सीटू ने कलेक्ट्रेट के समक्ष किया प्रदर्शन, मनरेगा, जनजातीय व सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बजट में की गई कटौती वापस लेने की मांग

Edited By Chandra Prakash, Updated: 09 Aug, 2024 08:31 PM

citu demonstrated in front of the collectorate

भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र (सीटू) ने भारत सरकार की ओर से हाल ही में पेश किए गए बजट को जनविरोधी करार दिया है। इस बजट के जरिए चहेते कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप केन्द्र सरकार पर लगाते हुए सीटू कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को जिला कलक्ट्रेट...

हनुमानगढ़, 9 अगस्त 2024 (बालकृष्ण थरेजा) । भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र (सीटू) ने भारत सरकार की ओर से हाल ही में पेश किए गए बजट को जनविरोधी करार दिया है। इस बजट के जरिए चहेते कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप केन्द्र सरकार पर लगाते हुए सीटू कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को जिला कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। इससे पहले सीटू कार्यकर्ता लाल चौक पर एकत्रित हुए और जुलूस के रूप में नारेबाजी करते हुए जिला कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां नारेबाजी के बाद प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। 

केन्द्र सरकार की ओर से वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तुत बजट घोर जनविरोधी है- रामेश्वर वर्मा 
माकपा राज्य सचिव मण्डल सदस्य रामेश्वर वर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तुत बजट घोर जनविरोधी है। इसमें देश की आम जनता, किसानों व मजदूरों के लिए कोई राहत नहीं है। इस बजट में मनरेगा पर केवल 86 हजार करोड़ का प्रावधान रखा है, जबकि इस मद में पहले ही 35 हजार करोड़ रुपए देश में खर्च हो चुके हैं। दूसरी तरफ बजट का आकार बढ़ाया है और मनरेगा की राशि घटाई है। जनजातीय बजट में 73 करोड़ की कटौती करते हुए 222.70 हजार करोड़ का प्रावधान रखा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर 17.50 हजार करोड़ की कटौती करते हुए इसे मात्र 313 हजार करोड़ रखी है। गत वर्ष के ग्रामीण विकास का बजट 3999.50 हजार करोड़ था, जिसे इस वर्ष 3730.83 हजार करोड़ रखा है। इस बजट में और खासकर बच्चों में बढ़ती भूखमरी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। ऐसे में आईसीडीएस योजना के बजट में पिछले साल के बजट की तुलना 300 करोड़ से अधिक की कटौती की गई है। बजट में कटौती के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतन भुगतान में और देरी होगी। 

बहादुर सिंह चौहान ने कहा कि यह बजट महंगाई, बेरोजगारी, न्यूनतम मजदूरी की अनुपलब्धता और अधिकांश श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों को संबंधित नहीं करता है। इस बजट में भी कॉरपोरेट समर्थक नीतियां दोहराई जा रही हैं। वित मंत्री की ओर से प्रस्तुत एनडीए-3 सरकार का पहला पूर्ण बजट दर्शाता है, कि सरकार पूर्ण रूप से अपने चहेते कॉरपोरेट घरानों की सेवा में पूर्ण रूप से प्रतिज्ञाबद्ध है। आने वाले समय में श्रमिक वर्ग अपनी एकता और संघर्ष के बल पर इन नीतियों के खिलाफ देश की मेहनतकश जनता को लामबंद कर संघर्ष को तेज कर इन नीतियों को वापस धकेलने का काम करेगा। ज्ञापन के माध्यम से मनरेगा के बजट में 122 करोड़ रुपए आवंटित करने, देश में दलित व आदिवासियों के हालात को देखते हुए जनजातिय बजट में की गई 73 करोड़ की कटौती को वापस लेकर बजट में इस राशि को बढ़ाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में की गई 17.50 हजार करोड़ की कटौती को वापस लेकर इस राशि को बढ़ाने आदि की मांग की गई। इस मौके पर चन्द्रकला वर्मा, कमला मेघवाल, आत्मासिंह, शेरसिंह शाक्य, बसंत सिंह, मेजर सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे ।

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