Edited By Afjal Khan, Updated: 21 Jul, 2024 05:55 PM
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन अभियान की धज्जियां उड़ती हुई नजर आ रही है । दरअसल ऐसा ही मामला प्रतापगढ़ जिले के ग्राम पंचायत झासडी के गांव सोहनपुर में सामने आया है...जहां लाखों रुपए की कीमत से शौचालय का निर्माण किया गया, जिसे महज...
प्रतापगढ़, 21 जुलाई 2024 । केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन अभियान की धज्जियां उड़ती हुई नजर आ रही है । दरअसल ऐसा ही मामला प्रतापगढ़ जिले के ग्राम पंचायत झासडी के गांव सोहनपुर में सामने आया है...जहां लाखों रुपए की कीमत से शौचालय का निर्माण किया गया, जिसे महज एक साल भी पूरा नहीं हुआ और वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है । बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के अनुसार शौचालय के स्ट्रक्चर में महिला ,पुरुष और दिव्यांग के लिए अलग-अलग शौचालय बनाना तय था । लेकिन सोहनपुर में पंचायत द्वारा बनाया गया शौचालय विद्यालय परिसर में बना कर लीपापोती कर दी गई और लाखों का बजट उठा लिया गया। ऐसे में अगर मौके पर शौचालय की स्थिति देखें तो शौचालय पूरी तरह व्यर्थ साबित हो रहा है । आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय पंचायत द्वारा विद्यालय परिसर में बना दिया गया, जब से बना तब से टंकी में पानी भी नहीं भरा गया और चारदीवारी में होने से कोई उपयोग नहीं हो रहा है, ऐसे में शौचालय पूरी तरह खंडर बन गया है । इस मामले में जब संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगी गई तो जिम्मेदार अधिकारी एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते हुए नजर आए । यह पहली बार नहीं है, जब किसी ने स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर सरकार से पैसे ऐंठने की कोशिश की । ऐसे मामले पहले भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं ।
इनमें से कुछ मामले इस प्रकार हैं : मध्य प्रदेश में 2012 से 2018 के बीच शौचालय बनाए जाने थे। रिपोर्टों के अनुसार ऐसा कहा गया कि 4.5 लाख से अधिक शौचालय बनाए गए, जिसके लिए सरकार ने लगभग 540 करोड़ रुपए मंजूर किए । लेकिन वास्तव में ये शौचालय कभी अस्तित्व में नहीं थे। वे सभी 'कागजी शौचालय' थे जो केवल कागजों पर ही पाए जा सकते थे, जमीन पर नहीं ।
ऐसा ही एक मामला राजस्थान में भी सामने आया था, जहां सरकार ने अपने घरों में शौचालय बनाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 12,000 रुपए का भुगतान किया। यह योजना बहुत बढ़िया चल रही थी, क्योंकि सरकार द्वारा बहुत सारा पैसा मंजूर किया गया था, लेकिन उन्हें यह एहसास हुआ कि ये सभी शौचालय केवल कागजों पर ही थे। ऐसी घटनाएं गुजरात, ओडिशा और कई अन्य राज्यों में भी हुई हैं, लेकिन आपको बता दें कि इस घोटाले का अभी तक भी समाधान निकल ही नहीं पाया ।