Edited By Liza Chandel, Updated: 22 Feb, 2025 05:49 PM
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बीजेपी ने मदन राठौड़ को फिर से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राठौड़ की जमकर सराहना की और प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल के नेतृत्व की भी तारीफ की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "बेबाकी से अपनी...
बीजेपी ने मदन राठौड़ को फिर सौंपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी
बीजेपी ने मदन राठौड़ को फिर से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राठौड़ की जमकर सराहना की और प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल के नेतृत्व की भी तारीफ की।
वसुंधरा राजे ने की राधामोहन दास अग्रवाल की प्रशंसा
अपने संबोधन में वसुंधरा राजे ने कहा, "बेबाकी से अपनी बात रखने वाले राधामोहन जी को आज पहली बार सुना। जिस तरह आपने अपनी बात सबके सामने रखी, वह काबिले तारीफ है। सुनकर मजा आया।"
राजे ने आगे कहा, "जब से आप आए हैं, संगठन को सही दिशा देने का काम कर रहे हैं। कोई डिप्लोमेसी नहीं, जो कहना होता है, साफ-साफ कहते हैं। ऐसे ही हमारे प्रभारी इस चुनाव के पर्यवेक्षक भी हैं। उन्होंने संगठन और सत्ता के तराजू को संतुलित रखने का काम किया है, जो आसान नहीं होता।"
पार्टी संगठन में संतुलन की ताकत
पूर्व मुख्यमंत्री ने अग्रवाल की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह बहुत बड़ी बात है, यह आसान नहीं होता, लेकिन आपने कर दिखाया। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूं। यही संतुलन हमारी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत है।"
प्रदेश प्रभारी अग्रवाल का बयान
प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा, "राजस्थान में मेरे पास तीन लोग आए थे, जो चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें प्रदेश कार्यालय भेजा गया, लेकिन वे बिना नामांकन भरे ही लौट गए। यह दिखाता है कि यहां की राजनीति कितनी चुनौतीपूर्ण है।"
उन्होंने आगे कहा, "कभी-कभी ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री से तालमेल बैठा लेने से सब कुछ आसान हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता।"
राजस्थान में संगठन की मजबूती पर जोर
अग्रवाल ने संगठन की मजबूती पर जोर देते हुए कहा, "राजस्थान का हर नागरिक जब तक बीजेपी का समर्थक और वोटर न बन जाए, तब तक हमारा काम अधूरा रहेगा। फिलहाल, राज्य में विपक्ष के कुछ विधायक और 11 कांग्रेस सांसद हैं, लेकिन हमें राजस्थान में गुजरात जैसी स्थिति बनानी होगी।"
उन्होंने राजस्थान की राजनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "पंचायतों से लेकर नगर निकायों तक पार्टी को मजबूती देने की जरूरत है। हमें इस लड़ाई को ऐसे लड़ना है कि दिल्ली भी कहे कि राजस्थान में बीजेपी का वर्चस्व कायम है। आमतौर पर मुख्यमंत्री का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका नाम फीका पड़ जाता है, लेकिन आज भी राजस्थान में हर जगह वसुंधरा राजे का नाम लिया जाता है।"