BJP सांसद जसकौर मीणा के विवादित बोल, कहा- आंदोलनकारी किसानों के खालिस्तानियों से संबंध

Edited By Chandan, Updated: 20 Jan, 2021 02:40 PM

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केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन 56वें दिन भी जारी है। वहीं किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी नेताओं द्वारा लगातार विवादित टिप्पणी की जा रही है...

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों (Farmers) का आंदोलन 56वें दिन भी जारी है। वहीं किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर बीजेपी नेताओं द्वारा लगातार विवादित टिप्पणी की जा रही है। इस बार राजस्थान (Rajasthan) के दौसा से बीजेपी सांसद जसकौर मीणा (Jaskaur Meena) ने आंदोलनकारी किसानों पर विवादित बयान दिया है। जसकौर मीणा ने कहा कि किसान आंदोलन में आतंकी एके-47 लेकर बैठे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने धरने पर बैठे किसानों को खालिस्तानी बताया है।

 

आंदोलन में बैठे हैं खालिस्तानी: BJP सांसद
बीजेपी सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युगपुरुष हैं, जो देश को बदलना चाहते हैं। अपने इसी कदम की ओर बढ़ते हुए वह कृषि कानून लाए हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में आतंकी अपने साथ एके-47 लेकर बैठे हैं। मीणा ने कहा कि आंदोलन में जो भी लोग बैठे हैं वो सभी खालिस्तानी हैं।

 

किसानों से 10वें दौर की वार्ता आज
बता दें कि आंदोलनरत किसानों के साथ सरकार की 10वें दौर की वार्ता बुधवार दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। वैसे यह बैठक 19 को होनी थी, किन्हीं कारणों से इसे एक दिन के लिए इसेमुल्तवी कर दिया गया था। इससे पहले किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता 15 जनवरी को हुई, जो बेनतीजा रही थी। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी सुरक्षा देने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और सरकार कह रही है कि अब केवल संशोधन के विकल्पों पर ही बातचीत आगे बढ़ सकेगी। सरकार  कानूनों को वापस लेने या रद्द करने को तैयार नहीं।

 

सुप्रीम कमेटी की किसानों से बातचीत कल
वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट से बनी कमेटी की किसानों के साथ बातचीत 21 जनवरी सुबह 11 बजे होगी। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वे किसी के पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं, न ही किसानों से बातचीत में अपनी निजी राय हावी होने देंगे। यहां पूसा परिसर में मंगलवार को हुई कमेटी की पहली बैठक के बाद शेतकारी संगठन के प्रमुख अनिल घनवट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि समिति 21 जनवरी को किसानों और अन्य हितधारकों से पहले चरण की वार्ता करेगी।

 

बातचीत में अपनी निजी राय हावी नहीं होने देंगे- कमेटी
उन्होंने कहा कि समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे। घनवट ने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। घनवट के मुताबिक कमेटी उन सभी से राय लेगी जो इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं अथवा समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार से कहेंगे वह भी अपना पक्ष कमेटी के समक्ष रखे। घनवट ने बताया कि कमेटी जल्द ही एक वेबसाइट भी तैयार करने की कोशिश कर रही है, ताकि जो लोग कमेटी के समक्ष आकर अपनी बात कहने की स्थिति में नहीं हैं, वे वेबसाइट पर अपनी राय रख सकें।

 

सदस्य सिर्फ राय दे सकते है: कोर्ट
कृषि कानूनों पर बनी कमेटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि कमेटी के सदस्य जज नहीं हैं, वे केवल अपनी राय दे सकते हैं। फैसला तो जज ही लेंगे। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी कमेटी के सदस्यों पर उठ रहे सवाल और एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान के खुद को कमेटी से अलग कर लेने पर की। एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा कि एक व्यक्ति सिर्फ इसलिए समिति का सदस्य होने योग्य नहीं है क्योंकि उसने कृषि कानूनों के पक्ष में पूर्व में अपने विचार रखे थे, यह तर्क उचित नहीं है। व्यक्ति के विचार बदल भी सकते हैं।

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