'देर से आए, लेकिन दुरुस्त आए', Udaipur MP Dr. Mannalal Rawat के चार महीने का कार्यकाल पूरा होने पर बातचीत

Edited By Chandra Prakash, Updated: 24 Oct, 2024 03:24 PM

discussion on completion of four months tenure of udaipur mp

उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत का कहना है कि वह राजनीति में भले ही देर से आए, लेकिन दुरुस्त आए हैं। यदि वे एक साल पहले आते, तो क्षेत्र में सनातन और आदिवासी समाज को लेकर अलगाववादी बातें उठती ही नहीं। हालांकि, वे मानते हैं कि अभी भी समय उनके पक्ष में...

दयपुर, 24 अक्टूबर 2024 (सुभाष शर्मा) । उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत का कहना है कि वह राजनीति में भले ही देर से आए, लेकिन दुरुस्त आए हैं। यदि वे एक साल पहले आते, तो क्षेत्र में सनातन और आदिवासी समाज को लेकर अलगाववादी बातें उठती ही नहीं। हालांकि, वे मानते हैं कि अभी भी समय उनके पक्ष में है और मेवाड़-वागड़ के राजनीतिक माहौल में सुधार की जिम्मेदारी उन पर है, जिसे वे बखूबी निभा रहे हैं।

भारतीय आदिवासी पार्टी पर आक्रामक रवैया
सांसद डॉ. रावत भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के खिलाफ शुरू से ही मुखर रहे हैं। उनका मानना है कि बीएपी आदिवासी समाज को भ्रमित कर रही है और इसके पीछे राजनीतिक हित छिपे हैं। उनका यह भी कहना है कि आदिवासी समाज को अलगाववादी और राष्ट्रविरोधी विचारों से बचाना उनकी जिम्मेदारी है। धर्मांतरण के खिलाफ खुलकर बोलने से उनकी छवि एक आंदोलनकारी की बन गई है, लेकिन वे इसे अपने कर्तव्यों का हिस्सा मानते हैं।

बीएपी फैला रही भ्रामक बातें- डॉ. मन्नालाल रावत 
उन्होंने बांसवाड़ा-डूंगरपुर से बीएपी सांसद राजकुमार रोत पर भी कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि रोत आदिवासी समाज और सनातन धर्म को लेकर भ्रामक बातें फैला रहे हैं, जिससे समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है। डॉ. रावत का मानना है कि यह केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रविरोधी गतिविधि भी है, जिससे वे समाज को आगाह करते रहते हैं।

लोकसभा में दमदार उपस्थिति
डॉ. रावत कहते हैं उन्होंने लोकसभा में दक्षिणी राजस्थान के मुद्दों को दमदार तरीके से उठाया। वे न केवल उदयपुर, बल्कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर क्षेत्र के विकास के प्रति भी प्रतिबद्ध हैं। उनका मानना है कि वागड़ के विकास के बिना आदिवासी समाज का समग्र विकास संभव नहीं है।

चार माह का अनुभव
डॉ. रावत ने 23 जून को लोकसभा में शपथ ली थी और अपने चार महीने के कार्यकाल में लोकतंत्र को निकट से समझने का अनुभव किया। उनका ध्यान संसदीय व्यवस्था के जरिए मेवाड़-वागड़ क्षेत्र की शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संरक्षण, पर्यटन, पर्यावरण, आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों और रोजगार सृजन पर केंद्रित रहा है।

सोशल मीडिया पर सक्रियता और धमकियां
सोशल मीडिया पर डॉ. रावत की सक्रियता भी चर्चा का विषय रही है। उनके बेबाक विचारों के कारण उन्हें कई बार धमकियां भी मिली हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इन धमकियों से नहीं डरते और आदिवासी हितों की रक्षा के लिए अपनी आवाज उठाते रहेंगे। उनका कहना है कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद क्षेत्र में अतिवादी विचारधारा का प्रभाव बढ़ा है, जो औपनिवेशिक शक्तियों से प्रेरित प्रतीत होती है। हालांकि, वे मानते हैं कि धीरे-धीरे धुंध साफ हो रही है और सत्य उजागर हो रहा है।

वागड़ में राजनीतिक बदलाव
वागड़ के राजनीतिक माहौल में बदलाव के संदर्भ में डॉ. रावत का कहना है कि भाजपा की भूमिका इस क्षेत्र में अहम रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि आगामी सलूम्बर और चौरासी विधानसभा उपचुनावों में भाजपा जीत हासिल करेगी, जिससे क्षेत्र के बदलते हालात का प्रमाण मिलेगा।

प्राथमिकताएं और भविष्य की योजनाएं
डॉ. रावत की इस साल की प्रमुख प्राथमिकताओं में जाखम डेम को जयसमंद से जोड़ना शामिल है। इसके लिए सात हजार करोड़ की योजना पर काम हो रहा है। साथ ही, उदयपुर-पिंडवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार के लिए सौ करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की जा चुकी है। उन्होंने डीएमएफटी से 245 कार्य स्वीकृत कराए हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क निर्माण शामिल हैं। इसके अलावा, वे कृषि, पर्यटन, ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और 100 लाइब्रेरियों के निर्माण पर भी काम कर रहे हैं। डॉ. रावत का मानना है कि उनके नेतृत्व में क्षेत्र में विकास कार्यों की गति तेज होगी, जिससे मेवाड़-वागड़ का समग्र विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
 

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