Holi Special - उदयपुर का ऐतिहासिक मटका मेला, 300 साल पुरानी परंपरा, जहां मिट्टी के बर्तनों से जुड़ी है संस्कृति और आस्था

Edited By Raunak Pareek, Updated: 13 Mar, 2025 06:45 PM

300 year old matka mela udaipur tradition

"उदयपुर में 300 साल पुराना मटका मेला आंवला एकादशी पर लगता है, जहां मिट्टी की मटकियां, हंडिया और पारंपरिक बर्तन बिकते हैं। जानिए इसकी खासियत!"

राजस्थान की समृद्ध परंपराओं में मेलों का विशेष स्थान है, और उदयपुर का ऐतिहासिक मटका मेला उन्हीं में से एक है। हर साल आंवला एकादशी के अवसर पर आयोजित होने वाला यह मेला मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रतीक है। 300 साल से भी अधिक पुरानी इस परंपरा की शुरुआत हाराणा संग्राम सिंह के शासनकाल में हुई थी और तब से लेकर आज तक यह मेला अपनी भव्यता बनाए हुए है।

क्यों खास है मटका मेला?

इस मेले का महत्व सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मेवाड़ी संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का भी एक जरिया है। ऐसा माना जाता है कि आंवला एकादशी से गर्मी की शुरुआत होती है, और इसी दिन से मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। यह मेला विशेष रूप से उन कुम्हारों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो सालभर मिट्टी के बर्तन तैयार कर इस मेले में बेचते हैं।

मिट्टी के बर्तनों की खासियत

इस मेले में मटकियां, हंडिया, मिट्टी के तवे, बोतलें और दही जमाने के बर्तन जैसी पारंपरिक चीजें बेची जाती हैं। इनका उपयोग गर्मियों में अधिक किया जाता है क्योंकि ये स्वस्थ, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।

सर्दियों में तैयार होती हैं मटकियां

मटकों को तैयार करने वाले कुम्हार महेंद्र जी बताते हैं कि ये मटकियां सर्दियों में बनाई जाती हैं और इस मेले के लिए विशेष रूप से सहेजकर रखी जाती हैं। सालभर की मेहनत के बाद कुम्हार इस मेले में अपने उत्पाद बेचते हैं।

हर साल हजारों लोग पहुंचते हैं मेले में

इस मेले की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि हर साल उदयपुर संभाग के विभिन्न गांवों और शहरों से हजारों लोग इसमें भाग लेने आते हैं। मेले में आई लीला देवी बताती हैं कि वह हर साल इसी मेले से मटकियां खरीदती हैं, क्योंकि ये सबसे टिकाऊ होती हैं और पानी को लंबे समय तक ठंडा रखती हैं।

मेवाड़ की परंपरा और संस्कृति का उत्सव

मटका मेला मेवाड़ की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक मान्यता से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह न केवल मिट्टी के बर्तनों की खरीदारी का एक प्रमुख स्थल है, बल्कि यह आस्था और परंपरा का भी उत्सव है।

आइए, जुड़िए इस ऐतिहासिक मेले से!

उदयपुर का मटका मेला सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का संगम है। यदि आप भी राजस्थान की अनूठी परंपराओं का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इस मेले में आकर मेवाड़ की समृद्ध विरासत का अनुभव जरूर करें!

 

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