Edited By Chandra Prakash, Updated: 25 Aug, 2024 02:58 PM
सत्ता वाली पार्टी की सरकार की कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके बाबा के नाम से विख्यात मंत्री अब भी खबरों में हैं ।हालत यह है कि मंत्री खुद खबर बन गए हैं। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा इसलिए दिया था कि उनको संभलाई गई लोकसभा सीटों पर पार्टी चुनाव हार गई...
हनुमानगढ़, 25 अगस्त 2024(बालकृष्ण थरेजा) । सत्ता वाली पार्टी की सरकार की कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके बाबा के नाम से विख्यात मंत्री अब भी खबरों में हैं ।हालत यह है कि मंत्री खुद खबर बन गए हैं। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा इसलिए दिया था कि उनको संभलाई गई लोकसभा सीटों पर पार्टी चुनाव हार गई थी। मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनका इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं यह किसी को खबर नहीं है। अब मंत्री ने सरकारी गाड़ी छोड़ दी है और ऑफिस आना- जाना बंद कर दिया है। कभी- कभार वह क्षेत्र के दौरों पर अफसरों की मीटिंग ले लेते हैं। एक दिन उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुद को कैबिनेट मंत्री तक लिख दिया। पार्टी के नए संगठन मुखिया ने कहा कि अब बाबा काम पर लौट आएंगे। संगठन मुखिया के बयान के बाद भी मंत्री काम पर नहीं आए। हालत यह है कि उनकी हर गतिविधि अब खबर बन जाती है। मंत्री कभी रूठ जाते हैं तो कभी मान जाते हैं। दरअसल यह सारा मामला उनको दिए गए महकमों को लेकर है। खुद के महकमे के दो फाड़ किए जाने से भी मंत्री नाराज हैं ।पहले उनकी नजर उप मुखिया पद पर थी। चर्चा है कि अब दिल्ली से समझाइश दौर शुरू होगा और महकमों में बदलाव के बाद बाबा कम पर लौट सकते हैं।
आखिर कोन डाल रहा है आग में घी !
सत्ता वाली पार्टी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष के दिन अब भी खराब चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद शेखावाटी के एक मौजूदा सांसद की टिकट कटने का सारा दोष उन पर मंढ दिया गया और उस सीट पर नए कैंडिडेट के साथ पार्टी चुनाव हार भी गई। फिर महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष का नाम नहीं आया और हाल ही में राज्यसभा उप चुनाव में नाम चलने के बाद उनका नंबर नहीं आया। इसी बीच पार्टी के नए प्रदेश प्रभारी ने भरी मीटिंग में उनका नाम लेकर समय से पहले मीटिंग से जाने का उलाहना दे डाला। प्रदेश प्रभारी के उलाहने के बाद प्रदेश में सियासी बवाल मच गया। विपक्षी पार्टी के संगठन मुखिया ने इस मामले को खूब तूल दिया। उन्होंने इसे पूर्व नेता प्रतिपक्ष का अपमान बता दिया। विपक्षी पार्टी के मुखिया ने कहा कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष बड़े नेता हैं इसलिए उनका सार्वजनिक मंच पर अपमान नहीं किया जाना चाहिए था। समर्थकों और सोशल मीडिया पर हवा देने वाले लोगों के बीच बहस छिड़ी हुई है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने इसी बीच एक बयान जारी करता है कि यह उनके और संगठन के बीच खाई पैदा करने की कोशिश है। अब यह ढूंढा जा रहा है कि आज में घी कौन डाल रहा है? पूर्व नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ ऐसी खबरों को प्लांट करने वाले लोगों की सत्ता वाली पार्टी में कमी नहीं है। उनके कद के हिसाब से पार्टी उन्हें अभी तक कोई जिम्मेवारी नहीं दे पा रही है और आए दिन उनके खिलाफ माहौल बनता जा रहा है। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन में होने वाले बदलाव से पूर्व नेता प्रतिपक्ष को पूरी उम्मीदें हैं। वैसे पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और अब वह आग में घी डालने वालों की पहचान करने में जुटे हैं। यह राजनीति है इसमें हर कदम सोच समझ कर रखना पड़ता है लेकिन पासा सीधा पड़े या उल्टा इसकी कोई गारंटी नहीं है।
आखिर क्यों बदली रणनीति ?
पिछले कई दिनों से प्रदेश में विपक्ष वाली पार्टी से कोई खबर नहीं आ रही है। विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी के युवा नेता के कट्टर समर्थक एक युवा विधायक को स्पीकर द्वारा 6 माह के लिए सस्पेंड किए जाने को लेकर बड़ा हंगामा हुआ। सत्र के आखिरी दिन स्पीकर ने विधायक को 6 महीने के लिए सस्पेंड किया था। विपक्ष वाली पार्टी ने इसे तानाशाही रवैया बताया था। एक-दो दिन तक पार्टी के संगठन मुखिया, नेता प्रतिपक्ष और अन्य सीनियर नेताओं ने इस मामले को लेकर प्रदेश में आंदोलन चलाने की बात कही थी। प्रदेश संगठन मुख्यालय में बैठकों में आंदोलन की रणनीति पर चर्चा भी हो चुकी थी लेकिन पिछले एक पखवाड़े से यह मामला शांत है। पार्टी विधायक के सस्पेंशन को लेकर अभी तक कोई मूवमेंट नहीं चला पाई है। अब खबर है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। पार्टी विधायक के सस्पेंशन को लेकर प्रदेश में कोई आंदोलन नहीं चलाएगी। इसकी एक बड़ी वजह विधायक का युवा नेता का कट्टर समर्थक होना है। संगठन मुखिया युवा नेता और सरकार के पूर्व मुखिया के बीच की अदावत को भली भांति समझते हैं। पार्टी में बैलेंस बनाने के लिए संगठन मुखिया ने विधायक के सस्पेंशन को लेकर विरोध- प्रदर्शनों वाली अपनी रणनीति खुद ही बदल दी। संगठन मुखिया चाहते हैं कि आने वाले दिनों में प्रदेश में ऐसा कोई मसला न हो जिससे किसी एक नेता की छवि चमके। इसे संगठन मुखिया का सरकार के पूर्व मुखिया के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर से जोड़कर भी देखा जा रहा है। वैसे दिल्ली संगठन मुखिया पर पूरी तरह मेहरबान है और प्रदेश में हर तरह की रणनीति उनसे पूछ कर ही बनने वाली है।