Edited By Chandra Prakash, Updated: 03 Nov, 2024 06:31 PM
प्रदेश की सात सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष वाली पार्टी में चुनावी मुकाबला है। एक सीट पर लोकल जाट नेता की पत्नी अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं इसलिए वहां त्रिकोणीय मुकाबला है। पूरे चुनाव का प्रचार विपक्ष वाली...
हनुमानगढ़ 3 नवम्बर 2024(बालकृष्ण थरेजा) । प्रदेश की सात सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष वाली पार्टी में चुनावी मुकाबला है। एक सीट पर लोकल जाट नेता की पत्नी अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं इसलिए वहां त्रिकोणीय मुकाबला है। पूरे चुनाव का प्रचार विपक्ष वाली पार्टी के संगठन मुखिया और सत्ताधारी पार्टी में मंत्री 'बाबा' के आमने-सामने हो रहा है। दोनों नेता एक दूसरे को चुनाव प्रचार में घेर रहे हैं। एक सीट पर बाबा के सगे भाई चुनाव लड़ रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी ने मंत्री बाबा के भाई को टिकट देकर उन्हें टास्क दे दिया है। अब विपक्षी संगठन मुखिया बाबा पर तीखे हमले कर रहे हैं। विपक्ष वाली पार्टी के संगठन मुखिया फर्राटेदार भाषणों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बाबा पर कई कटाक्ष किए हैं। जब विपक्षी संगठन मुखिया के आरोपों का जवाब देने के लिए बाबा खुद सामने नहीं आए तो उनकी पार्टी के कई अन्य नेता संगठन मुखिया को घेर रहे हैं। पूरा चुनाव प्रचार दोनों नेताओं के इर्द-गिर्द हो गया है। दोनों ही पार्टियों में अभी तक बड़े नेता चुनाव प्रचार में नहीं कूदे हैं। सत्ता वाली पार्टी में सरकार के मुखिया प्रत्याशियों के नॉमिनेशन के बाद अन्य कामों में व्यस्त हैं। उधर विपक्ष वाली पार्टी में सरकार के पूर्व मुखिया और युवा नेता महाराष्ट्र चुनाव में ऑब्जर्वर का काम देख रहे हैं। बहरहाल, अब दिवाली निकली है और चुनाव प्रचार तेज होगा। अब बड़े नेताओं की एंट्री से माहौल गरमाने के भी पूरे आसार हैं।
रामा-श्यामा के बहाने ताकत लगे दिखाने !
इस बार की दिवाली के अगले दिन रामा-श्यामा के नाम पर नेताओं के यहां जुटी भीड़ से उनकी ताकत का कयास लगने लगा है। खासकर सत्ता वाली पार्टी में जिला मुख्यालय पर बने दो पावर सेंटर में लंबे समय से होड़ लगी हुई है। एक समाज के छात्रावास के पास की भूमि को लेकर कथित विवाद के बाद यह मामला और गरमा गया है। सत्ता वाली पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके युवा नेता अपने समर्थकों के साथ समाज की जमीन पर किए गए कब्जे को जायज ठहरा रहे हैं तो वहीं निर्दलीय विधायक और नगर परिषद कानूनी रूप से सरकार की जमीन बता रहे हैं। इस विवाद के बीच ही दिवाली आ गई। दिवाली के अगले दिन रामा- श्यामा करने नेताओं के समर्थक उनके आवास पर पहुंचे। विधायक के यहां क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लोगों ने खुले मन से विधायक की तारीफ की और इसे मीडिया के सामने शेयर भी किया। दो बड़े नेताओं की काट करके विधायक बने नेता के यहां आम कार्यकर्ता खुश नजर आए। कार्यकर्ताओं का कहना था कि वर्तमान विधायक द्वारा पूरी रिस्पेक्ट दी जा रही है। विधायक कार्यकर्ताओं को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर उनके साथ तस्वीर खिंचवा रहे थे। इतना ही नहीं विधायक स्वय घूम घूम कर घर आने वाले प्रत्येक वर्कर से गले मिल रहे थे। दूसरी तरफ युवा नेता के आवास पर भी समर्थकों की भीड़ जुटी। मगर वो रौनक नजर नहीं आई। युवा नेता समर्थकों से खुलकर मिले मगर हमेशा की तरह मनुहार का अभाव रहा।बाकी विपक्ष वाली पार्टी के नेताओं के यहां भी औसतन कार्यकर्ता ही पहुंचे। बहरहाल, दिवाली की राम-राम नेताओं का कद मापने का जरिया जरूर बनती जा रही है।
फर्जी चिट्ठी ने चेयरमैन दावेदारों के समीकरण बिगाड़े !
प्रदेश में नौकरियां देने वाली सबसे बड़ी संस्था के नए चेयरमैन की नियुक्ति अभी होनी है। नियुक्ति के लिए सरकारी स्तर पर योग्य उम्मीदवार की तलाश जारी है। विधानसभा उपचुनाव के बाद इस पर फैसला होना है। यह भर्ती बोर्ड पेपर लीक जैसे प्रकरणों से विवादों में आ चुका है। पिछले कई चेयरमैन और सदस्यों पर आरोप लगे हैं। कई सदस्य पेपर लीक प्रकरण में जेल में बंद हैं। संस्था की साख बचाने के लिए एक सख्त और योग्य चेयरमैन की तलाश सरकार के लिए चुनौती है। कई दावेदारों ने इस पद के लिए लॉबिंग शुरू कर रखी है। कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट और शिक्षाविद इस पद की दौड़ में हैं। इसी बीच सत्ता वाली पार्टी के वैचारिक संगठन के एक फर्जी लेटरहैड ने दावेदारों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। सरकार के मुखिया को मिले इस लेटरहैड पर किसी व्यक्ति के नाम की चेयरमैन पद के लिए सिफारिश की गई थी। वैचारिक संगठन ने ही इसे फर्जी लेटरहैड करार दे दिया और मुकदमा दर्ज करवा दिया। मुकदमे से अब विपक्ष को नया मुद्दा मिल गया है। विपक्ष के आरोपों को अब और हवा मिलेगी क्योंकि विपक्ष पहले से ही आरोप लगा रहा है कि वैचारिक संगठन से जुड़े लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा रहा है ताकि विचारधारा का प्रचार-प्रसार हो सके। अब इस फर्जी लेटरहैड के बाद विपक्ष के आरोपों का जवाब देना सरकार के लिए मुसीबत बनने वाला है। सरकार को अब नए सिरे से योग्य उम्मीदवार की तलाश करनी पड़ेगी और दावेदारों को नए समीकरण बैठाने होंगे।