भटनेर के झरोखे से : कार्यकर्ताओं के हक में तीखे तेवर !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 27 Apr, 2025 12:33 PM

from bhatner s window sharp stance in favor of workers

विपक्ष वाली पार्टी के प्रदेश प्रधान इन दिनों सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोले हुए हैं। अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर सरकार की तरफ से होने वाली कार्रवाइयों में प्रदेश प्रधान डटकर कार्यकर्ताओं के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। अपने गृह जिले में सरकार के...

हनुमानगढ़, 27 अप्रैल 2025 । (बालकृष्ण थरेजा): विपक्ष वाली पार्टी के प्रदेश प्रधान इन दिनों सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोले हुए हैं। अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर सरकार की तरफ से होने वाली कार्रवाइयों में प्रदेश प्रधान डटकर कार्यकर्ताओं के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। अपने गृह जिले में सरकार के मुखिया को काले झंडे दिखाने वाले एक अग्रिम संगठन जिलाध्यक्ष को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ प्रदेश प्रधान ने तीखे तेवर दिखाए हैं। पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग में सरकार और पुलिस की कार्यवाही के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। बाद में प्रदेश प्रधान के नेतृत्व में पार्टी विधायकों और अन्य नेताओं ने पुलिस मुखिया से मुलाकात की। पुलिस मुख्यालय में धरना भी लगाया। जिले के पुलिस कप्तान को फोन करते हुए विपक्ष वाली पार्टी के प्रदेश प्रधान का जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें वह काफी कड़क अंदाज में दिख रहे हैं। बीकानेर संभाग मुख्यालय पर एक युवा कार्यकर्ता के खिलाफ कार्रवाई तथा पार्टी प्रदेश प्रधान के गृह जिले में एक अग्रिम संगठन के जिलाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रदेश प्रधान ने पुलिस कप्तान को पुलिसिया करवाई का उलाहना दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर ऐसे काम बर्दाश्त नहीं होंगे। विपक्ष वाली पार्टी के प्रदेश प्रधान की यह परफॉर्मेंस देखकर अब कार्यकर्ता खुश नजर आ रहे हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में उन्होंने राजधानी में पार्टी के राष्ट्रीय चीफ की रैली रखवाई है। प्रदेश प्रधान का बढ़ता कॉन्फिडेंस ये जाहिर करता है कि राष्ट्रीय चीफ की रैली कामयाब हुई तो उनको एक्सटेंशन मिलना तय है।

नेता बढ़ा रहे संगठन मुखिया की परेशानी!
सत्ता वाली पार्टी के संगठन मुखिया इन दिनों अपनी पार्टी के नेताओं के व्यवहार से दुखी हैं ।पिछले दिनों विपक्ष वाली पार्टी के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के मंदिर जाने के बाद मंदिर को कथित त रूप से गंगाजल से धुलवाने वाले नेता के खिलाफ प्रदेश प्रधान ने कार्रवाई कर उन्हें पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया था। इस मामले को लेकर प्रदेश भर में बवाल हुआ था। दलित तबका पार्टी से नाराज हुआ। हालांकि पार्टी ने समय रहते कार्रवाई कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। अब राजधानी के एक फायर ब्रांड विधायक के व्यवहार से प्रदेश प्रधान परेशान नजर आए हैं। जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले के विरोध स्वरूप हो रहे प्रदर्शन में विधायक ने एक समुदाय विशेष के खिलाफ अवांछित व्यवहार किया। इसको लेकर विधायक के खिलाफ एफआईआर भी हुई है। यह फायर ब्रांड विधायक पहले भी चर्चाओं में रहे हैं। मामले को शांत करने के लिए संगठन मुखिया ने विधायक को नसीहत दी है और उन्हें हद में रहने के निर्देश भी दिए हैं। प्रदेश का माहौल आमतौर पर शांत रहता है लेकिन कुछ नेताओं की बदजुबानी से कई बार माहौल गर्मा जाता है। राजधानी वैसे भी मिलजुल कर रहने वाला स्थान है और विदेशी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। जानकारों का मानना है कि ऐसे व्यवहार से पर्यटन उद्योग पर बुरा असर पड़ सकता है और प्रदेश की छवि खराब हो सकती है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में संगठन मुखिया पार्टी नेताओं के लिए कोई विशेष गाइडलाइन जारी करने वाले हैं ताकि बार-बार उन्हें ऐसे उलाहने न मिलें।

असल वजह की अब भी पड़ताल!
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इन दिनों हड्डी रोग विभाग चर्चा में है। अस्पताल के प्रमुख ने यहां लंबे समय से किए जा रहे घुटनों के ऑपरेशन बंद करने के आदेश दे दिए हैं। इस अस्पताल में सैकड़ों लोगों के घुटनों का प्रत्यारोपण हुआ था और इन ऑपरेशंस ने खूब वाहवाही लूटी थी। पिछले दिनों अस्पताल के प्रमुख ने घुटना प्रत्यारोपण के लिए ऑपरेशन थिएटर को मानकों पर खरा नहीं मानते हुए ऑपरेशंस पर रोक लगा दी थी। अब इस मामले में जागरूक प्रतिनिधि और आम लोग सक्रिय हुए हैं। सरकारी अस्पताल का ऑपरेशन थिएटर मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है तो इसमें सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए। आम लोगों का मानना है कि अस्पताल प्रमुख ने निजी अस्पतालों में बीमित योजनाओं में ऑपरेशन करवाने को बढ़ावा देने की मंशा से इन ऑपरेशंस पर रोक लगाई है। घुटना प्रत्यारोपण कर चर्चा में आए अस्पताल के एक हड्डी रोग विशेषज्ञ का भी कहना है कि सरकारी अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर के लिए कोई नियम लागू नहीं है और उनके द्वारा किए गए ऑपरेशन सफल हुए हैं। काफी लोगों के घुटने प्रत्यारोपित हुए हैं और वह आराम से चल फिर रहे हैं। ऑपरेशंस पर रोक लगने से अब लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। आलम यह है कि जब से मौजूदा अस्पताल प्रमुख ने चार्ज संभाला है तब से वह चर्चा में हैं । अब उन पर प्राइवेट अस्पतालों से मिलीभगत करने के आरोप लग रहे हैं। मामला चाहे कुछ भी हो लेकिन आम लोगों को अस्पताल में घुटना प्रत्यारोपण में ऑपरेशन की सुविधा न मिलने से परेशानी होना लाज़मी है। जांच होती रहेगी लेकिन तब तक योग्य चिकित्सकों को लोगों के इलाज से रोका जाना उचित नहीं लग रहा।
 

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