Edited By Chandra Prakash, Updated: 05 Jan, 2025 03:14 PM
देश और प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में प्रदेश की सत्ता और संगठन में आने वाले दिनों में बदलाव तय हैं। सरकार के मुखिया और संगठन मुखिया दोनों ही बदलाव के लिए एक्सरसाइज कर रहे हैं। दोनों ही अपनी नई टीम का खाका तैयार कर चुके हैं। सरकार के मुखिया और...
हनुमानगढ़ 5 जनवरी 2025, (बालकृष्ण थरेजा) । देश और प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में प्रदेश की सत्ता और संगठन में आने वाले दिनों में बदलाव तय हैं। सरकार के मुखिया और संगठन मुखिया दोनों ही बदलाव के लिए एक्सरसाइज कर रहे हैं। दोनों ही अपनी नई टीम का खाका तैयार कर चुके हैं। सरकार के मुखिया और संगठन मुखिया दिल्ली का दौरा कर चुके हैं और दिल्ली में बड़े नेताओं को अपनी एक्सरसाइज का फीडबैक दे दिया है। अब दिल्ली से सिग्नल मिलने के बाद सत्ता व संगठन में नई टीम सामने आ जाएगी। वैसे पार्टी में संगठन के चुनाव चल रहे हैं और बदलाव का यह सही समय है। चुनाव प्रक्रिया के बाद संगठन में बदलाव की लिस्ट आ जाएगी। मंडल से लेकर जिलों के कप्तान बदलेंगे वहीं संगठन मुखिया की टीम में भी बड़ा बदलाव होगा। कई ऊर्जावान नेताओं को संगठन मुखिया की टीम में जगह मिल सकती है। इसी तरह सरकार में कई नए मंत्री आ सकते हैं और कई पुरानों को बदला जा सकता है। इस बदलाव में मंत्रियों के महकमे काफी हद तक बदल जाएंगे। संगठन और सरकार में नई टीम पर पार्टी के वैचारिक संगठन की राय भी ली जा रही है। सत्ता में मंत्री पद पाने वाले नेता जुगाड़ बैठाने में लगे हैं। संगठन और मंत्रिमंडल में बदलाव के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू होने वाला है। यह सारी तस्वीर मलमास खत्म होने के बाद सामने आएगी। फिलहाल सरकार के मुखिया और संगठन मुखिया दिल्ली के इशारे पर पूरा खाका तैयार करने में जुटे हैं।
खराब दौर में भी नहीं बदला ढर्रा !
प्रदेश में विपक्ष वाली पार्टी चाहे मजबूती के कितने ही दावे कर ले लेकिन संगठन की कार्यशैली पार्टी की किरकिरी करवा ही देती है। विपक्ष वाली पार्टी के सत्ता में रहते बनाए गए जिले रद्द करने के सरकार के फैसले के विरोध में संगठन मुखिया इन दिनों पूरे जोश के साथ बयानबाजी कर रहे हैं। पिछली सरकार के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के फैसले की भी संगठन मुखिया आलोचना कर रहे हैं। इसी बीच पार्टी की ब्लॉक कार्यकारिणी की जारी की गई सूची में सत्ता वाली पार्टी के विधायक का नाम आने से पार्टी की खूब किरकिरी हुई है। संगठन मुखिया के करीबी और महामंत्री संगठन का काम देखने वाले नेता के साइन से जारी इस सूची में सत्ता वाली पार्टी के विधायक का नाम आ गया है। दरअसल यह विधायक दो साल पहले इसी पार्टी में थे और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बदलकर मौजूदा समय में सत्ता वाली पार्टी से विधायक बन गए। सत्ता वाली पार्टी के विधायक का नाम विपक्ष वाली पार्टी की कार्यकारिणी में आने से राजनीतिक गलियारों में खूब चटखारे लिए जा रहे हैं। इससे पहले भी विपक्ष वाली पार्टी में मृत व्यक्तियों तक के नाम कार्यकारिणियों में आ चुके हैं। पार्टी इन दिनों देश भर में बुरे दौर से गुजर रही है लेकिन काम करने का अपना राजशाही तरीका नहीं बदला है। आंख मूंदकर पुरानी लिस्ट को जारी करने का सिलसिला पुराना है। घटनाक्रम के बाद देखना होगा कि अब संगठन मुखिया अपने दफ्तर को किस तरह से तैयार करते हैं ताकि वह ताजा सूचनाओं से अपडेट रह सकें । विपक्ष वाली पार्टी में नेता दफ्तर में सिर्फ नेताओं को खुश रखने का काम करते हैं जाहिर है वे सूचनाओं से अपडेट नहीं रहते इसलिए पार्टी की इस तरह से किरकिरी होती है।
बजट सत्र में खुश नजर आएंगे विधायक !
प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी के विधायक और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को खुश करने के लिए सरकार के मुखिया ने खुद कमान संभाली है। बजट सत्र से पहले विधायकों को इसलिए खुश किया जा रहा है ताकि वे सदन में सरकार के खिलाफ ही न खड़े हो जाएं ।सरकार के मुखिया ने पिछले दिनों संभागवार विधायकों से मुलाकात की। विधायकों की सबसे ज्यादा शिकायत उनकी सरकार में नहीं चलने की रही थी। कई मंत्रियों के कामकाज से विधायक नाखुश दिखे। विधायकों को खुश करने के लिए सरकार के मुखिया ने 10 दिनों तक तबादलों से बैन हटा दिया है। अब विधायकों की डिजायर पर ताबड़तोड़ तबादले होंगे। विधायकों की इच्छा से उनके यहां कर्मचारी लग सकेंगे और हट सकेंगे। विधायकों के कामकाज होने का असर बजट सत्र में देखने को मिलेगा। बजट सत्र में विधायक सरकार के कामकाज से संतुष्ट नजर आए तो सरकार विपक्ष के हमलों को झेलने में सहज रहेगी। पिछले दो सत्रों में सरकार के विधायकों ने ही सरकार के कामकाज पर अंगुली उठाई और सरकार के सामने दुविधा की स्थिति पैदा कर दी। सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट संभाल रहे नेताओं की उस वक्त भी खूब किरकिरी हुई जब कई विधायकों ने सदन में ही मंत्रियों को आड़े हाथों ले लिया। बजट सत्र में जिले रद्द करने और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के फैसले को लेकर विपक्ष मुखर नजर आएगा। विपक्ष वाली पार्टी के संगठन मुखिया और नेता प्रतिपक्ष सरकार को घेरने का ऐलान कर चुके हैं इसलिए सत्ता से जुड़े विधायकों को खुश रखकर विपक्ष के हमलों का जवाब देने की तैयारी पूरी की जा रही है।