सर्वाइकल कैंसर बचाव और उपचार पर जागरूकता अभियान !

Edited By Rahul yadav, Updated: 24 Jan, 2025 06:25 PM

awareness campaign on cervical cancer prevention and treatment

सर्वाइकल कैंसर पर हुई सेमिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि हिंदुस्तान में हर 8 मिनट में एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से हो रही है । डॉक्टर बोले अर्ली स्टेज पर सर्वाइकल कैंसर को रिमूव किया जा सकता है । जिसके लिए मरीज को कुछ एक्सरसाइज और खान-पान में...

दौसा मेडिकल कॉलेज में सर्वाइकल कैंसर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

दौसा के नवल किशोर शर्मा गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके बचाव व उपचार की जानकारी देना था। कार्यक्रम का नेतृत्व प्राचार्य डॉ. सुमिता ए. जैन और विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने किया। इस अवसर पर उप प्राचार्य डॉ. राजेंद्र यादव और पीएमओ डॉ. आर.के. मीणा भी उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी व प्रेरणादायक बनाया।

कार्यक्रम में विशेषज्ञों का योगदान

इस जागरूकता कार्यक्रम में जयपुर से आई विशेषज्ञ डॉक्टरों में डॉ. सुनीला खंडेलवाल, डॉ. मधुलिका अग्रवाल और डॉ. शुभा सेठिया ने विशेष योगदान दिया। अपने संबोधन में, उन्होंने सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों और उनके निवारण के उपायों पर चर्चा की। डॉ. नीलम जैन ने अपने वक्तव्य में एक चौंकाने वाला तथ्य साझा किया कि भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से होती है। उन्होंने बताया कि इस गंभीर स्थिति से बचने के लिए वैक्सीनेशन और नियमित स्क्रीनिंग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

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    डॉ. नीलम जैन ने सुझाव दिया कि 9 से 15 साल की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन लगवाना चाहिए। यह वैक्सीन भारत में आसानी से उपलब्ध है और इसका उपयोग भविष्य में कैंसर के जोखिम को कम करता है। उन्होंने यह भी बताया कि शादी के बाद या 21 वर्ष की उम्र के बाद हर महिला को प्रत्येक 3 साल में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग जांच करानी चाहिए। यह कदम कैंसर के शुरुआती चरण में पता लगाने और समय पर उपचार शुरू करने में मदद करता है।

    नई तकनीक और स्क्रीनिंग की जानकारी

    डॉ. शुभा और डॉ. मधुलिका ने सर्वाइकल कैंसर के कारण, लक्षण और उपचार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर के स्क्रीनिंग के लिए अब आधुनिक तकनीक उपलब्ध हैं, जैसे ‘ऑटोमेटेड विजुअल इवैल्यूएशन मशीन’। इस मशीन की विशेषता यह है कि यह केवल 5 सेकंड में कैंसर का पता लगाने में सक्षम है। यह तकनीक न केवल तेज है बल्कि अधिक सटीक परिणाम भी देती है।

    कार्यक्रम के दौरान जिला चिकित्सालय में 25 महिलाओं की निशुल्क जांच की गई। स्क्रीनिंग के दौरान आधुनिक मशीनों का उपयोग किया गया, जिससे महिलाओं को त्वरित और सही जानकारी प्राप्त हो सकी। यह पहल उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद रही जो नियमित जांच के लिए आर्थिक या सामाजिक बाधाओं का सामना करती हैं।

    मेनोपॉज और स्वास्थ्य पर चर्चा

    कार्यक्रम में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) और इसके प्रभावों पर भी चर्चा की गई। डॉ. सुनीला खंडेलवाल ने हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं में होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

    उन्होंने महिलाओं को सही डाइट और नियमित एक्सरसाइज अपनाने की सलाह दी। सही पोषण और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से मेनोपॉज के प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस चर्चा ने महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक बनने के लिए प्रेरित किया।

    कार्यक्रम में विशिष्ट उपस्थिति

    इस जागरूकता कार्यक्रम में स्त्री रोग विभाग के कई चिकित्सक सक्रिय रूप से शामिल हुए। इनमें डॉ. ममता गंगवाल, डॉ. तस्लीम जारा, डॉ. अर्चना, डॉ. राजेश, डॉ. रेखा, डॉ. सरोज, डॉ. सुमन मीणा, डॉ. सुमन शर्मा, डॉ. रजनी, डॉ. राकेश, डॉ. मंजू, डॉ. रीना और अन्य विभागों के वरिष्ठ डॉक्टर शामिल थे। उनकी उपस्थिति और योगदान ने इस कार्यक्रम को सफल और प्रभावशाली बनाया।

    महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति नई दिशा

    यह जागरूकता कार्यक्रम सर्वाइकल कैंसर के प्रति महिलाओं में जागरूकता फैलाने और उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। महिलाओं को बताया गया कि नियमित जांच और सही जीवनशैली अपनाकर इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है।

    कार्यक्रम ने न केवल महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया, बल्कि उन्हें अपनी सेहत की जिम्मेदारी खुद लेने के लिए प्रेरित भी किया। दौसा मेडिकल कॉलेज का यह प्रयास न केवल क्षेत्र में बल्कि पूरे समाज में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर नई सोच और जागरूकता पैदा करने में सफल रहा।

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