आरक्षण और आदिवासी अधिकारों पर जमकर बोले रोत

Edited By Liza Chandel, Updated: 06 Jan, 2025 05:30 PM

roat spoke fiercely on reservation and tribal rights

बांसवाड़ा में आयोजित एक विशाल रैली में भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब भारत आदिवासी पार्टी के सांसद और विधायक यह तय करेंगे कि आरक्षण कब और कैसे लिया जाएगा। उन्होंने 2013 और 2016 की अधिसूचनाओं का...

बांसवाड़ा रैली: सांसद राजकुमार रोत ने आरक्षण और आदिवासी अधिकारों पर साधा निशाना

बांसवाड़ा में आयोजित एक विशाल रैली में भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब भारत आदिवासी पार्टी के सांसद और विधायक यह तय करेंगे कि आरक्षण कब और कैसे लिया जाएगा। उन्होंने 2013 और 2016 की अधिसूचनाओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे लोगों ने आदिवासी समाज को गुमराह किया और ठगा।रैली के दौरान आदिवासी समुदाय की समस्याओं और आरक्षण से जुड़ी 31 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। इस कार्यक्रम में सांसद राजकुमार रोत, बागीदौरा विधायक जय कृष्ण पटेल सहित कई अन्य नेता शामिल हुए।

 

महारैली और प्रमुख मांगें

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    कॉलेज मैदान पर सभा के बाद हजारों लोगों ने महारैली निकाली, जो कस्टम चौराहे से होते हुए जिला कलेक्ट्री तक पहुंची। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अनुसूचित क्षेत्र आरक्षण मंच द्वारा दिए गए ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण मांगें शामिल थीं, जैसे:

    • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राजस्थान में क्षेत्रीय आधार पर आरक्षण का उप-वर्गीकरण।
    • अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीयता नीति का कार्यान्वयन।
    • खनिज संपदा पर आदिवासियों का अधिकार।
    • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
    • आदिवासी क्षेत्रों के विकास में खनिज संपदा से मिलने वाले राजस्व का उपयोग।

     

    सांसद रोत ने सत्ता में रहे दलों पर निशाना साधते हुए कहा, "आपने अधिसूचनाओं के नाम पर हमें ठगा। अब सत्ता में रहकर भी आप रैली निकाल रहे हैं। अगर आप सच में गंभीर हैं, तो सीधा आरक्षण दिलवाइए। बारां में सहरिया जाति को अलग से आरक्षण दिया गया है, तो राजस्थान में क्षेत्रीय आधार पर आरक्षण क्यों नहीं?"उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आरक्षण हमारा अधिकार है और इसे लेकर रहेंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज को कानून के नाम पर डराने की कोशिश की जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

    रैली में आदिवासी समुदाय ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी मांगों को मजबूती से रखा और सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील की।

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