Edited By Chandra Prakash, Updated: 02 Sep, 2024 05:01 PM
बारह गुवाड़ चौक स्थित रमक झमक में भैरव तुंबड़ी महोत्सव शुरू हुआ। महोत्सव के प्रथम दिन 52 भैरव की स्थापना की गई, इससे पूर्व रोली गणेश, षोडश मातृका, नवग्रह,रुद्र कलश,योगिनी,क्षेत्रपाल, वास्तु पुरूष,अखण्ड ज्योति की स्थापना की गई। पंचोपचार पूजन कर प.आशीष...
बीकानेर,2 सितंबर 2024 : बारह गुवाड़ चौक स्थित रमक झमक में भैरव तुंबड़ी महोत्सव शुरू हुआ। महोत्सव के प्रथम दिन 52 भैरव की स्थापना की गई, इससे पूर्व रोली गणेश, षोडश मातृका, नवग्रह,रुद्र कलश,योगिनी,क्षेत्रपाल, वास्तु पुरूष,अखण्ड ज्योति की स्थापना की गई। पंचोपचार पूजन कर प.आशीष भादाणी एवं डॉ. गोपाल भादाणी के आचार्यत्व में रुद्रा अष्टाध्याय पाठ किया गया। रुद्री के प्रत्येक अध्याय के साथ भैरव अष्टोत्तर शतनाम पाठ करते हुए भैरव प्रधान पीठ का फल के रस,औषधि,पंच पुष्प अर्क,बिल्व पत्र अर्क, एवं गुलाब,मोगरा, चंदन, इत्र के साथ केशु केशर,अगर,तगर,अष्ट गन्ध से प्रथक पृथक अभिषेक किया गया, जिसके जल का उपस्थित जनों पर मार्जन कर दूध गुड़ का अभिषेक भी किया गया। दूध गुड़ को श्वान (कुत्तों)को पिलाया गया।
भैरव तुंबड़ी महोत्सव के आयोजक एवं रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरु'ने बताया कि अभिषेक के बाद चकमक रोटा चूरमा, इमरती, दही बड़े व पान का बिड़ला चढ़ाया गया। बाबू महाराज ने भैरुनाथ का श्रृंगार किया । महोत्सव के प्रथम दिन शिवबाड़ी लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता संत विमर्शानन्द गिरी महाराज एवं कानासर फांटा स्थित रामदेव मंदिर गौशाला एवं आश्रम के अधिष्ठाता संत भावनाथ महाराज का सानिध्य रहा।
इस अवसर विमर्शानन्द महाराज ने कहा कि इस प्रकार के आध्यात्मिक उत्सव जन मानस में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है । वहीं तुंबड़ी महोत्सव जैसे आयोजन परकोटा संस्कृति को अक्षुण बनाए रखता है। संत भावनाथ महाराज ने कलयुग में भैरव महिमा और उनके पूजन की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि भैरव भय को हरने वाले देव है। इससे पूर्व दोनों संतों का रामकंवरी ओझा और रामप्यारी चुरा संतों को भगवा शॉल ओढ़ाकर व अंजनी चुरा ने माला श्रीफल भेंट कर स्वागत किया और पंडितों ने वेदमंत्रों से पूजन तिलक किया। आरती में शहर के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे ।