Edited By Raunak Pareek, Updated: 12 Dec, 2024 05:00 PM
गुरुवार सुबह हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बच्चे के शरीर में कोई गंभीर चोट नहीं थी, केवल हाथ पर मामूली चोट के निशान थे। मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया।
राजस्थान के दौसा जिले में बोरवेल में गिरा 5 साल का बच्चा, आर्यन, 3 दिन बाद बाहर निकाला गया। बुधवार रात करीब 12 बजे उसे बोरवेल से निकाला गया और मेडिकल टीम ने उसे तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन 30 मिनट के भीतर उसे मृत घोषित कर दिया।
गुरुवार सुबह हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बच्चे के शरीर में कोई गंभीर चोट नहीं थी, केवल हाथ पर मामूली चोट के निशान थे। मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया।
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि बच्चे की श्वसन नली में पानी भर गया था, जिससे उसकी मृत्यु हुई। जब बच्चा बोरवेल में गिरा, तब वह 147 फीट की गहराई पर अटका हुआ था, और पानी उससे करीब 6 फीट नीचे था। इस बीच, इलाके में पानी की मोटरों से पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई, जिससे बोरवेल में पानी का स्तर बढ़ा और बच्चा उसमें डूब गया। इसके बाद मोटर चालू की गई, लेकिन तब तक आर्यन की मृत्यु हो चुकी थी, जो गिरने के करीब 20 से 21 घंटे बाद हुई।
आर्यन की 36 घंटे पहले ही थम चुकी थी सांसे
एनडीआरएफ टीम ने जानकारी दी कि मंगलवार तड़के 3 बजे बोरवेल में फंसे बच्चे के शरीर में आखिरी बार हलचल देखी गई थी। इसके बाद सुबह करीब 9 बजे जब बचाव टीम ने कैमरे से जांच की, तो कोई मूवमेंट नजर नहीं आया। बचाव अभियान के दौरान 36 घंटे तक बच्चे में किसी प्रकार की हरकत नहीं देखी गई। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि मासूम की मौत मंगलवार सुबह ही हो गई थी।
मां को समझाकर लेकर गए हॉस्पिटल
मासूम को बाहर निकालते ही एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एम्बुलेंस से तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया। बेटे की हालत की खबर मिलते ही मां गुड्डी देवी रोते हुए चीखने लगी और उसे देखने की जिद करने लगी। पति जगदीश प्रसाद मीणा और अन्य रिश्तेदारों ने उसे समझाने की कोशिश की कि बच्चे को इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाना जरूरी था, क्योंकि घर पर इलाज संभव नहीं था। यह सुनते-सुनते मां सदमे में बेसुध होकर बेहोश हो गई।
ऑपरेशन के समय दूध की बोतल लेकर बैठा रहा पिता
पिता जगदीश प्रसाद मीणा का दिल बेटे आर्यन की भूख और प्यास को सोचकर तड़प रहा था। वह हर दिन बोरवेल के पास बोतल में गर्म दूध लेकर बैठे रहे, उम्मीद थी कि बेटा बाहर निकलेगा और भूखा-प्यासा होगा। हालांकि, रेस्क्यू टीम ने दूध देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वह सुबह होते ही थोड़ी देर के लिए दूर चले जाते, फिर घर से दूध गर्म करवाकर वापस लौट आते। उन्हें पूरा यकीन था कि आर्यन सुरक्षित बाहर आएगा और उसे दूध की जरूरत होगी। लेकिन 57 घंटे बाद उनकी यह उम्मीद हमेशा के लिए टूट गई।
मां के सामने बोरवेल में गिरा था आर्यन
सोमवार, 9 दिसंबर को दोपहर करीब तीन बजे, आर्यन अपने घर से महज 100 फीट की दूरी पर स्थित बोरवेल में गिर गया। वह अपनी मां के साथ खेल रहा था, लेकिन जब तक मां उसे पकड़ पाती, वह बोरवेल में फिसल गया। इस बोरवेल को परिवार ने करीब तीन साल पहले खुदवाया था। हालांकि, इसमें मोटर फंसने के कारण यह उपयोग में नहीं आ रहा था, फिर भी इसे बंद करवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
आर्यन रेस्क्यू ऑपरेशन का पूरा टाइमलाइन
9 दिसंबर
- दोपहर 3:00 बजे: आर्यन बोरवेल में गिरा।
- शाम 4:00 बजे: एसडीएम और लोकल रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंची।
- शाम 5:00 बजे: बोरवेल में ऑक्सीजन सप्लाई शुरू की गई।
- शाम 6:00 बजे: जयपुर से एसडीआरएफ टीम घटनास्थल पर पहुंची।
- शाम 7:00 बजे: बोरवेल के पास 7 जेसीबी से 25 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया।
- शाम 7:30 बजे: बोरवेल के पास 50 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया।
- रात 9:15 बजे: एनडीआरएफ टीम घटनास्थल पर पहुंची।
- रात 10:00 बजे: कैमरे में बच्चा रस्सी पकड़े हुए नजर आया।
10 दिसंबर:
- रात 1:00 बजे: एनडीआरएफ ने देसी जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया।
- रात 3:00 बजे: दो और एलएनटी मशीनें पहुंचीं, खुदाई तेज हुई।
- सुबह 8:00 बजे: एनडीआरएफ ने बोरवेल में एल-शेप प्लेट डालने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।
- दोपहर 1:31 बजे: कलेक्टर ने बताया कि बच्चे से बातचीत नहीं हो पा रही।
- शाम 6:40 बजे: सवाई माधोपुर से पाइलिंग मशीन पहुंची।
- रात 11:00 बजे: एक्सपर्ट ने देसी तकनीक से बच्चे को निकालने का प्रयास किया।
11 दिसंबर:
- सुबह 3:00 बजे: पाइलिंग मशीन ने 110 फीट तक खुदाई की।
- सुबह 9:00 बजे: मशीन में खराबी आने से खुदाई रुक गई।
- शाम 7:00 बजे: दूसरी पाइलिंग मशीन ने 125 फीट खुदाई पूरी की।
- रात 11:45 बजे: आर्यन को 57 घंटे बाद बोरवेल से बाहर निकाला गया।
- रात 12:40 बजे: जिला अस्पताल में आर्यन को मृत घोषित किया गया।