भटनेर के झरोखे से : विधायक के बयान पर भाजपा-कांग्रेस की चुप्पी हैरानीजनक !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 02 Feb, 2025 01:29 PM

from bhatner s window bjp congress  silence on mla s statement is surprising

जिला मुख्यालय से निर्दलीय विधायक एक बार फिर चर्चा में हैं ।विधायक सत्ता वाली पार्टी को समर्थन दे रहे हैं। पिछले दिनों अन्य पिछड़ा वर्ग के सम्मेलन में विधायक ने सम्मेलन में पारित उस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया जिसमें मूल अन्य पिछड़ा वर्ग ने एक जाति...

हनुमानगढ़, 2 फरवरी 2025 (बालकृष्ण थरेजा): जिला मुख्यालय से निर्दलीय विधायक एक बार फिर चर्चा में हैं ।विधायक सत्ता वाली पार्टी को समर्थन दे रहे हैं। पिछले दिनों अन्य पिछड़ा वर्ग के सम्मेलन में विधायक ने सम्मेलन में पारित उस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया जिसमें मूल अन्य पिछड़ा वर्ग ने एक जाति विशेष के प्रत्याशियों को वोट नहीं देने का निर्णय लिया था। सम्मेलन में यह आरोप लगाया गया की जाति विशेष ने उनका हक छीन लिया है और बड़े पदों पर उनकी पहुंच शून्य हो गई है। विधायक के इस बयान के बाद जिले की राजनीति गर्मा गई। विधायक के पक्ष और विपक्ष में बयान देने वालों की बाढ़ आ गई। खासकर विधायक के खिलाफ बयान देने वालों में एक नया ट्रेंड चला है। जहां प्रदेश में बयान देने वाले लोगों की बाढ़ आ गई वहीं जिला मुख्यालय के दोनों बड़े राजनीतिक घरानों ने होंठ सील रखे हैं। भाजपा - कांग्रेस से जुड़े इन दोनों परिवारों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आमजन कई सवाल उठा रहा है क्या दोनों घराने विधायक के बयान से सहमत हैं..? यदि नहीं तो विधायक के बयान की निंदा क्यों नहीं..? दूसरी ओर विधायक के खिलाफ बयान देने वालों की एक तरह से छंटनी की गई। इसी तरह विधायक के समर्थन में बयान देने के लिए भी सोशल मीडिया पर फौज तैयार की गई है। अब निवर्तमान सभापति विधायक के समर्थन में आगे आए और बयान देकर सर्व समाज की तरफ से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि विधायक सर्व समाज के हितैषी हैं ।अब जिस समाज के खिलाफ बयान दिया गया था उसने बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रखी है। विधायक के बयान की पूरे प्रदेश में चर्चा है और राजनीतिक गलियारों में हलचल भी। आने वाले पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव के संदर्भ में विधायक के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और विधायक ऐसी राजनीति को दिशा देने में माहिर माने जाते हैं। फिलहाल विधायक के बयान से ऊपजी राजनीति में विधायक को होने वाले लाभ या हानि का आंकलन किया जा रहा है।

कप्तानी बदली मगर खेमे बरकरार !

सत्ता वाली पार्टी में संगठन के चुनाव शांतिपूर्वक हो रहे हैं। जिलों में अध्यक्ष बदले जा रहे हैं। पार्टी ने हिम्मत का काम यह किया है कि जिला मुख्यालयों पर जाकर नए अध्यक्षों के नाम का ऐलान किया जा रहा है। जिले में नए अध्यक्ष का निर्वाचन सर्वसम्मति से हो गया है। जिले में सत्ता वाली पार्टी को नया अध्यक्ष मिलने के बाद भी पार्टी खेमों में बंटी हुई है। पूर्व अध्यक्ष के समय जिला मुख्यालय से लेकर अन्य विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कई धड़ों में बंटी नजर आई तो नए अध्यक्ष के चुनाव के बाद भी यही हाल बरकरार है। जिला मुख्यालय पर विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे युवा नेता के समर्थकों में पार्टी का अध्यक्ष बदलने से नई ऊर्जा आ गई है। अध्यक्ष के निर्वाचन के समय युवा नेता के निवास पर ढोल- नगाड़े बजाकर और पटाखे फोड़कर खुशी मनाई गई। उनके समर्थकों में एक जंग जीतने जैसी खुशी है। दरअसल जिला मुख्यालय पर युवा नेता और निर्दलीय विधायक में सत्ता में पावर को लेकर खींचतान बनी हुई है। इसी तरह अन्य विधानसभा क्षेत्रों में कई खेमों में मायूसी है। नए जिलाध्यक्ष जिस विधानसभा क्षेत्र से आते हैं वहां से चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक के खेमे में सुस्ती है तो निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली एक महिला नेता के कैंप में ऊर्जा का संचार हुआ है। अब नए अध्यक्ष का स्वागत हो रहा है लेकिन खेमों में बंटी पार्टी  अध्यक्ष को कैसे मजबूत कर पाएगी यह देखना होगा?

दहाड़ कर शांत हो गए युवा विधायक !

ग्रामीण विकास और पंचायती राज कीक् जिले की सबसे बड़ी संस्था की एक बैठक में विपक्ष वाली पार्टी से जिले के एक युवा विधायक ने जोरदार दहाड़ लगाई पर मनरेगा के बजट प्रस्ताव पर हुई बैठक एकदम से स्थगित हो गई। विधायक ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक पंचायत समिति में ग्राम पंचायतों को बजट देने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए अधिकारियों की खिंचाई की थी। इसके बाद बैठक स्थगित हो गई और अगले हफ्ते बैठक तय कर दी गई अगले हफ्ते हुई बैठक में एक मिनट में सभी प्रस्ताव पास हो गये। बैठक की खास बात यह रही कि स्थगित होने वाली बैठक में विपक्ष वाली पार्टी के युवा विधायक पहुंचे ही नहीं। विधायक के एकदम से शांत होने की खूब चर्चा हो रही है। जिस दिन बैठक स्थगित हुई उस दिन युवा विधायक ने मीडिया के सामने आकर अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बजट आवंटन में भेदभाव पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। एक हफ्ते बाद हुई बैठक में युवा विधायक पहुंचे ही नहीं और सर्वसम्मति से बजट प्रस्ताव पारित हो गया। अब विधायक के शांत होने की वजह तलाशी जा रही है।

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