Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Aug, 2024 05:41 PM
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल,केंद्रीय कृषि एवं...
- स्वच्छ पर्यावरण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रासायनिक खाद मुक्त कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता :- राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े
- राजस्थान पराली जलाने की समस्या से निजात हेतु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसल अवशेष प्रबंधन मशीन 'स्टबल चॉपर कम स्प्रेडर' का भी राज्यपाल ने किया लोकार्पण
बीकानेर, 29 अगस्त 2024 । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल,केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने की। कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित विद्या मंडप सभागार में संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर श्रीडूंगरगढ़ विधायक ताराचंद सारस्वत, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मनोज दीक्षित, राजुवास के पूर्व कुलपति डॉ ए के गहलोत, जिला कलेक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि, एसपी श्रीमती तेजस्वनी गौतम, कृषि विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार देवाराम सैनी, वित्त नियंत्रक राजेंद्र कुमार खत्री सहित विवि के सभी डीन, डायरेक्टर्स समेत अन्य कार्मिक, किसान, कृषक महिलाएं और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
'स्टबल चॉपर कम स्प्रेडर' मशीन का लोकार्पण
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा विकसित फसल अवशेष प्रबंधन मशीन 'स्टबल चॉपर कम स्प्रेडर' का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा पुस्तिका 'फसल अवशेष प्रबंधन हेतु स्टबल चॉपर कम स्प्रेडर' का विमोचन किया गया । विदित है कि स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा विकसित इस मशीन को भारत सरकार और यूके से पेटेंट भी मिल चुका है। यह मशीन उत्तर भारत में पराली जलाने की समस्या से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होगी। कम लागत की इस मशीन का कृषि विश्वविद्यालय जल्द ही बड़े स्तर पर व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू करने जा रहा है।
रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन के जीवाणु, असंख्य पक्षी विलुप्त हो चुके हैं- राज्यपाल बागड़े
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा, कि स्वच्छ पर्यावरण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रासायनिक खाद मुक्त कृषि को बढ़ावा देने की सख्त आवश्यकता है। रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन के जीवाणु, असंख्य पक्षी विलुप्त हो चुके हैं और कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं। उन्होने कहा कि इसी तरह अगर फसलों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल होता रहा तो एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 में से एक व्यक्ति को कैंसर होगा। यानि करीब 28 करोड़ लोग कैंसर से ग्रसित होंगे, ऐसे स्थिति में बड़ी संख्या में अस्पताल और डॉक्टर कहां से लाएंगे। उन्होने किसानों को खेती के साथ पशुपालन को बढ़ावा देकर समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाने की बात कही, साथ ही बारिश के पानी को गांव की सीमा के अंदर ही रोकने और सहेजने की आवश्यकता बताई। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन को लेकर साधुवाद देते हुए कहा कि इस आयोजन से किसानों में जागरूकता आएगी।
खेती को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है भारत सरकार- अर्जुनराम मेघवाल
केन्द्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ जय अनुसंधान का नारा दिया है। भारत सरकार खेती को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। मेघवाल ने प्रसिद्ध लोक गायिका अल्ला जिलाई बाई द्वारा गाए गीत 'खोखा म्हाने लागे चौखा, खेजड़लियां रा खजूर, फोगले रो करां म्हे रायतो, जिमां रोटी चूर' गाकर प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न को बढ़ावा देने और रोटी चूर के जीमने की बात कही। साथ ही बताया कि 9 दिसंबर 1925 को फिरोजपुर में नहर का शिलान्यास हुआ था, इसके 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों के तहत प्राकृतिक खेती में अच्छा कार्य करने वाले 100 किसानों को वर्ष 2025 में पुरस्कृत किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने स्वामी केशवानंद जी के शिक्षा में योगदान को भी याद किया।
खेतों में रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि बंजर हो रही है- भागीरथ चौधरी
केन्द्रीय कृषि व किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि भारत सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने जा रही है। अगर किसी किसान के पास 5 एकड़ भूमि है और उसमें से एक एकड़ भूमि पर वह प्राकृतिक खेती करता है, तो उसे 20 हजार रूपए का इनेंशियटिव दिया जाएगा। उन्होने कहा कि देश जब आजाद हुआ तो देश में अन्न की कमी थी। हरित क्रांति लाई गई। कृषि वैज्ञानिकों ने बहुत अच्छा कार्य किया लेकिन अब खेतों में रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि बंजर हो रही है। जिस तरह एक नशा करने वाला बिना नशे के नहीं चलता, उसी प्रकार धरती को भी रासायनिक खाद का एडिक्ट बना दिया गया है। अगर मानव को बचाना है तो प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा।
प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का नहीं किया जाता है उपयोग- डॉ. अरुण कुमार
इससे पूर्व कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती एक ऐसा तरीका है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन दिया जाता है। फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित स्टबल चॉपर कम स्प्रेडर मशीन के लोकार्पण को लेकर कहा कि यह कम लागत वाली मशीन उत्तर भारत में पराली जलाने की समस्या से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होगी। इससे मृदा में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी और मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होगा। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती पूजन से हुई। आए हुए अतिथियों का साफा पहनाकर और बुके भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय कुलगीत, विश्वविद्यालय प्रगति के सोपान का वीडियो प्रदर्शन किया गया।