Edited By Rahul yadav, Updated: 09 Nov, 2024 02:08 PM
राजस्थान के भाजपा नेता और बाड़ी के पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को एक बड़ी कानूनी हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें बिजली विभाग के अधिकारियों, यानी एईएन और जेईएन के साथ मारपीट के मामले में कोर्ट द्वारा तगड़ा झटका लगा है। न्यायालय ने आदेश दिया है...
राजस्थान के भाजपा नेता और बाड़ी के पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को एक बड़ी कानूनी हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें बिजली विभाग के अधिकारियों, यानी एईएन और जेईएन के साथ मारपीट के मामले में कोर्ट द्वारा तगड़ा झटका लगा है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि मलिंगा को 2 सप्ताह के अंदर सरेंडर करना होगा और मामले में आगे की सुनवाई शुरू करने से पहले उन्हें सरेंडर के चार सप्ताह बाद कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। यह आदेश शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस वी. रामास्वामी ने जारी किया।
यह मामला 28 मार्च 2022 का है, जब गिर्राज सिंह मलिंगा धौलपुर जिले के बाड़ी क्षेत्र में एक सरकारी दौरे पर गए थे। जनसुनवाई के दौरान उन्हें बिजली विभाग के अधिकारियों की कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इसके बाद, मलिंगा बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली विभाग के एईएन और जेईएन के दफ्तर में पहुंच गए थे। दफ्तर में दोनों अधिकारियों से उनकी तीखी बहस हुई, जो बाद में झड़प और मारपीट में बदल गई। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें दिखाया गया था कि दोनों अधिकारियों के साथ गंभीर मारपीट की गई थी।
इस मामले के बाद, गिर्राज सिंह मलिंगा को राजस्थान उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली, जिसके कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका पर कोई राहत नहीं दी और उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने मलिंगा को स्पष्ट रूप से आदेश दिया कि वे पहले आत्मसमर्पण करें और उसके बाद ही इस मामले में आगे की सुनवाई की जाएगी।
पीड़ितों की ओर से इस मामले में एडवोकेट महमूद प्राचा, एडवोकेट आदित्य जैन और एडवोकेट मालती ने पैरवी की। इस फैसले के बाद मलिंगा के लिए कानूनी संकट और बढ़ सकता है, क्योंकि उन्हें अब कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए आत्मसमर्पण करना होगा और इसके बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई शुरू होगी।
गिर्राज सिंह मलिंगा के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें न सिर्फ राजनीतिक बल्कि कानूनी मोर्चे पर भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले के बाद अब यह देखना होगा कि मलिंगा अपने अगले कदम के रूप में क्या रणनीति अपनाते हैं और यह मामला उनके राजनीतिक भविष्य को किस प्रकार प्रभावित करता है।