Edited By Raunak Pareek, Updated: 12 Dec, 2024 04:12 PM
मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी प्रदान की है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इसे संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है। संभावना है कि यह विधेयक आगामी सप्ताह शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के पटल पर रखा जाएगा।
गुरुवार को मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, अब सरकार इस बिल को संसद के पटल पर पेश कर सकती है। इस विधेयक को अगले सप्ताह शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में लाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
सबसे पहले, जेपीसी (संसदीय संयुक्त समिति) का गठन किया जाएगा, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद इस विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा और इसे पास करवाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इससे पहले, रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 'एक देश, एक चुनाव' से संबंधित अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी।
JPC करेगी राजनीतिक दलों से चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, सरकार 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की योजना बना रही है, ताकि इस पर लंबी चर्चा हो सके और आम सहमति बनाई जा सके। जेपीसी इस प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और सामूहिक सहमति की आवश्यकता पर जोर देगी।
वर्तमान में देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। यह विधेयक कानून बनने के बाद पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि, सरकार के इस कदम का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसी कई इंडिया ब्लॉक पार्टियों ने विरोध किया है। विपक्ष का आरोप है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को राजनीतिक फायदा होगा।
दूसरी ओर, नीतीश कुमार की जेडी(यू) और चिराग पासवान जैसे प्रमुख एनडीए सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराने के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
आखिर सरकार की क्या है तैयारी ?
सूत्रों के अनुसार, सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहा जाएगा। इसके साथ ही, आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे, जिससे निर्णय प्रक्रिया में समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
विधेयक के प्रमुख पहलुओं में इसके लाभों और देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक कार्यप्रणाली पर विस्तार से विचार किया जाएगा। संभावित चुनौतियों का समाधान खोजा जाएगा और विभिन्न दृष्टिकोणों को एकत्रित किया जाएगा।
'एक देश, एक चुनाव' को बार-बार होने वाले चुनावों से जुड़ी लागत और व्यवधानों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक के लिए व्यापक समर्थन हासिल किया जाए। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक बहस तेज होने की संभावना है। विपक्षी दल इस विधेयक की व्यवहार्यता और इसके प्रभावों पर सवाल खड़ा कर सकते हैं।