रजिस्ट्रेशन के बिना प्लॉट बेच रहे तो होगी एफ.आई.आर

Edited By Afjal Khan, Updated: 16 May, 2023 02:37 PM

fir will be lodged if plot is sold without registration

रेरा के नियम के अनुसार 5 हजार स्कवेयर फीट या आठ मकान से ज्यादा बनाकर बेचने वाले बिल्डर या कॉलोनाइजर को रेरा में पंजीयन कराना अनिवार्य है। बिना पंजीयन के एकड़ों जमीन में प्लाटिंग करने वालों पर कार्रवाई तय है। खासतौर पर इस तरह के मैसेज या चौक-चौराहों...

रजिस्ट्रेशन के बिना प्लॉट बेच रहे तो होगी एफआईआर

आम लोगों को उनके मोबाइल नंबर पर कम कीमत में प्लॉट बेचने वाले एसएमएस करने वालों पर अब रेरा ने सख्ती करना शुरू कर दिया है। ऐसे सभी नंबरों की पहचान कर उन पर एफआईआर करने की तैयारी की जा रही है। रेरा के नियम के अनुसार 5 हजार स्कवेयर फीट या आठ मकान से ज्यादा बनाकर बेचने वाले बिल्डर या कॉलोनाइजर को रेरा में पंजीयन कराना अनिवार्य है। बिना पंजीयन के एकड़ों जमीन में प्लाटिंग करने वालों पर कार्रवाई तय है। खासतौर पर इस तरह के मैसेज या चौक-चौराहों पर पंपलेट चस्पा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था. रेरा का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है. 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था. इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया. 1 मई 2016 को इसे लागू किया गया. 92 में से 59 सेक्शन्स 1 मई 2016 को नोटिफाई किए गए थे और बाकी के प्रावधान 1 मई 2017 से लागू कर दिए गए  थे. इस कानून के तहत, अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को अपने नियम नोटिफाई करने हैं.

रेरा कानून क्या है?

रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) की स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) अधिनियम, 2016 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करना था। इसके उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • आवंटियों के हितों की रक्षा और उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करना.
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करना और धोखाधड़ी के मामलों को घटाना.
  • पूरे भारत में मानकीकरण को लागू करना और व्यावसायिकता लाना.
  • घर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सही जानकारी का प्रसार करना.
  • बिल्डरों और निवेशकों दोनों पर अधिक से अधिक जिम्मेदारियां डालना.
  • रियल एस्टेट सेक्टर की विश्वसनीयता बढ़ाने के साथ-साथ इस तरह निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ाना.

काफी वक्त से घर खरीददार इस बात की शिकायत कर रहे थे कि रियल एस्टेट की लेनदेन एकतरफा और ज्यादातर डिवेलपर्स के हक में थीं। रेरा और सरकार के मॉडल कोड का मकसद मुख्य बाजार में विक्रेता और संपत्ति के खरीददार के बीच न्यायसंगत और सही लेनदेन तय करना है। उम्मीद की जा रही है कि रेरा बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता लाकर रियल एस्टेट की खरीद को आसान बनाएगा। साथ ही राज्यों के प्रावधान केंद्रीय कानून की भावना को कमजोर नहीं करेंगे। रेरा भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री का पहला रेगुलेटर है। रियल एस्टेट एक्ट के तहत यह अनिवार्य किया गया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने रेगुलेटर और नियमों का गठन करेंगे, जिसके मुताबिक कामकाज होगा।

राजस्थान RERA के साथ रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को पंजीकृत नहीं करने पर क्या जुर्माना है?

यदि कोई रियल एस्टेट प्रमोटर रेरा राजस्थान अधिनियम के अनुसार पंजीकरण करने में विफल रहता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो प्रस्तावित रियल एस्टेट परियोजना की अनुमानित लागत का 10% तक हो सकता है। यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो प्रमोटर को तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है, जो परियोजना की अनुमानित लागत का 10% तक या दोनों के साथ हो सकता है।

 

 

 

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