भटनेर के झरोखे से : चीफ की घुड़की के बाद सब शांत, फैसलों का इंतजार !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 02 Dec, 2024 05:14 PM

after the chief s rebuke everything is quiet waiting for decisions

देश में विपक्ष वाली पार्टी अपनी लगातार गिरती परफॉर्मेंस से चिंता में है। पार्टी की सबसे बड़ी नीति निर्धारक समिति की दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी चीफ ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी नेताओं को कड़ी नसीहत दी है।...

 

नु्मानगढ़, 2 नवंबर 2024 (बालकृष्ण थरेजा) । देश में विपक्ष वाली पार्टी अपनी लगातार गिरती परफॉर्मेंस से चिंता में है। पार्टी की सबसे बड़ी नीति निर्धारक समिति की दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी चीफ ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी नेताओं को कड़ी नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी में नीचे से ऊपर तक बदलाव की जरूरत है। नेताओं की आपसी बयानबाजी से पार्टी को नुकसान हो रहा है। पार्टी चीफ ने यह स्वीकार भी किया कि सत्ता वाली पार्टी के मुकाबले उनके पास चुनाव जीतने वाली रणनीति की कमी है, इसमें सुधार की जरूरत है। बदलाव वाले बयान के बाद पार्टी से जुड़े नेताओं में चुप्पी छाई हुई है। पार्टी चीफ ने यह बात पार्टी के सर्वेसर्वा की मौजूदगी में कही। पार्टी के सर्वेसर्वा आजकल लोकसभा में नेता विपक्ष का जिम्मा संभाल रहे हैं और चुनाव में मिल रही हार से उबरने का रास्ता ढूंढ रहे हैं इसलिए अब पार्टी चीफ को आगे किया गया है । पार्टी चीफ के बयान के बाद नीति निर्धारक समिति ने उन्हें फैसला लेने का अधिकार दे दिया है। पार्टी चीफ आने वाले दिनों में कैसे फैसले लेंगे यह देखना होगा लेकिन फैसलों के इंतजार में पार्टी नेताओं में अब उत्सुकता बढ़ने लगी है। सब कुछ शांत इसलिए भी नजर आ रहा है कि आने वाले दिनों में फैसले जिसके पक्ष में होंगे वह किस तरह से पार्टी को उबार पाएगा यह देखने वाली बात होगी। खासकर सूबे में पार्टी के दोनों धड़ों में आगे बढ़ने की होड़ मची हुई है। सरकार के पूर्व मुखिया अपने तरीके से राजनीति कर रहे हैं तो युवा नेता का खेमा थोड़ा आक्रामक होकर आगे बढ़ रहा है। पार्टी चीफ बयान के बाद फैसलों से पार्टी में कितना सुधार होता है यह वक्त बताएगा।

पूर्व मुखिया की हाजिरी से हलचल !

सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया लंबे समय से कम सक्रिय हैं ।आमतौर पर पार्टी कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति न के बराबर रहती है। इन दिनों पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा है और सदस्यता अभियान को कामयाब बनाने के लिए कई बार कार्यशालाएं हो चुकी हैं । प्रदेश की राजधानी में इस बार की कार्यशाला विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद हुई। विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को मिली कामयाबी के बाद इस कार्यशाला में उत्साह का माहौल था और पांच सीटों पर उपचुनाव जीते विधायक भी कार्यशाला में पहुंचे थे। इस कार्यशाला में सरकार की पूर्व मुखिया अचानक पहुंच गईं और मंच से भाषण दिया। उन्होंने भाषण में इस बात का जिक्र भी किया कि उन्होंने पार्टी कार्यक्रम को इतना महत्व दिया है की सदस्यता अभियान के संयोजक के  बुलावा न देने के बाद भी वह यहां पहुंची हैं ।उन्होंने उपचुनाव में जीते विधायकों का अपने स्टाइल में स्वागत कर दिया। पूर्व मुखिया करीब 15 मिनट तक पार्टी दफ्तर में कार्यशाला में रुकीं । दिलचस्प बात यह रही कि उस वक्त तक पार्टी के प्रदेश प्रभारी और सरकार के मुखिया कार्यशाला में नहीं पहुंचे थे। पूर्व मुखिया मौजूदा मुखिया के आने से पहले ही कार्यशाला से निकल गई। उसी दिन उन्होंने अपने गृह क्षेत्र में कार्यशाला से पहले एक भाषण में अपने वजूद का अहसास कराने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि बादलों की ओट से सूरज की चमक कभी फीकी नहीं होती। उनका इशारा किस तरफ था इसके मायने राजनीतिक गलियारों में अभी तक निकाले जा रहे हैं। पूर्व मुखिया के अचानक इस तरह से राजधानी पहुंचने और शेर-ओ- शायरी वाला बयान देने से सत्ता वाली पार्टी में इन दिनों हलचल है। सरकार के मुखिया का खेमा और पार्टी प्रधान के खास लोग पूर्व मुखिया की सक्रियता की वजह ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।

पार्टी प्रधान की कुर्सी पर भी हो सकता है फैसला !

विपक्ष वाली पार्टी में दिल्ली में नीति निर्धारक कमेटी की बैठक में दिखी सख्ती के बाद प्रदेश में अब पार्टी प्रधान की कुर्सी का फैसला भी हो सकता है। मौजूदा संगठन मुखिया एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें दिल्ली से निकले एक आदेश में एक्सटेंशन भी दे दिया गया था। विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद युवा नेता का खेमा इस हार का ठीकरा संगठन मुखिया के माथे पर फोड़ना चाह रहे हैं। युवा नेता खुद नीति निर्धारण कमेटी की बैठक में शामिल हुए थे। बैठक के बाद उन्होंने पार्टी के सबसे बड़े परिवार की सांसद बनी सर्वेसर्वा की बहन से मुलाकात की। युवा नेता की मुलाकात से अब सरकार के पूर्व मुखिया और संगठन मुखिया के खेमों में बेचैनी बढ़ने लगी है। दरअसल विधानसभा उपचुनाव में सात में से पार्टी मात्र एक सीट जीत पाई। इस एक सीट की जीत का क्रेडिट भी युवा नेता को दिया जाने लगा है क्योंकि यह युवा नेता के खेमे की सीट मानी जा रही है। दिल्ली अब कड़े फैसले लेने की कोशिश में है। इन फैसलों में प्रदेश पार्टी प्रधान की कुर्सी भी शामिल हो सकती है। वैसे पार्टी प्रधान बनने वाले नेताओं ने दिल्ली में भाग दौड़ शुरू कर दी है। सीमावर्ती जिले से आने वाले एक बड़े नेता प्रदेश के नेताओं के साथ ही दिल्ली में मेल -मुलाकातें कर रहे हैं। उन्हें पार्टी के सबसे बड़े परिवार की नवनिर्वाचित महिला सांसद का वरदहस्त प्राप्त है। कई राज्यों का प्रभार उन्हें उनकी वजह से ही मिला बताया जाता है। पड़ौसी राज्य पंजाब में इस नेता के प्रभार के बाद पार्टी की करारी शिकस्त हुई थी लेकिन पार्टी के सबसे बड़े परिवार का भरोसा उन पर कम नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में युवा नेता की भूमिका भी तय हो सकती है। युवा नेता खुद प्रदेश में पार्टी का जिम्मा संभालने के इच्छुक हैं। दूसरी तरफ सरकार के पूर्व मुखिया मौजूद संगठन मुखिया को बहाल रखने के पक्ष में हैं ।कुल मिलाकर सभी धड़ों का संतुलन दिल्ली को बनाना है और यह चुनौती वाला काम है।


 

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