मेरी निजी प्रॉपर्टी है,मेरी मर्जी वो झंडा लगाऊं - अनिरुद्ध भरतपुर, राज परिवार में विवाद का नया पेंच, राजवंश का झंडा क्या बदला गया ?

Edited By Vishal Suryakant, Updated: 12 Sep, 2025 08:59 PM

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भरतपुर के युवराज अनिरुद्ध सिंह ने हालिया झंडा विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि यह मुद्दा सिर्फ झंडे का नहीं, बल्कि पारिवारिक मामलों और दबाव की राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने साफ कहा – "मेरी प्रॉपर्टी, मेरी मर्जी।"

भरतपुर के युवराज अनिरुद्ध सिंह ने हालिया झंडा विवाद पर पंजाब केसरी डिजिटल के संपादक विशाल सूर्यकांत से बेबाक बातचीत की। अनिरुद्ध ने कहा कि महल पर झंडा लगाने का मामला उनकी निजी संपत्ति से जुड़ा है और इसमें किसी को दखल देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विवाद केवल झंडे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक कोर्ट मामलों, उनके पिता द्वारा बनाए जा रहे दबाव और कुछ लोगों के उनके प्रति “अनहेल्दी ऑब्सेशन” का नतीजा है। उन्होंने जोर देकर कहा: “मेरी प्रॉपर्टी, मेरी मर्जी – मैं जो झंडा फहराऊँ, इसमें किसी को क्यों आपत्ति होनी चाहिए।”

पंजाब केसरी के सवाल और अनिरुद्ध सिंह के जवाब 

पंजाब केसरी : हाल ही में महल पर झंडे को लेकर काफी विवाद हुआ है। कृपया विस्तार से बताइए कि असली वजह क्या है?

अनिरुद्ध सिंह: सबसे पहले मैं यह साफ करना चाहता हूँ कि यह झंडे का मुद्दा सिर्फ झंडे तक सीमित नहीं है। असली कारण मेरे पिता, महाराजा विश्वेंद्र सिंह के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई है। मेरी माँ और मैं हाई कोर्ट में उनके खिलाफ केस लड़ रहे हैं और हम बचाव पक्ष में हैं। "आज तक जितने भी केसेस हम लड़ रहे हैं, वे सभी मेरे पिता द्वारा फाइल किए गए थे। एसडीएम कोर्ट और डीएम कोर्ट दोनों ने हमारे पक्ष में फैसला दिया। अब मामला हाई कोर्ट में है। हाई कोर्ट में फैसले आने से पहले जानबूझकर मेरी ओर दबाव बनाने और ध्यान भटकाने के लिए ‘लॉ एंड ऑर्डर’ की स्थिति बनाई जा रही है। यह झंडा विवाद उसी रणनीति का हिस्सा है।" 

पंजाब केसरी : कुछ लोगों का आरोप है कि आपने महल पर जयपुर का पचरंगा झंडा लगा दिया है। इस पर आपका क्या जवाब है?

अनिरुद्ध सिंह: यह झंडा नया नहीं है और न ही जयपुर का है। यह भरतपुर रियासत का पचरंगा झंडा है, जो पिछले पांच साल से महल पर लगा हुआ है। "राजघरानों के झंडों के इतिहास को समझना जरूरी है। हर स्टेट का झंडा अलग होता है। अलग-अलग अवसरों के लिए अलग झंडे होते हैं। रोजाना लगाने वाला झंडा और युद्ध में इस्तेमाल होने वाला झंडा अलग होता है। पचरंगा झंडा रोजाना लगाने के लिए होता है, युद्ध में जाने के लिए अलग झंडा।" उन्होंने गोदारा साहब का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ लोग, जैसे गोदारा साहब, ना तो इतिहास जानते हैं, ना कुछ। पता नहीं कौन सी महासभा के अध्यक्ष बने घूमते हैं। कह रहे हैं कि जयपुर का पचरंगा है। तो यह दबाव बनाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं मुझ पर?"  

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पंजाब केसरी : क्या आपको लगता है कि लोग इस झंडा विवाद के जरिए आपका ध्यान भटका रहे हैं?

अनिरुद्ध सिंह: बिल्कुल। हाई कोर्ट में फैसले आने वाले हैं और इस बीच मेरी ओर ध्यान भटकाने और दबाव बनाने के लिए ये ‘लॉ एंड ऑर्डर’ की स्थिति बनाई जा रही है। "दिस इज दी मेन बैकग्राउंड ऑफ इट… साइड में अटेंशन डायवर्ट करने के लिए ये लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशंस क्रिएट करी जा रही हैं। यह सिर्फ झंडे का मुद्दा नहीं है।" 

पंजाब केसरी: क्या झंडा बदलना आपकी निजी संपत्ति पर आपके अधिकार में आता है?

अनिरुद्ध सिंह: हाँ, भारत एक स्वतंत्र देश है। मैं अपनी निजी संपत्ति पर किसी भी झंडे को लगाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हूँ। बस ध्यान रहे कि वह राष्ट्रीय झंडे का अपमान न करे या किसी अवैध संगठन का प्रतीक न हो। "इंडिपेंडेंट इंडिया में आप अपने घर पर कोई भी झंडा टांग सकते हैं। यह दबाव मुझे स्वीकार नहीं है। मैंने प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी है।" 

पंजाब केसरी : कुछ लोग झंडे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?

अनिरुद्ध सिंह: अगर लोग सच में भरतपुर रियासत से प्यार करते हैं, तो उन्हें उन बड़ी संपत्तियों के बारे में चिंता करनी चाहिए जो बिक गई हैं, न कि सिर्फ एक झंडे के लिए। "आगरा की हरि पर्वत कोठी बेच दी गई, वृंदावन और मथुरा के मंदिर बेच दिए गए, बंद बरेठा का महल बेच दिया गया। बड़ी-बड़ी संपत्तियों के खिलाफ आंदोलन करें, झंडे के लिए नहीं।" 

पंजाब केसरी : क्या आपको लगता है कि कुछ लोग आपके जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप कर रहे हैं?

अनिरुद्ध सिंह: हाँ, कुछ लोग मेरी निजी जिंदगी पर नजर रखते हैं – मैं क्या पहन रहा हूँ, किससे मिल रहा हूँ, क्या खा रहा हूँ, क्या ड्राइव कर रहा हूँ। यह अनहेल्दी ऑब्सेशन है। "मैं लंदन में एक पाकिस्तानी दोस्त के साथ था, और इसे विवादित बनाने की कोशिश की गई। लोग मुझे एक फ्रेम में फिट करना चाहते हैं – गाली-गलौज करने वाला, कानून अपने हाथ में लेने वाला, और सिर्फ एक ही समुदाय को तरजीह देने वाला। मैं इस तरह की राजनीति में शामिल नहीं होना चाहता।" 

पंजाब केसरी : ऐसा क्यों लगता है कि भरतपुर के कुछ लोग आपको एक विशेष फ्रेम में देखना चाहते हैं?

अनिरुद्ध सिंह: ऐसा लगता है कि कुछ लोग मुझे सांप्रदायिक और अत्यधिक उग्र दृष्टिकोण वाला फ्रेम में देखना चाहते हैं। यह मेरे लिए स्वीकार्य नहीं है। "माय मदर हैज़ नॉट ब्रॉट मी अप लाइक दैट। मैं उस फ्रेम में फिट नहीं होना चाहता। अगर मैं चाहता तो पलभर में स्थिति को पूरी तरह ध्रुवीकृत कर सकता था, लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता।" 

पंजाब केसरी : 21 सितंबर को होने वाली महापंचायत के बारे में आपका क्या रुख है?

अनिरुद्ध सिंह: कोई भी व्यक्ति मेरी निजी संपत्ति में घुसकर कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। मैंने प्रशासन को इसकी सूचना दे दी है। यह किसी भी तरह से मेरे या मेरी माँ के जीवन को प्रभावित नहीं करेगा। "फर्स्ट ऑफ ऑल नोबडी कैन ट्रेसपास प्राइवेट प्रॉपर्टी। फॉर लॉ एंड ऑर्डर को अपने हैंड में नहीं ले। यह मेरे पिता का पुराना ट्रिक है। हम इसके आगे नहीं झुकेंगे।"

पंजाब केसरी : इस पूरे विवाद से भरतपुर में आपके समर्थक और विरोधी दोनों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

अनिरुद्ध सिंह: मैं चाहता हूँ कि लोग समझें कि यह झंडे का मसला सिर्फ दिखावा है। असली मुद्दा पारिवारिक मामलों, दबाव और कुछ लोगों की अनहेल्दी ऑब्सेशन है। मेरी कोशिश हमेशा पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही रहेगी। "मैं अपनी निजी संपत्ति और परिवार के मामलों में किसी भी तरह का दबाव स्वीकार नहीं करूँगा। भारत स्वतंत्र है और मैं अपनी संपत्ति में जो करना चाहता हूँ, कर सकता हूँ। यही मेरा स्टैंड है।" 

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