Edited By Chandra Prakash, Updated: 05 Aug, 2024 07:33 PM
मुख्यमंत्री के गृह जिले भरतपुर में एक अनूठा प्रदर्शन देखने को मिला । कच्चा परिकोटा संघर्ष समिति द्वारा नगर निगम कार्यालय से लेकर जिला कलेक्ट्रेट तक दंडवत परिक्रमा कर प्रदर्शन किया गया। लोगों ने अपने मकान के पट्टों की मांग को लेकर विरोध जताया । इस...
भरतपुर, 5 अगस्त 2024 । मुख्यमंत्री के गृह जिले भरतपुर में एक अनूठा प्रदर्शन देखने को मिला । कच्चा परिकोटा संघर्ष समिति द्वारा नगर निगम कार्यालय से लेकर जिला कलेक्ट्रेट तक दंडवत परिक्रमा कर प्रदर्शन किया गया। लोगों ने अपने मकान के पट्टों की मांग को लेकर विरोध जताया । इस दौरान प्रदर्शन कारियों ने नगर निगम पर सरकार के आदेश के बाद भी पट्टे जारी नहीं करने के आरोप लगाए ।
दरअसल, भरतपुर में जिन लोगों को अपने मकान का पट्टा नहीं मिला है, उन्होंने सोमवार को नगर निगम आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। लोगों ने नगर निगम आयुक्त के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नगर निगम से कलेक्ट्रेट तक परिक्रमा लगाई । लोगों ने नगर निगम आयुक्त पर आरोप लगाया है कि वे अपने ट्रांसफर को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए पट्टे जारी नहीं कर रहे। साथ ही पूर्व आयुक्त कमल राम मीणा ने हाईकोर्ट में फर्जी एफिडेविट दिया था।
इस दौरान नगर निगम के पूर्व पार्षद इंद्रजीत भारद्वाज भूरा ने बताया कि राजस्थान सरकार 12 जुलाई 2024 को नगर निगम आयुक्त को आदेश दिया था कि पट्टा अभियान के दौरान जिन पत्रावलियों में पट्टा शुल्क जमा हो गया है। उन लोगों को 10 अगस्त 2024 तक पट्टे देने की कार्रवाई की जाए। उन लोगों से अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाए । तो वहीं दूसरे आदेश में बताया गया कि अभियान के दौरान जो पत्रावली आई है। उसमें अगर शुल्क जमा नहीं हुआ है, तो वर्तमान आदेश पर उसमें कार्रवाई करते हुए राशि लेकर इनका निस्तारण करने की कार्रवाई 10 अगस्त तक की जाए।
साथ ही उन्होंने बताया कि नगर निगम के आयुक्त अपने ट्रांसफर का दबाव राजस्थान सरकार पर बनाने के लिए जनता के हितों को दरकिनार कर रहे हैं। भरतपुर के कच्चे डंडे पर एक भी मकान के पट्टे देने की कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि आखिरी तारीख में सिर्फ चार दिन बचे हैं। लोक नगर निगम आयुक्त से पूछते हैं नगर निगम ने पुरातत्व विभाग से मार्गदर्शन मांगा था। जिसमें पुरातत्व विभाग ने यह कहा कि 16 जून 1992 से पहले कोई मकान बना हुआ है, उसे पट्टा दिया जा सकता है। ऐसे में लोगों से सितंबर 2023 में पट्टा शुल्क जमा करवा लिया गया। लेकिन उन्हें अभी तक पट्टा नहीं दिया गया है। गोवर्धन गेट से लेकर सहयोग नगर तक डंडे की जमीन को पूर्व आयुक्त कमल राम मीणा ने जल डूब की जमीन बताते हुए हाईकोर्ट को झूठा एफिडेविट दिया।
जब इस मामले की जांच करवाई गई तो तहसीलदार भरतपुर ने बताया कि यह खसरा नंबर गलत अंकित हो गया है । यह भूमि जल डूब की नहीं है, यह आबादी की जमीन है । उन लोगों से पट्टा शुल्क जमा करवा लिया गया तो उन्हें पट्टा क्यों नहीं दिया जा रहा ?, जिसके चलते हुए सोमवार को भारी संख्या में नगर निगम पर लोग पहुंचे । जिसमें महिला-पुरुष और बच्चे-बुजुर्ग भी शामिल थे । वहीं नगर निगम के पूर्व पार्षद नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत भारद्वाज भूरा ने नगर निगम से लेकर कलेक्ट्रेट तक दंडवत परिक्रमा लगाई और प्रशासन को नींद से जगाया।