अपने आखिरी इंटरव्यू में भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा - "गांधी जी को भुला दिया, मुझे क्या याद करेंगे?"

Edited By Sourabh Dubey, Updated: 07 Oct, 2025 12:05 PM

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जब भरत सिंह कुंदनपुर से उनके आखिरी इंटरव्यू में पूछा गया - आप क्या चाहते हैं, दुनिया आपको कैसे याद करें? उन्होंने बेहद सहज अंदाज में कहा – "नेकी कर और भूल जा। गांधी जी जैसे लोगों को भी देश ने भुला दिया। मुझे क्या याद करेंगे? मेरा मकसद सिर्फ सही काम...

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में अपनी बेबाकी और साफगोई के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर अब नहीं रहे। भरत सिंह कुंदनपुर का जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में निधन हो गया। आपको बता दें कि, भरत सिंह कुंदनपुर ने 4 जून 2025 को पंजाब केसरी राजस्थान को अपना आखिरी इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने भैरोंसिंह शेखावत से लेकर वसुंधरा राजे तक का जिक्र करते हुए शांति धारीवाल से अपनी राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों पर बेबाक राय रखी थी। इस आर्टिकल में उनके इस आखिरी इंटरव्यू की प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं।

पंचायती राज पर बोले – "सरकार ने किया सबसे बड़ा आघात"

भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब पंचायती राज को मजबूती देने के लिए संवैधानिक संशोधन कर हर पांच साल में पंचायत चुनाव को अनिवार्य किया गया। लेकिन मौजूदा सरकार ने समय पर चुनाव नहीं कराए, जो सीधे-सीधे संविधान का अपमान है। उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा – "पंचायत को मजबूत करने के बजाय खेत को खेत की बाड़ खा रही है और परिसीमन के नाम पर राजनीति की जा रही है।"

राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री कौन?

सवाल पर उन्होंने बिना देर किए कहा कि भैरोंसिंह शेखावत अब तक के सबसे सफल और सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा – "भैरव सिंह जी जमीन से निकले नेता थे, उन पर कभी भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा। उन्होंने प्रदेशहित में काम किया।"

साफगोई का खामियाजा भुगता?

भरत सिंह ने माना कि सच्चाई बोलने वाला हमेशा विरोध झेलता है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्होंने कभी इसका अफसोस नहीं किया – "जो भी सत्य बोलेगा उसे विरोध का सामना करना ही पड़ेगा, पर मैं इससे विचलित नहीं होता।"

मंत्री से सरपंच तक का सफर

भरत सिंह कुंदनपुर का राजनीतिक सफर अनोखा रहा है। मंत्री पद पर रहते हुए भी उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा। इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा गांव के नागरिक के तौर पर काम किया, पद को महत्व नहीं दिया।

पंचायती राज में भ्रष्टाचार पर

नरेगा जैसे योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार पर उन्होंने कहा – "यह एक व्यापक बीमारी है। इसे रोकने के लिए सबसे जरूरी है कि पद पर बैठा व्यक्ति ईमानदार हो और खुद तय करे कि वह बेईमानी नहीं करेगा।"

पार्टी बदलने की अटकलों पर

इस पर उन्होंने साफ कहा कि वह न कभी बीजेपी में जाएंगे और न ही किसी तीसरे विकल्प से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित होने के कारण वे आखिरी दम तक कांग्रेस में रहेंगे।

शांति धारीवाल से मतभेद पर

भरत सिंह ने स्वीकारा कि संगठनात्मक स्तर पर उनके मतभेद रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत रिश्तों में वह अब भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा – "मैं गलत लगता है तो खुलकर बोलता हूं, यही मेरी आदत है।"

कांग्रेस की स्थिति और हाड़ौती पर

उन्होंने माना कि हाड़ौती क्षेत्र में कांग्रेस को और मेहनत करनी होगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जनता अगर मौजूदा सरकार से असंतुष्ट होगी तो कांग्रेस सत्ता में लौट सकती है।

याद कैसे किए जाना चाहते हैं?

भरत सिंह ने बेहद सहज अंदाज में कहा – "नेकी कर और भूल जा। गांधी जी जैसे लोगों को भी देश ने भुला दिया। मुझे क्या याद करेंगे? मेरा मकसद सिर्फ सही काम करना है।"

भरत सिंह कुंदनपुर का यह इंटरव्यू एक बार फिर उनकी साफगोई और बेबाक अंदाज को उजागर करता है। मंत्री पद से लेकर पंचायती स्तर तक राजनीति करने वाले भरत सिंह ने स्पष्ट किया कि राजनीति उनके लिए कुर्सी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।
 

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