मंत्री जी के क्षेत्र में योजनाओं की बाढ़, दूसरे क्षेत्र की स्वीकृतियां रद्द, अपनों को बांटी रेवड़ियां

Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Aug, 2024 09:13 PM

flood of schemes in minister s area

किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने राजस्थान कृषि तकनीकी मिशन योजना शुरु की थी, लेकिन सरकार के बदलने के साथ ही यह योजना राजनीति की भेंट चढ़ गई है। किसानों को तकनीकी उपकरणों से मदद दिलाने के लिए संचालित यह योजना अब जिले के...

चित्तौड़गढ़, 22 अगस्त 2024(विवेक वैष्णव)। किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने राजस्थान कृषि तकनीकी मिशन योजना शुरु की थी, लेकिन सरकार के बदलने के साथ ही यह योजना राजनीति की भेंट चढ़ गई है। किसानों को तकनीकी उपकरणों से मदद दिलाने के लिए संचालित यह योजना अब जिले के कुछ क्षेत्रों में ही फलीभूत होती दिखाई देती है । चित्तौड़गढ़ जिले में सहकारिता एवं नागरिक उड्डयन विभाग के राज्य मंत्री गौतम कुमार दक के क्षेत्र में यह योजना फलफूल रही है। बड़ी बात यह है कि आधे से अधिक स्वीकृतियां उन्हीं के क्षेत्र में जारी की गई है। 

जानकारी के अनुसार रजिस्ट्रार कार्यालय, सहकारी समितियां द्वारा 2023 के अक्टूबर माह में 726 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कस्टम हाईरिंग केन्द्रों की प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी की गई थी और उसमें चित्तौड़गढ़ जिले की 36 स्वीकृतियां भी शामिल थी। लेकिन दिसम्बर माह में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सहकारिता विभाग ने दो मार्च को समस्त स्वीकृतियां निरस्त करते हुए 14 मार्च को ही नवीन स्वीकृतियां जारी करने के आदेश दिए थे। जिसमें चित्तौड़गढ़ जिले की 24 स्वीकृतियां शामिल है। बड़ी बात यह रही कि पूर्ववर्ती स्वीकृतियां निरस्त कर जो नई स्वीकृतियां जारी की गई । उसमें चित्तौड़गढ़, भैंसरोड़गढ और बेगूं क्षेत्र की अनदेखी करते हुए बड़ीसादड़ी, डूंगला, राशमी, भूपालसागर आदि क्षेत्र पर ही ध्यान दिया गया है। 

वहीं पूववर्ती स्वीकृत 36 समितियों में चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति क्षेत्र की बड़ोदिया, गिलुण्ड, उदपुरा, मानपुरा, पुरोहितों का सांवता, मिश्रों की पिपली, चौथपुरा, नारेला, देवरी, सामरी, चिकसी, बिजयपुर, पालका शामिल थे । वहीं भदेसर क्षेत्र की सुखवाड़ा, कंथारिया, भूपालसागर की आकोला, कपासन क्षेत्र की उमंड, लांगच, मुंगाना, धमाणा, रोलिया, राशमी की बारू, सांखली, नेवरिया, भैंसरोड़गढ़ क्षेत्र की जावरा, टोलू का लुहारिया, बेगूं क्षेत्र की गोविन्दपुरा, चावंडिया और बड़ीसादड़ी पंचायत समिति क्षेत्र की पुनावली समिति शामिल थी । जिन्हें सरकार बदलने के साथ ही निरस्त कर दिया गया।

नई स्वीकृतियों में मंत्री जी के क्षेत्र पर मेहरबानी
2 मार्च को जारी की गई सभी प्रशासनिक स्वीकृतियों को निरस्त करने के बाद 14 मार्च को नई प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी की गई। जिसमें चित्तौड़गढ़ जिले की 24 स्वीकृतियां शामिल थी। खास बात यह रही कि पूर्ववर्ती स्वीकृतियों में से चित्तौड़गढ़, भैंसरोड़गढ़ और बेगूं पंचायत समिति क्षेत्र की पूरी तरह अनदेखी करते हुए मंत्री जी के गृह क्षेत्र बड़ीसादड़ी पंचायत समिति क्षेत्र की भाटोली ब्राह्मणान, चेनपुरिया, मुंजवर, पिंड, डूंगला क्षेत्र की मोरवन, इडरा, करसाना, पिराणा और भदेसर पंचायत समिति क्षेत्र की गरदाना, खोड़िप और आसावरा समिति को शामिल किया गया। इसी के साथ भोपालसागर की ताणा, पारी, भूपालसागर व बबराणा व कपासन पंचायत समिति क्षेत्र की ताराखेड़ी, चाकुड़ा और राशमी क्षेत्र की राशमी समिति के लिए स्वीकृति जारी की गई। अब सवाल यह है कि पूर्ववर्ती जिन 36 स्वीकृतियों को जारी किया गया था । क्या उन क्षेत्र के कृषकों को तकनीकी उपकरणों की आवश्यकता नहीं थी तो फिर सरकार बदलने के साथ ही इन्हें क्यों बदला गया ? 

ट्रैक्टर खरीद में भी बंटी रेवड़ियां
जानकार सूत्रों के मुताबिक बड़ीसादड़ी और डूंगला पंचायत समिति का क्षेत्र सहकारिता मंत्री गौतम दक का विधानसभा क्षेत्र है और वहां स्थित मंगलेवश्वर ट्रेक्टर नाम का शोरूम उन्हीं के परिवारजनों का बताया जाता है । जहां से नई 24 स्वीकृतियों में से आधी यानि 12 स्वीकृतियां मंगलेश्वर ट्रेक्टर के नाम पर जारी की गई है। नवीन स्वीकृतियों में जहां से ट्रैक्टर खरीदे गए, उनमें से विश्वकर्मा ट्रैक्टर बड़ीसादड़ी और सांवरिया ट्रैक्टर शामिल है। 

किसानों को कृषि तकनीकी मिशन योजना से मिलती से सब्सिडी
सरकार ने जो किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं है और महंगे कृषि उपकरण नहीं खरीद पाते, उनको ध्यान में रखते हुए 2022-23 में इस योजना की शुरुआत की थी। जिसमें हस्तचलित, शक्तिचलित, ट्रेक्टर चलित और स्वचलित कृषि यंत्रों की खरीद के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इसके तहत राज्य सरकार ने जीएसएस के साथ-साथ एफपीओ और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर कस्टम हाइरिंग केन्द्र स्थापित किए है । जहां लघु और सीमान्त किसानों को कम किराये पर भी महंगे कृषि उपकरण प्रति घंटे या प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर दिए जाते है। जानकारी के अनुसार किसान साथी पोर्टल पर जनआधार के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने पर साल में एक बार यह अनुदान देय होता है। वहीं विभाग की किसी भी योजना में कृषि यंत्रों पर तीन साल में एक बार अनुदान मिलता है। एससी-एसटी, लघु सीमान्त महिला किसानों को 50 प्रतिशत और दूसरे किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। 

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