पहलू भी है। विरोध जितना बढ़ेगा, उतनी ही अधिक चर्चा होगी, और इस चर्चा का लाभ अंतत: उस नेता को ही मिलता है जो इस बहस को उकसाता है। विधायक बंसल के खिलाफ जाट समाज के नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर तक विरोध जताया, लेकिन यह विरोध भी उनके नाम को प्रदेशभर में स्थापित करने में सहायक साबित हुआ। समाज में छाई एक नई हलचल: राजनीति में हर विचार और हर बयान का अपना प्रभाव होता है। बंसल के बयान का समर्थन या विरोध केवल इस बात का संकेत नहीं देता कि वह सही है या गलत, बल्कि यह बताता है कि वे समाज में एक नई हलचल पैदा करने में सफल हुए हैं। यह राजनीति के एक ऐसे गुण को उजागर करता है जो कहता है, सफलता हमेशा किसी एक दिशा में ही नहीं मिलती, बल्कि समय और स्थिति के अनुसार वह कई बार अप्रत्याशित रूप से सामने आती है। कुल मिलाकर यह घटनाक्रम यह बताता है कि राजनीति में केवल मेहनत ही नहीं बल्कि समय का सही चुनाव और बोलने की ताकत भी सफलता की कुंजी हो सकती है। उनके बयान ने उन्हें न केवल प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया बल्कि यह भी साबित कर दिया कि राजनीति में हर कदम का एक व्यापक प्रभाव होता है। आने वाले समय में बंसल के कदमों को और उनके द्वारा उठाए गए राजनीतिक फैसलों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और समाज दोनों ही अधिक गहराई से विचार करेंगे, और यह देखना होगा कि उनका ओबीसी बनाम मूल ओबीसी का यह कदम किस दिशा में राजनीति की धारा को मोड़ता है।