Edited By Chandra Prakash, Updated: 01 Feb, 2025 02:53 PM
माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसके साथ ही इस दिन ही मां सरस्वती की उपत्ति भी हुई थी। यह दिन छात्रों, कला,...
अजमेर, 2 फरवरी 2025 । माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसके साथ ही इस दिन ही मां सरस्वती की उपत्ति भी हुई थी। यह दिन छात्रों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास होता है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का भी विशेष महत्व होता है। बसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ या किसी भी शुभ कार्य के लिए बेहद उत्तम माना जाता है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। वसंत पंचमी तिथि के बाद से ही वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। वसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनने का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर देवी सरस्वती का जन्म हुआ था।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि मुहूर्त शास्त्र में वसंत पंचमी की तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने में मुहूर्त का विचार नहीं करते। वसंत पंचमी पर कई तरह के शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस वसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह और नई वस्तु की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। प्रकृति के इस उत्सव को महाकवि कालीदास ने इसे ''सर्वप्रिये चारुतर वसंते'' कहकर अलंकृत किया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ''ऋतूनां कुसुमाकराः'' अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूँ कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया। वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि सृष्टि अपनी प्रारंभिक अवस्था में मूक, शांत और नीरस थी। चारों तरफ मौन देखकर भगवान ब्रह्मा जी अपने सृष्टि सृजन से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का और इससे अद्भुत शक्ति के रूप में मां सरस्वती प्रकट हुईं। मां सरस्वती ने वीणा पर मधुर स्वर छेड़ा जिससे संसार को ध्वनि और वाणी मिली। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन आराधना करने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती के विवाह की लग्न लिखी गई। विद्यार्थी और कला साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को इस दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा कभी विफल नहीं जाती। मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस दिन घर में मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर अवश्य स्थापित करें। घर में वीणा रखने से घर में रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है। घर में हंस की तस्वीर रखने से मन को शांति मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है। मां सरस्वती की पूजा में मोर पंख का बड़ा महत्व है। घर के मंदिर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है। कमल के फूल से मां का पूजन करें। बसंत पंचमी के दिन विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य संपन्न कराए जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन शिशुओं को पहली बार अन्न खिलाया जाता है। इस दिन बच्चों का अक्षर आरंभ भी कराया जाता है। बसंत पंचमी में पीले रंग का विशेष महत्व है। पूजा विधि में पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें। पीले रंग के व्यंजन बनाए जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा की जाती है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
सरस्वती पूजा मुहूर्त
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस साल 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:09 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि के समय देवी सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।
शुभ योग
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के मुताबिक 2 फरवरी को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का निर्माण होगा, जिस पर शिव और सिद्ध योग का संयोग रहेगा। इस तिथि पर सूर्य मकर राशि में रहेगें। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 मिनट तक रहेगा। अमृतकाल रात 20:24 से 21:53 मिनट तक है।
पूजा विधि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें। अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें। मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें। विद्यार्थी चाहें तो इस दिन मां सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि मां सरस्वती के इस श्लोक से मां का ध्यान करें। इसके पश्चात ’ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ का जाप करें और इसी लघु मंत्र को नियमित रूप से आप अर्थात विद्यार्थी वर्ग प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर इस मंत्र से मां सरस्वती का ध्यान करें। इस मंत्र के जाप से विद्या, बुद्धि, विवेक बढ़ता है। वसंतोत्सव नवीन ऊर्जा देने वाला उत्सव है। शिशिर ऋतु के असहनीय सर्दी से मुक्ति मिलने का मौसम आरंभ हो जाता है। प्रकृति में परिवर्तन आता है और जो पेड़-पौधे शिशिर ऋतु में अपने पत्ते खो चुके थे वे पुनः नव-नव पल्लव और कलियों से युक्त हो जाते हैं। वसंतोत्सव माघ शुक्ल पंचमी से आरंभ होकर के होलिका दहन तक चलता है। कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन जैसा मौसम होता है वैसा पूरे होली तक ऐसा ही मौसम रहता है।
सरस्वती पूजा की सामग्री
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए सामग्री में आप मां शारदा की तस्वीर, गणेश जी की मूर्ति और चौकी व पीला वस्त्र शामिल करें। इसके अलावा पीले रंग की साड़ी, माला, पीले रंग का गुलाल, रोली, एक कलश, सुपारी, पान का पत्ता, अगरबत्ती, आम के पत्ते और धूप व गाय का घी भी शामिल करें। वहीं कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू और चंदन, अक्षत, दूर्वा, गंगाजल रखना न भूलें।
बसंत पचंमी कथा
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।