समरावता 'थप्पड़कांड' और प्रशासनिक विवाद

Edited By Liza Chandel, Updated: 26 Jan, 2025 03:52 PM

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समरावता में हुए एक विवादास्पद घटनाक्रम, जिसे अब 'थप्पड़कांड' के नाम से जाना जा रहा है, के बाद प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम अमित चौधरी पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में एक नई मोड़ आई है, जब अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मालपुरा ने...

एसडीएम अमित चौधरी पर एफआईआर का आदेश और कानूनी पहल

समरावता में हुए एक विवादास्पद घटनाक्रम, जिसे अब 'थप्पड़कांड' के नाम से जाना जा रहा है, ने प्रशासन और राजनीति के बीच एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम अमित चौधरी समेत अन्य पांच अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। यह घटना 10 अक्टूबर 2024 को हुई थी, जब नगर पालिका द्वारा एक कानूनी विवाद के बावजूद एक दुकान को ध्वस्त कर दिया गया था।

एफआईआर का आदेश और कानूनी पहल

मालपुरा के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) ने इस मामले में एसडीएम अमित चौधरी समेत छह अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। एफआईआर में तत्कालीन तहसीलदार पवन कुमार मातवा, प्रशासनिक अधिकारी जयनारायण जाट, गिरदावर रामदास माली, जमादार राजेश कुमार और स्टोर कीपर राजेंद्र कुमार के नाम भी शामिल हैं।

दुकान ध्वस्तीकरण विवाद

मालपुरा के निवासी राकेश कुमार पारीक ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि 10 अक्टूबर 2024 को नगर पालिका के अधिकारियों और एसडीएम अमित चौधरी ने उनकी किराए की दुकान को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया। पारीक का दावा था कि उन्होंने दुकान को लेकर कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त किया था, जिसे अनदेखा कर कार्रवाई की गई। इस घटना में दुकान का सामान, नकदी और महत्वपूर्ण स्टाम्प पेपर भी गायब कर दिए गए।

प्रशासनिक अधिकारियों पर लगे आरोप

राकेश पारीक का आरोप है कि इस कार्रवाई में प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया और किसी भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इसके चलते उन्होंने एसीजेएम कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की अपील की, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 198, 199, 201, 334(1), 334(2) और 61(2) के तहत कार्रवाई की मांग की गई।

समरावता 'थप्पड़कांड' और राजनीतिक विवाद

इस विवाद के बीच 13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एक और घटना घटी। समरावता गांव में एक राजनीतिक विवाद के दौरान प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया। इस घटना के बाद गांव में हिंसा भड़क गई और प्रशासन को स्थिति नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा।

नरेश मीणा की गिरफ्तारी और राजनीतिक प्रभाव

थप्पड़कांड के बाद नरेश मीणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिली है और वे जेल में बंद हैं। इस घटना ने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए।

निष्पक्ष जांच की मांग

राकेश पारीक की याचिका और समरावता में हुई हिंसा के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या एसडीएम अमित चौधरी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच होगी। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।

यह पूरा घटनाक्रम प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। एसडीएम अमित चौधरी के खिलाफ एफआईआर ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है। यह विवाद केवल एक निजी मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक दुरुपयोग, राजनीतिक हस्तक्षेप और कानूनी उल्लंघन से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन गया है, जो समाज और प्रशासन दोनों के लिए गंभीर चिंतन का विषय है।

 

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