Edited By Afjal Khan, Updated: 28 Sep, 2023 08:19 PM
सिरोही जिले में यूआईटी आबू, पुलिस विभाग सिरोही, सहित अन्य विभागों में कई वर्षों से कार्यालयों में कार्मिक जमे हुए हैं। उन पर मुख्य सचिव राजस्थान द्वारा पूर्व में जारी एक आदेश का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जबकि सीएस ने साफ अपने आदेश में जिक्र किया था...
सिरोही जिले में यूआईटी आबू, पुलिस विभाग सिरोही, सहित अन्य विभागों में कई वर्षों से कार्यालयों में कार्मिक जमे हुए हैं। उन पर मुख्य सचिव राजस्थान द्वारा पूर्व में जारी एक आदेश का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जबकि सीएस ने साफ अपने आदेश में जिक्र किया था एक ही जगह पर जमे सरकारी कारिदों का तुरन्त प्रभाव से तबादला किया जाये। परन्तु यूआईटी आबू सहित कई विभागों में इस आदेश का कोई प्रभाव देखा नही गया। ज्ञात रहें यूआईटी आबू के वरिष्ठ लिपिक सौरभ शर्मा तेरह वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर यूआईटी आबू में कार्यरत हैं। जबकि उनकी मूल पोस्टिंग नगरपालिका आबूरोड में है। चौकिए मत यह तो सिर्फ एक उदाहरण है ऐसे कई कार्मिक अन्य विभागों में भी कई सालों से कार्यरत हैं। जिन्हें उक्त क्षेत्र की कुर्सी से मोह नहीं छूट रहा। दरअसल यह सब जिम्मेदारो को पता ही है। फिर भी यह मेहरबानी कई वर्षों से बरकरार है। जो एक पारदर्शी शासन व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रहीं हैं...? आख़िर ऐसी क्या वजह रहती है जो इस प्रकार कि मेहरबानी व सहानुभूति तेरह तेरह वर्षों से बरकरार है...? जो सरकार में बैठे नुमाइंदों और सरकारी कारिदों की कार्यशैली पर कई सवाल उठाती है।
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जबकि ये हैं सीएस के निर्देश :-
मुख्य सचिव उषा शर्मा ने 1 जून 2023 को आदेश जारी किया था। जिसमें कहा था कि सचिवालय, विभिन्न विभागों और निदेशालयों, आयुक्तालयों में कार्यरत कर्मचारी, अधिकारी लंबे समय तक एक ही कार्यालय में पदस्थापित रहते हैं. जिससे राजकार्य की पारदर्शिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सरकारी कामकाज की विश्वसनियता पर संदेहास्पद होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में उन्होंने निर्देश दिया था कि सभी विभागों में कोई भी कर्मचारी 3 साल से एक ही जगह पर पदस्थापित नहीं रहना चाहिए। विशेष परिस्थिति में ये अवधि 5 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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सिरोही जिले में मुख्य सचिव के आदेशों की उड़रहीं हैं धज्जियां..?
मुख्य सचिव के आदेश की पालना सिरोही जिले में कितनी हुई है। इसकी तस्वीर आप सबके समक्ष है। यहां यूआईटी आबू में तेरह तेरह वर्षो से कार्मिक कार्यरत है। ऐसे और भी कई विभाग है जिसमे हालत कुछ ऐसी ही है। परन्तु उन विभाग में कार्यरत कार्मिको का न तो कई अन्य जगह तबादला हुआ और न ही प्रतिनियुक्ति रद्द हुई। जो जिम्मेदारो की कार्यशैली पर कई सवालियां निशान खड़े करता है। साथ ही सिरोही पुलिस विभाग में भी कई सालो से एक ही जगह पर कार्यरत कार्मिको को भी उस क्षेत्र की कुर्सी से मोह व अटूट प्रेम नहीं छूट रहा है। चाहे तबादला कई भी हो जाये कैसे भी करवाकर आखिर वे उसी जगह वापिस आ जायेंगे । ज्ञात रहें कुछ दिन पूर्व रेवदर डीएसपी कार्यालय से कार्मिको का अन्य जगह पर तबादला हुआ था। परन्तु अगली ही सूची में तबादला निरस्त करके उन्हें उसी जगह यथावत रखा गया। ऐसे कई उदाहरण जिले में मिल जायेंगे जो मुख्य सचिव के आदेशों की अवहेलना के प्रत्यक्ष प्रमाण है।
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जिम्मेदारों से जवाब मांगते सवाल...!
प्रदेश ब्यूरोक्रेसी की मुखिया ने आदेश जारी करके बकायदा सभी विभागों को निर्देश दे दिए फिर भी उस आदेश की पालना सिरोही ज़िले में क्यो नहीं हुई..? क्या इस पर सीएस करेगी चिंतन मनन..? आख़िर उनके आदेश कि जिले में पालना नहीं होने के पीछे क्या खास राज छुपे है...? फिर मुख्य सचिव के आदेश के मुताबिक सिरोही जिले में राजकार्य की पारदर्शिता कैसे आयेगी...? साथ ही लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे रहने से जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वो कैसे खत्म होगा..? सरकारी कामकाज की विश्वसनियता पर संदेहास्पद होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है वो कैसे खत्म होगी..? जबकि ज़िले में तो मुख्य सचिव के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं..? जबकि इस आदेश को इम्प्लीमेंट कौन करेगा..? जब सिरोही जैसे छोटे से ज़िले में यह हालत है तो फिर प्रदेश में क्या स्थिति होगी..? इस पर ब्यूरोक्रेसी की मुखिया को चिंतन मनन करना पड़ेगा, क्योकि आदेश उन्ही के द्वारा जारी किया गया है..? जब इस तरह आदेश की धज्जियां उड़ जाये तो हम पारदर्शी शासन व्यवस्था की कल्पना कैसे कर सकते हैं..?