भैरु बाबा के लक्खी मेले की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, जेसीबी से मिलाया जाता है चूरमे में देशी धी और खांड (मिठा) ,  बाटियों की कंप्रेशर से सफाई, थ्रेसर से होती है पिसाई

Edited By Afjal Khan, Updated: 28 Jan, 2023 05:58 PM

villagers engaged in preparations for bhairu baba s lakhi fair

इस बार 14 वां वार्षिकोत्सव समारोह आयोजित होगा। भंडारे के लिए 350 क्विंटल चूरमे की प्रसादी बनाने के लिए ग्रामीण बिना हलवाई के खुद ही जुटे हुए हैं। बाटियों की कंप्रेशर से सफाई कर थ्रेसर से उनकी पिसाई करने के बाद चूरमे में देशी धी और खांड जेसीबी मशीन...

कोटपूतली । ग्राम पंचायत कल्याणपुरा कला के ग्राम कुहाड़ा की हरियाली पहाडी स्थित छापाला भैरूजी मंदिर में 30 जनवरी को भरने वाले लक्खी मेले के लिए ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिल रहा है। इसको लेकर पिछले एक माह से ग्रामीण जनसहयोग से भंडारे की तैयारियों में जुटे हुए है। पिछले 13 साल से कल्याणपुरा कलां व कुहाड़ा के ग्रामीण इस लक्खी मेले के लिए एक माह पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं। इस बार 14 वां वार्षिकोत्सव समारोह आयोजित होगा। भंडारे के लिए 350 क्विंटल चूरमे की प्रसादी बनाने के लिए ग्रामीण बिना हलवाई के खुद ही जुटे हुए हैं। बाटियों की कंप्रेशर से सफाई कर थ्रेसर से उनकी पिसाई करने के बाद चूरमे में देशी धी और खांड जेसीबी मशीन से मिलाया जाता है । ग्रामीण इस लक्खी मेले को इतने व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराते है कि पुलिस प्रशासन भी हैरान है। मेले में आने वाले हजारों वाहनों के लिए ग्रामीण पार्किंग की व्यवस्था तक खुद संभालते है। ग्रामीणो के सामूहिक प्रयास का यह मेला अद्भुत उदाहरण है। हेलीपेड से लेकर बाबा के दर्शनों के लिए जगह जगह ग्रामीण ही वॉलेन्टियर्स के रूप में तैनात होते है।

सर्वप्रथम सन 2010 में प्रथम वार्षिकोत्सव में 70 क्विंटल चूरमे की प्रसादी बनाई गई थी। उसके बाद हर वार्षिकोत्सव पर प्रसादी के लिए बनाए गए चूरमे को बढ़ाया गया।

  • साफ सफाई का विशेष ध्यान- प्रसादी के लिए बनाए जा रहे चूरमें की बाटियों को जगरे से निकालने के बाद कंप्रेसर से बाटियों की सफाई की जा रही है ताकि इनमें मिट्टी व राख के कण नहीं रहे। इसके अलावा चूरमे को मिलाने के लिए भी कार्यकर्ता हाथ व पांव में पॉलिथीन पहन कर ही कार्य करते हैं।
  • मन्दिर के पुजारी रोहिताश बोफा ने बताया मंदिर के वार्षिकोत्सव पर सवाई माधोपुर, ग्वालियर, झालावाड़, कोटा, पीपलखेड़ा, मुरैना सहित दूर-दराज से श्रद्धालु पधारते हैं।
  • ग्रामीण जयराम जेलदार ने बताया मंदिर के वार्षिकोत्सव में ग्रामीण एकजुट होकर सहयोग करते हैं, वार्षिकोत्सव पर कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी जाती है। ग्रामीण ट्रैक्टर ट्राली, थ्रेसर, कंप्रेसर इत्यादि की सुविधा भी अपने स्तर पर ही देते हैं।
  • ग्रामीण कैलाश धाबाई ने अपनी दिनचर्या बताते हुए कहा की सुबह ही कार्यकर्ता अपने-अपने कार्य में लग जाते हैं सबको अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है।

  

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