अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद् वाटरमैन डॉ. राजेंद्र सिंह सिंह और पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने प्लांट क्षेत्र का किया निरीक्षण

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 06 Jan, 2025 06:06 PM

exploitation of nature is the biggest threat dr rajendra singh

बारां । अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त डॉ. राजेंद्र सिंह और रॉबिन सिंह की टीम सोमवार सुबह जिला मुख्यालय बारां से शाहबाद के कॉलोनी गांव पहुंची। टीम ने गांववासियों को इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए जंगल काटने से होने...

बारां । अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त डॉ. राजेंद्र सिंह और रॉबिन सिंह की टीम सोमवार सुबह जिला मुख्यालय बारां से शाहबाद के कॉलोनी गांव पहुंची। टीम ने गांववासियों को इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए जंगल काटने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया। गांव वासियों ने अपनी ओर से विश्वास दिलाया कि विकास की शर्त पर विनाश को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कॉलोनी गांव में पहुंचते ही सारे लोग इकट्ठे हो गए जो बाद में एक जनसभा के रूप में बदल गए। 


डॉ. राजेंद्र सिंह और राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने प्लांट लगने से संबंधित जानकारियां और कटने वाले पेड़ों से होने वाले नुकसान की जानकारियां जुटाई। लगभग एक घंटे रुकने के बाद वाटरमैन डॉ. राजेन्द्र सिंह और राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण विद रॉबिन सिंह की टीम शाहबाद में लगने वाले हाई-ड्रो पावर प्लांट की जमीन पर कूनो नदी के किनारे पर पहुंचे। बीच में जगह जगह पर काटे गए पेड़ों को देखा और जोधपुर हाई कोर्ट के स्थगन आदेश के फैसले के बाद भी की गई कटाई और प्लांट लगाने को लेकर की जा रही तैयारियों को अवैधानिक बताया। दोनों पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञों ने मौका स्थल पर पहुंचकर पेड़ों की गणना करने की नमूना विधि से टीम के साथ पेड़ों की संभावित संख्या का आकलन किया। कहा कि जंगल में कटने वाले पेड़ों की संख्या को सरकार द्वारा छिपाया जा रहा है। मौका मुआयना करने से पता चलता है कि इस पॉवर प्लांट लगाने हेतु 1, 19,759 पेड़ों के स्थान पर कम से कम 25 लाख से 28 लाख पेड़ों को काटा जाएगा। 

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इससे पूर्व शनिवार रात अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त डॉ. राजेंद्र सिंह ने बारां अध्याय, दिया फाउंडेशन, वृक्ष मित्र फाउंडेशन तथा शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि हमारे संविधान के अनुसार देश के नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से जीवनयापन के अधिकार मिले हुए, जिससे देश का प्रत्येक नागरिक सुविधानुसार अपने जीवन को जी सकता है। इस सुविधापूर्ण जीवन जीने के विरुद्ध यदि कोई भी काम होता है या सरकारों द्वारा किया जाता है तो वह इस देश के आम आदमी के जीवन जीने के अधिकारों के विरुद्ध है। बारां जिले के शाहबाद जंगल के 1,19, 759 पेड़ों को काटा जाना पर्यावरण को प्रभावित करता है। शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन को समर्थन देते हुए डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश में तीन सबसे बड़े खतरे है अतिक्रमण, प्रदूषण व शोषण। प्रकृति का शोषण उससे खनन करके, पानी निकाल कर किया जा रहा है। इसे रोकना है। इसके लिए प्राकृतिक संपदा का चिन्हिकरण, उसका नोटिफिकेशन और मार्किंग होना चाहिए। इसमें बिजली संयंत्र नहीं लगने दिया जाएगा। जंगल रहेगा तो क्षेत्र में सुख और समृद्धि आएगी। इस मुहिम में बच्चों को भी जोड़ा जाएगा। बच्चों के माध्यम से परिवार ओर पूरे समाज को जोड़ना होगा। डॉ.राजेन्द्र सिंह ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि लोग जिले के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करें, होता है तो ठीक, नहीं तो आत्मग्लानी नहीं होगी कि समय रहते हमने कुछ नहीं किया।  उन्होंने स्लोगन दिया शाहाबाद के जंगल बचाओगे, सुख और समृद्धि पाओगे। जंगल बचाएंगे, इसमें हम बिजली संयंत्र नहीं लगाएंगे।

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डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि एक पौधे को पेड़ बनने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं जिसमें 150 से 200 वर्ष तक की उम्र के पेड़ों को काटा जाना इस देश की नहीं पूरे विश्व की पर्यावरणीय क्षति है। जिसमें लगभग 600 तरह के औषधीय गुणों वाली प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।यह घटना पूरी मानवता के लिए विनाशकारी दुर्घटना है जिसके रोके जाने के लिए जितने भी कदम उठाने पड़े उठाए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विद् रॉबिन सिंह ने कहा कि जिस तरह ऑक्सीजन पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए आवश्यक है, ठीक उसी तरह शाहबाद के जंगल भी देश भर के लोगों के जीवन के लिए आवश्यक है। गायत्री प्रज्ञा पीठ के सभागार में आयोजित कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण विद प्रशांत पाटनी ने कहा कि इस जंगल द्वारा जैव विविधता, वन्य जीव आवास, जलवायु परिवर्तन, कृषि उपज ,वर्षा जल प्रतिशत के साथ साथ हमारे जीवन जीने के अनेक कारक जुड़े हुए हैं। इन पेड़ों से के साथ हम सभी लोगों का जीवन जुड़ा हुआ है जो इन पेड़ों के कटने से सीधे तौर पर प्रभावित होगा।

 

 

विशिष्ट अतिथि कोटा चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि कॉरपोरेट जगत में देश को विकसित करने के स्थान पर अपना विकास करने की भावना हावी है। शाहबाद जंगल में लगने वाला हाईड्रो पावर प्लांट एक पुरानी पद्धति है जिसके कई विकल्प अभी प्रचलन में है। ये केवल कुछ लोगों द्वारा वन भूमि को हथियाने का षड्यंत्र मात्र है। अध्यक्षता कर रहें समाजसेवी उद्योगपति विष्णु साबू ने कहा कि ये जंगल केवल शाहबाद की सम्पत्ति नहीं है अपितु पूरे देश की जनता की धरोहर है, इसकी सुरक्षा का दायित्व हम सभी लोगों का नैतिक दायित्व है।
 

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